नई दिल्ली (ईएमएस)। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राज्यसभा सांसद और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राकेश सिन्हा पर दो अलग-अलग राज्यों में मतदान करने का गंभीर आरोप लगा है। विपक्षी दलों का कहना है कि सिन्हा ने फरवरी 2025 में दिल्ली विधानसभा चुनाव और 6 नवंबर 2025 को बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण दोनों में वोट डाला। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने इस घटना को “खुली वोट चोरी” करार देते हुए इसे चुनावी फ्रॉड बताया और भारत निर्वाचन आयोग से कार्रवाई की मांग की है। विपक्ष का आरोप है कि एक ही व्यक्ति द्वारा दो राज्यों में मतदान करना न केवल लोकतांत्रिक व्यवस्था के साथ धोखा है, बल्कि भारतीय जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत एक दंडनीय अपराध भी है। हालांकि राकेश सिन्हा ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया है। उनका कहना है कि उन्होंने दिल्ली की मतदाता सूची से अपना नाम हटवाने की कानूनी प्रक्रिया पहले ही पूरी कर ली थी, और बिहार के बेगूसराय जिले के मनसरपुर गाँव में जाकर मतदान किया। सिन्हा ने कहा, “मैंने दिल्ली में अपना नाम कटवाने के बाद ही बिहार में मतदाता के रूप में नाम दर्ज कराया था। मेरे पास इसका पूरा रिकॉर्ड है। विपक्ष केवल राजनीतिक लाभ के लिए भ्रम फैला रहा है।” इसके बावजूद विपक्ष सवाल उठा रहा है कि दिल्ली से उनका नाम वास्तव में कब हटाया गया, और क्या यह परिवर्तन मतदाता सूची सुधार (एसआईआर) प्रक्रिया के नियमों के तहत पूरी पारदर्शिता के साथ हुआ था। चुनावी विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह पाया गया कि किसी व्यक्ति का नाम दो जगहों पर था या उसने दोनों जगह मतदान किया, तो यह कानून का उल्लंघन है। -दो स्थानों पर वोट डालना गंभीर अपराध धारा 17 के अनुसार, “किसी व्यक्ति का नाम एक ही समय में दो या अधिक निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूचियों में दर्ज नहीं किया जा सकता।” धारा 18 में कहा गया है कि “किसी व्यक्ति का नाम एक ही राज्य के दो या अधिक निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूचियों में नहीं हो सकता।” वहीं धारा 31 के तहत गलत जानकारी देकर मतदान करना अपराध माना गया है। इसके लिए अधिकतम एक वर्ष की कैद, जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। अब निगाहें भारत निर्वाचन आयोग पर टिकी हैं कि वह इस विवाद की जांच कैसे आगे बढ़ाता है। यदि दोहरी मतदान की पुष्टि होती है, तो यह मामला न केवल कानूनी कार्रवाई की दिशा तय करेगा ।