राज्य
08-Nov-2025
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कलेक्टर मीणा पर फंसा जिम्मेदारी का जाल तत्कालीन कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के आदेशों को पलटने पर मचा बवाल - एडीएम लक्ष्मीकांत पांडेय पर कलेक्टर को गुमराह कर “बलि का बकरा” बनाने के आरोप भिण्ड (ईएमएस)।जिले में शस्त्र लाइसेंस निरस्तीकरण को लेकर प्रशासनिक गलियारों में गर्मी बढ़ गई है। तत्कालीन कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव द्वारा 30 सितंबर को स्वीकृत किए गए 25 नवीन शस्त्र लाइसेंस को वर्तमान कलेक्टर किरोड़ी लाल मीणा ने 14 अक्टूबर को निरस्त कर दिया। लेकिन अब इस कार्रवाई ने नया मोड़ ले लिया है — क्योंकि आरोप है कि एडीएम लक्ष्मीकांत पांडेय ने पूरे मामले में कलेक्टर को गुमराह कर निर्णय करवाया। सूत्रों के अनुसार, श्रीवास्तव का स्थानांतरण 3 अक्टूबर को हो गया था। इसके बाद लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया एडीएम पांडेय के पास थी। आवेदकों का आरोप है कि उन्होंने कई बार एडीएम से लाइसेंस पुस्तिका तैयार करने का आग्रह किया, लेकिन पांडेय “आज-कल-दीपावली के बाद” कहकर मामला लटकाते रहे। आवेदकों का मानना है कि एडीएम की नियत संदिग्ध थी और उन्होंने जानबूझकर कलेक्टर मीणा को अंधेरे में रखकर निरस्तीकरण करवाया। मामले की दिलचस्प बात यह है कि निरस्त किए गए सभी 25 लाइसेंस में लगभग एक जैसे कारण दर्ज हैं पुलिस सत्यापन में जान का खतरा न होने का हवाला या केवल एनपी बोर लाइसेंस स्वीकृत होने की बात। जबकि इन लाइसेंसों की स्वीकृति नोटशीट पर स्वयं एडीएम, आर्म्स बाबू भदौरिया और तत्कालीन कलेक्टर के हस्ताक्षर से हुई थी। अब सवाल यह उठ रहा है कि जब नोटशीट पर सबके हस्ताक्षर मौजूद थे, तो निरस्तीकरण के समय वही अधिकारी फिर से हस्ताक्षर कैसे कर सकते हैं? क्या यह एक पक्षीय कार्रवाई नहीं है? कलेक्टर मीणा का कहना है कि एडीएम नोटशीट लेकर उनके पास आए थे और उन्होंने दस्तावेज़ों के आधार पर आदेश पारित किया। वहीं, एडीएम पांडेय ने कहा कि यह “वरिष्ठ अधिकारियों का निर्णय” था। इस बयानबाजी ने दोनों के बीच की प्रशासनिक खींचतान को उजागर कर दिया है। आवेदकों का कहना है कि आर्म्स एक्ट में पुनरावलोकन का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है, फिर भी पुराने आदेश को पलट देना न सिर्फ नियमों के खिलाफ है, बल्कि यह प्रशासनिक निष्पक्षता पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। जिले में फिलहाल 23 हजार से अधिक शस्त्र लाइसेंस हैं और यह विवाद प्रशासन की साख पर असर डाल रहा है। जानकार मानते हैं कि यह मामला अब हाईकोर्ट तक पहुंच सकता है, और संभव है कि आने वाले दिनों में भिण्ड प्रशासनिक राजनीति का केंद्रबिंदु बन जाए। .../ 8 नवम्बर/2025