- उद्योग विहीनता का दंश भोग रहा क्षेत्र करेली (ईएमएस)। आज नरसिंहपुर जिले में प्रभावशाली नेताओं की भरमार है। बाबजूद इसके उद्योग के मामले में क्षेत्र उपेक्षित है। क्षेत्र औद्योगिक दृष्टि से बहुत पिछड़ा स्थानीय जनप्रतिधियों ने कभी मिशन बना कर काम कभी किया ही नहीं चाहे वह कांग्रेस के रहे हो या भाजपा के हो जैसा भूतकाल रहा वैसा ही वर्तमान चल रहा है। 1988-शुगर मिल तहसील मुख्यालय करेली में वर्ष 1988 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा के शासन काल में करेली में शुगर मिल लगाने की घोषणा हुई थी जिसके शिलान्यास के लिए तब के उप राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा के आने चर्चाएं सर गर्म रही थी। 1998-सूती वस्त्र 1998 में करेली के हाई स्कूल में आयोजित चुनावी सभा में आए पूर्व केन्द्रीय मंत्री शरद पवार ने महाराष्ट्र की तर्ज पर सूती वस्त्र उद्योग कारखाना लगाने का वादा किया ना पवार लोटे और ना हमारे तब के प्रतिनिधि ने याद दिलाया। 2004-शक्कर कारखाना वर्ष 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती के शासन में कठोतियां के पास सहकारी शक्कर कारखाना लगाने की सरगर्मी रही जिममे किसानो की भागीदारी की बात भी आई थी पर नतीजा कुछ नहीं निकला ना ही इसके लिये छुट-पुट छोड़ कोई बड़ी पहल हुई। 2005-पेपर मिल 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के शासन में करेली के पास खामघाट में आईटीसी पेपर मिल स्वीकृत हुई लेकिन नतीजा ढ़ाक के तीन पांत वाला ही रहा। स्वीकृति के साथ यह करेली-मनेरी मंे फंस गई लेकिन यह ना यहां लगी ना वहा लगी। 2011- कठौतियां औद्योगिक क्षेत्र 2011 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कठौतियां के पास औद्योगिक क्षेत्र बनाने की बात कही थी इसका भी अमल धरातल पर नजर नहीं आ रहा। यहां बड़ी इकाईयो सहित छोटे छोटे लघु उद्योग लगाने की बात रही। शिवराज अनेक मर्तबा आये सभी उनके गुणगान में लगे रहे किसी ने उन्हे स्मरण कराने तक की जहमत नही उठाई जो उद्योग लगे सब निजी जिले में उद्योग के नाम पर जो थोड़ा बहुत विकास हुआ है वो सारा का सारा निजी क्षेत्र का है इसमे सुगर मिल, पेकिजिंग, धान क्षेत्र, पुटटा फेक्ट्री आदि लगी तो पर शासन स्तर पर जो लाभ जिले को मिलना था वो कुछ नहीं हुआ ना ही आम जनता ने ही इसे लेकर कोई बडा प्रदर्शन किया जिसकी बजह यह रही की सब कुछ मेरी मर्जी पर निर्भर रहा। ईएमएस/जितेंद्र गुप्ता/ 06 नवंबर 2025