राज्य
08-Nov-2025
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- भोपाल में सफाईकर्मियों का प्रदर्शन - कोलार समेत कई इलाकों में कचरा नहीं उठाया - गाड़ियों को निगम यार्ड में खड़ा किया गया - आधार आधारित अटेंडेंस सिस्टम बना विवाद की जड़ - महिलाओं के लिए अटेंडेंस टाइम बदलने की मांग, निगम अब तक चुप - स्वच्छता व्यवस्था पर संकट, कई इलाकों में कचरे के ढेर लगे - 15 हजार से ज्यादा सफाईकर्मी प्रभावित - जल्द समाधान नहीं तो बढ़ेगा आंदोलन भोपाल (ईएमएस)। राजधानी भोपाल में शनिवार सुबह से सफाई व्यवस्था चरमरा गई जब नगर निगम के हजारों सफाईकर्मियों ने अचानक काम बंद कर दिया। सफाईकर्मियों का कहना है कि उन्हें अक्टूबर महीने की केवल आधे महीने की सैलरी दी गई है, जबकि उन्होंने पूरे महीने काम किया। इसी के विरोध में उन्होंने निगम कार्यालयों के बाहर प्रदर्शन शुरू कर दिया और गाड़ियों को यार्ड में खड़ा कर दिया। सबसे अधिक असर कोलार क्षेत्र में देखा गया, जहां सुबह से कचरा नहीं उठाया गया। गलियों और मोहल्लों में जगह-जगह कचरा ढेर जमा हो गया। सफाईकर्मियों ने गेहूंखेड़ा स्थित निगम कार्यालय के बाहर इकट्ठा होकर नारेबाजी की और पूरी सैलरी देने की मांग उठाई। भारतीय सफाई मजदूर संघ के अध्यक्ष सोनू डागर ने कहा, “हम पूरी मेहनत से शहर को स्वच्छ बनाते हैं, लेकिन आधी सैलरी में घर कैसे चलाएं? बच्चों की फीस, लोन की किश्त और रोजमर्रा के खर्च पूरे नहीं हो पा रहे। निगम को पूरे महीने का वेतन देना चाहिए था या फिर नया अटेंडेंस सिस्टम 1 नवंबर से लागू करना चाहिए था।” इधर, नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष शबिस्ता जकी ने भी कर्मचारियों की मांग को जायज बताया और महापौर तथा कमिश्नर से तत्काल समाधान की मांग की। -अटेंडेंस सिस्टम बना विवाद की जड़ दरअसल, भोपाल नगर निगम ने 16 अक्टूबर से आधार बेस्ड अटेंडेंस सिस्टम लागू किया है। इससे पहले कर्मचारी सार्थक ऐप के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करते थे। नए सिस्टम की वजह से 16 से 31 अक्टूबर तक की ही उपस्थिति गिनी गई और कर्मचारियों को आधे महीने की तनख्वाह ही दी गई। शुक्रवार रात उनके अकाउंट में सैलरी आई, जिसके बाद असंतोष फूट पड़ा। -कांग्रेस नेताओं का समर्थन सफाईकर्मियों के आंदोलन को कांग्रेस ने भी समर्थन दिया है। पार्टी नेता रविंद्र साहू प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे और सफाईकर्मियों से एकजुटता दिखाई। उन्होंने कहा, “भोपाल को स्वच्छ बनाने में सफाईकर्मियों की अहम भूमिका है। यह अनुचित है कि उन्हें आधी सैलरी दी जाए। जरूरत पड़ी तो मैं भूख हड़ताल पर बैठूंगा।” - ‘आधा वेतन पूरा काम, नहीं चलेगा यह अपमान’ तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने भी सफाईकर्मियों के समर्थन में कहा, “जिन सफाईकर्मियों ने दिन-रात मेहनत कर भोपाल को देश में स्वच्छता रैंकिंग में दूसरा स्थान दिलाया, उन्हीं के साथ यह अन्याय किया जा रहा है। आधा वेतन देकर उनका अपमान हुआ है।” उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है। सफाईकर्मियों ने यह भी मांग की है कि अटेंडेंस का समय बदला जाए। संगठन ने निगम कमिश्नर संस्कृति जैन से आग्रह किया है कि महिलाओं की ड्यूटी का समय सुबह 8 बजे और पुरुषों का 7 बजे किया जाए ताकि वे घरेलू काम भी संभाल सकें, परंतु इस पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। - शहर में सफाई व्यवस्था ठप प्रदर्शन के चलते कोलार क्षेत्र के अलावा बागसेवनिया, शाहपुरा, चूनाभट्टी और मिसरोद इलाके में भी सफाई नहीं हुई। नगर निगम प्रशासन हालात पर नजर रखे हुए है, लेकिन कर्मचारियों की नाराजगी कम होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। भोपाल में सफाईकर्मियों का यह प्रदर्शन न केवल वेतन विवाद का मुद्दा बन गया है, बल्कि शहर की स्वच्छता व्यवस्था के लिए भी गंभीर चुनौती साबित हो रहा है। यदि जल्द समाधान नहीं निकला, तो राजधानी में कचरे का संकट गहराने का खतरा है।