लेख
09-Nov-2025
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बिहार चुनाव में बीजेपी और जेडीयू 243 विधान सभा में आपस में 101 सीट में लड़ना ही नीतीश कुमार के विजय का पथ बन चुका था 6 नवंबर के दिन हुए मतदान में जेडीयू को सबसे ज्यादा सीट मिलने की संभावना है तो एनडीए में 101 सीट पर लड़ रही बीजेपीं की सरकार कैसे बनेगी सीट तो सभी लेना चाह रहें हैं लेकिन जीत कितने पर होगी ऐ एक प्रश्न चिंह है एन डी ए को मिलकर नीतीश कुमार को खुशी मन से मुख्य मंत्री के नाम का ऐलान करना चाहिए था यही गलती बीजे पीं से हुई जिसका फायदा जे डी यू व महागठबंधन को मिलता दिख रहा है जब भी यदि केंद्र में अपने दम पर बहुमत ना हो तो घटक दल को साथ लेकर चलना चाहिए यदि बीजेपीं को नीतीश कुमार को इस चुनाव में मुख्य मंत्री का उम्मीदवार नहीं ही घोषित करना था तो सभी सीट पर लड़ना चाहिए और अपने ही ओर से मुख्य मंत्री के नाम का ऐलान करना चाहिए रिकॉर्ड मतदान ऐ दिखाता है कि सभी ने नीतीश कुमार के पक्ष में ज्यादा मतदान किए हैं नहीं भरोसा है तो 14 नवंबर के दिन मतगणना में देख लीजियेगा कि कौन सरकार बना सकती है जेडीयू सबसे बड़े दल के रूप में आएगी उधर महागठबंधन में भी आपस में सीटों में खींचातानी चल रही है जिससे आरजेडी भी आसंजस में है आरजेडी में चुनाव को तेजस्वी को लेकर परिवार के अंदर ही बगाबत हो गई और तेज प्रताप यादव जो उनके भाई हैं एक अलग ही पार्टी बना ली इन सब के बीच जनसुराज पार्टी चुनाव प्रचार में पार्टियों के मंत्री पऱ आरोप लगा रहें हैं लेकिन जब मालूम था ऐ क्राइम किया है तो अभी चुनाव में क्यों बता रहें है पहले बताना चाहिए और खुद पहले अपने को भी देखना चाहिए एक कहावत है बुरा बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय। जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय॥ यह संत कबीर दास का एक प्रसिद्ध दोहा है जिसका अर्थ है कि जब मैं दुनिया में दूसरों की बुराई खोजने चला, तो कोई बुरा व्यक्ति नहीं मिला। लेकिन जब मैंने अपने अंदर झाँका और अपने मन को टटोला, तो मुझे पता चला कि मुझसे बुरा कोई नहीं है अतः पहले खुद को भी देखना चाहिए बिहार में माफियाओ के बल पर आज भी सरकार बनती है ऐ किसी से छिपा नहीं है और बिहार में सत्ता में रहने के लाठी का दबदबा भी चाहिए नहीं तो क़ोई भी पार्टी को तोड़ कर इधर से उधर चला जायेगा प्रशांत किशोर जी को चाहिए आरोप या प्रत्यारोप से बच कर जनता के लिए कुछ करना चाहिए गलत गलत ही होता है जब यहाँ से सज़ा नहीं मिलता तो ऊपरवाला छोड़ नहीं देगा समय का इंतजार करिये अभी राज खोलने से जनता के बीच में ऐ संदेश जाता है कि पहले इतना दिन से कहाँ थे और अभी चुनाव के बीच करने का मतलब है सत्ता पाना जो कुछ ही सीट 3-4 से ज्यादा नहीं मिलने वाली है चुनाव जितने के लिए काम करना होता है और जब काम करेंगे और जनता जरूर जीता देगी और जब जीत कर सरकार बन जाएगी तो जाँच करा देना अतः इन सब के राज खोलने से जनता को मिलेगा क्या? जनता की सेवा करो और किसी के व्यक्तिगत आरोप से बचना चाहिए जब हम दूसरों में दोष ढूंढने निकलते हैं, तो हमें बहुत सारे लोग बुरे लग सकते हैं, लेकिन यह एक ऊपरी और भ्रामक सोच है इससे जनता को क्या मिलेगा फैसला तो अदालत में होता है दूसरों की आलोचना करने या निंदा करने के बजाय, हमें अपनी बुराइयों को पहचानकर उन्हें दूर करने का प्रयास करना चाहिए और सेवा से ही जीत मिलेगी आरोप से नहीं क्योंकि जब बने थे तब कहाँ थे उस समय क्यों नहीं आबाज निकला इतने दिनों से आवाज़ बन्द क्यों थी ऐ चुनाव के समय ही क्यों याद आ रहा है मुख्यमंत्री किसे बनाना ऐ पहले ही बता देना जो गलती करता है या जो गलत काम करता है भी कहा जा सकता है, जहाँ गलत का मतलब गलत या अनुचित है, और करने वाला का मतलब वह व्यक्ति है जो ऐसा करता है या काम करता है।लेकिन उसके लिए न्यायलय है उसका फैसला तथ्यों के आधार पर होता है बिहार का चुनाव भाषण से ज्यादा काम के महत्व को देखता है और इधर जो 1साल में काम हुआ है उससे महिलाओ को बहुत भारी मात्रा में कहीं ना कहीं रोजगार के साधन उपलब्ध हुए हैं शहर ही नहीं गाँव में भी और रोड सड़क और बिजली पानी की समस्या हल हुई है जो अभी 10 हजार भी मिली है वो लोग नीतीश कुमार की ही निर्णय समझ रही है इसलिए नीतीश कुमार को हल्के में लेना ठीक नहीं है उनको बिहार का चप्पा चप्पा मालूम है जब तक हैं जेडीयू रहेगी उसके बाद क्या होगा मुझे भी मालूम नहीं और जेडीयू के विधायक को तोड़ना भी आसान नहीं है क्योंकि ऐ पहले भी आजमाया गया है नीतीश कुमार का वर्षों का मेहनत और ईमानदारी नारी जागरण के कारण उनकी पार्टी को अधिक वोट मिला है बीजेपीं ने कई वरिष्ठ नेता जो लागातार जीतते आ रहें थे उनके टिकट काटने से उनके समर्थक नाराज हो गए और अधिकतर ने नोटा डाला होगा ऐ मैं किसी के इलाके में पूछने से मिला है सच क्या है ऐ मैं भी नहीं बता सकता हूँ लेकिन मुझे नीतीश कुमार पुनः बिहार की सेवा में मुख्यमंत्री बनने की पुरी संभावना दिख रही है.बीजेपीं को शांति से काम लेना चाहिए था क्योंकि शायद ऐ नीतीश कुमार की अंतिम चुनाव होगा उसके बाद तो बीजेपीं के पास ही कमान आती और ऐ भी देखना चाहिए की केंद्र में 12 सांसद है जो सरकार बनाने में अहम्य भूमिका अदा कर रहें हैं बीजेपीं निश्चित रूप से अच्छा काम कर रही है जिसमें प्रधानमंत्री जी का अहम योगदान है लेकिन सत्ता में बने रहने के लिए नम्बर मायने रखते हैं । नको मुख्य मंत्री बनने का इरादा नहीं होता तो इतनी जनसभा नहीं करते और इतने सक्रिय भी नहीं होते उन्होंने कई मीटिंग, अपने खास केंद्रीय मंत्री, ललन सिंह व कार्यकारी अध्यक्ष झा जी को नहीं बुलाकर मीटिंग ली है बूथों का बहुत ही गंभीरता से हालत की जानकारी ली है और वहाँ अन्त अन्त तक वोटिंग हुई है इसलिए वोटिंग प्रतिशत काफी बढ़ी है । (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) .../ 09 नवम्बर/2025