लेख
02-Nov-2025
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दूसरा कार्यकाल दुनिया में एक नया रिकार्ड बनाने जा रहा है। दूसरी बार शपथ लेने के बाद उन्होंने जिस तरह से टैरिफ बार की शुरुआत की है, उसके कारण वह चर्चाओं में रहे और अब रही सही कसर अमेरिका में चल रहे शटडाउन ने पूरी कर दी है। 30 दिन से ज्यादा का समय हो गया है, अभी तक सीनेट में डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन के बीच में कोई सहमति नहीं बन पा रही है। जिसके कारण अमेरिका के 7 लाख, 30000 कर्मचारी बिना वेतन के काम कर रहे हैं। हजारों कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजा जा चुका है। अमेरिका में फूड सब्सिडी जारी नहीं होने के कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। स्पेस एजेंसी नासा पर भी इसका असर पडना शुरू हो गया है। अमेरिका का यह दूसरा सबसे लंबा शटडाउन है। ट्रंप के पहले कार्यकाल में 35 दिन का शटडाउन लागू हो चुका है। ट्रंप के दूसरे कार्यकाल का शटडाउन 31 दिन से ज्यादा का हो गया है। अभी तक कोई हल नहीं निकला है जिसके कारण लगता है कि यह अमेरिका के इतिहास का सबसे लंबा शटडाउन होगा। अमेरिका में अभी तक 10 बार शटडाउन लागू हो चुके हैं। इस शटडाउन ने पुराने सभी रिकार्ड को तोड़ने की तैयारी कर ली है। अब खाद्य सहायता पूरी तरह से बंद होने के कगार पर है। इसका असर 4.2 करोड़ लोगों पर पड़ेगा। दो जजों ने आकस्मिक फंड इस्तेमाल करने का निर्देश दिया था, लेकिन प्रशासन ने इसे नहीं माना है। अमेरिका में नेशनल पार्क, संग्रहालय, सांस्कृतिक स्थल, सरकारी वेबसाइट एवं अन्य परियोजनाओं के काम पूरी तरह से रुक गए हैं। शटडाउन के कारण एयर ट्रैफिक कंट्रोल के कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पा रहा है। इससे हवाई सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। नासा में भी रिसर्च का काम पूरी तरह से रुक गया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बिल पास कराने के लिए 60 वोटो की जरूरत होती है अभी उनके पास 50 सीनेट का समर्थन है। सीनेट में डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन के बीच में सहमति नहीं बन पा रही है, जिसके कारण अमेरिका की सरकार का सारा काम एक तरह से रुक गया है। अमेरिका की संसदीय कार्य प्रणाली में सरकार, संसद के नियंत्रण में काम करती है। यदि बजट पास नहीं होता है तो सरकार खर्च नहीं कर पाती है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी तुनक मिजाजी के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने समझौता करने के स्थान पर फंडिंग पास करवाने के लिए बहुमत का नियम ही खत्म करने की कोशिश शुरू कर दी है। इसको लेकर भी सीनेट के बीच में मतभेद बढ़ता चला जा रहा है। अमेरिका की संसद और उसके सीनेट अपनी जिम्मेदारी को बेहतर तरीके से समझते हैं। 1976 से लेकर अभी तक लगभग 10 बार शटडाउन की स्थिति बनी है, लेकिन कुछ ही समय के अंतराल में इसे डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन बातचीत करके सुलझा लेते हैं। यह पहली बार है जब ट्रंप जिद पकड़े हुए हैं जिसके कारण अमेरिका के लगभग चार करोड लोग आर्थिक संकट में फंस गए हैं, वहीं 7 लाख से ज्यादा कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं जो काम कर रहे हैं उन्हें भी वेतन नहीं मिल रहा है। अमेरिका की आर्थिक स्थिति वैसे भी बहुत अच्छी नहीं है। अमेरिका के ऊपर बहुत ज्यादा कर्ज है। सरकार को खर्च करने के लिए अपनी आय बढ़ाने का दबाव बना हुआ है। टैरिफ युद्ध भी इसी का परिणाम था, लेकिन जिस तरह के हालात अमेरिका के बने हुए हैं। उसको देखते हुए यही कहा जा सकता है, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लड़ाई के कई मोर्चे एक साथ खोल लिए हैं, जिसके कारण स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती चली जा रही है। जिस तरह से वह आक्रामक होकर अमेरिका में टकराव की राजनीति कर रहे हैं। वैश्विक स्तर पर भी कई देशों के साथ उनका टकराव बना हुआ है। जिसके कारण अमेरिका की आर्थिक स्थिति दिनों-दिन खराब होती चली जा रही है। अमेरिका के नागरिकों में ट्रंप की लोकप्रियता लगातार घट रही है, इसके बाद भी वह किसी तरह से कोई समझौता करने के मूड में नहीं हैं। जिसके कारण स्थितियां दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही हैं। अब यह आशंका व्यक्त की जा रही है, कि यदि यही हालत कुछ दिन और रहे तो जो हालात सोवियत रूस के 35 साल पहले हुए थे वही अब अमेरिका के होने लग जाएंगे। इसके चलते अमेरिका की चिंताएं लगातार बढ़ती चली जा रही हैं। एसजे/ 2 नवम्बर/2025