सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा- कोई भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा मुंबई,(ईएमएस)। पुणे के मुंधवा में 300 करोड़ की सरकारी भूमि खरीद मामले से तहलका मचा गया है। इस मामले में उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार सवालों के घेरे में हैं। वहीं सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि कोई भी दोषी बख्श नहीं जाएगा। हालांकि इस मामले में दर्ज की गई एफआईआर में कहीं भी पार्थ का नाम नहीं है। सीएम फडणवीस ने नागपुर में कहा कि जिन लोगों को पता भी नहीं है कि एफआईआर क्या होती है वे केवल निराधार आरोप लगा रहे हैं। जब एफआईआर फाइल हो गई है तो जाहिर सी बात है कि जो लोग भी शामिल थे, उनके नाम होंगे। इस मामले में जिस कंपनी ने जमीन खरीदी है और उसके जिम्मेदार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। शिवसेना और कांग्रेस का कहना है कि अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी कंपनी को 1800 करोड़ की जमीन केवल 300 करोड़ रुपए में बेच दी। इसके अलावा जमीन बेचने के लिए स्टैंप शुक्ल भी नहीं लिया। इसकी स्टैंप ड्यूटी 21 करोड़ रुपए होनी चाहिए थी। अजित पवार के बेटे पार्थ पवार भी अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी में साझेदार हैं। मुंधवा में भूमि की बिक्री का कार्य 20 मई को किया गया था और छावा कामगार यूनियन के 60 साल के संस्थापक-अध्यक्ष दिनकर कोटकर ने पांच जून को आईजीआर कार्यालय को पत्र लिखा था कि 21 करोड़ का स्टांप शुल्क माफ कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया था कि यह छूट गलत तरीके से दी गई थी। मामले में शिकायतकर्ता संयुक्त जिला रजिस्ट्रार संतोष हिंगाने ने प्राथमिकी में कोटकर से एक पत्र प्राप्त होने की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि शिकायत आवेदन की जांच के दौरान यह पाया कि मुंधवा भूमि के विक्रय पत्र को आधिकारिक अभिलेखों में फेरबदल करके निष्पादित किया गया था। एफआईआर में पार्थ पवार के बिजनेस पार्टनर दिग्विजय पाटिल का नाम है जिनका कंपनी में शेयर मात्र एक फीसदी है। वहीं पार्थ का शेयर 99 फीसदी का है। उनपर ही आरोप है कि उन्होने यह अवैध सौदा करवाया था। इसके अलावा जमीन की पावर ऑफ अटॉर्नी होल्डर शीतल देजवानी का नाम एफआईआर में दर्ज है। इसके अलावा इसमें 272 अन्य लोगों और सस्पेंड किए गए दो राजस्व अधिकारियों का भी नाम एफआईआर में है। सब रजिस्ट्रार रवींद्र तारू पर आरोप है कि उन्होंने बिना स्टैंप ड्यूटी के ही सेल डीड रजिस्टर करवा दी। इसके अलावा पुणे सिटी के तहसीलदार सूर्यकांत येवाले पर पद का दुरुपयोग करने का आरोप है। अजित पवार ने कहा कि जिन लोगों ने यह सौदा करवाया और रजिस्ट्रेशन के कागजात पर साइन किए, उनका ही नाम एफआईआर में दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि पार्थ को पता भी नहीं था कि यह जमीन अवैध रूप से बेची जा रही है। बता दें यह जमीन कुल 40 एकड़ है जिसमें 272 छोटे-छोटे प्लॉट हैं। महार समुदाय के लिए यह भूमि आवंटित की गई थी। आजादी के बाद यह भूमि सरकार के अधिकार में आ गई। ऐसे में बिना सरकारी अनुमति के इसे खरीदा या बेचा नहीं जा सकता था। सिराज/ईएमएस 08नवंबर25 ----------------------------------