क्षेत्रीय
09-Nov-2025


बिछुआ के जंगलों पर वन तस्करों की नजर, धड़ल्ले से हो रही कटाई छिंदवाड़ा (ईएमएस)। वनविभाग के पूर्व वनमंडल की बिछुआ रेंज में इन दिनों सागौन तस्कर सक्रिय है या यूं कहें कि यह रेंज सागौन तस्करों का गढ़ बन गई है। दक्षिण वनमंडल का पांढुर्णा वनमंडल में शामिल हो जाने के बाद यहां का कुछ क्षेत्र पूर्व वनमंडल में शामिल किया गया है इसके कारण बिछुआ वन परिक्षेत्र का क्षेत्र अब पूर्व वनमंडल में आ रहा है। हालांकि बिछुआ वन परिक्षेत्र का कुछ एरिया भी बिछुआ वन परिक्षेत्र में शामिल हो गया जिससे रेंज का दायरा और भी बढ़ गया है। बावजूद इसके यहां सागौन तस्कर सक्रिय है जो वन कर्मियों की मिलीभगत से बेशकीमती सागौन के वृक्षों पर बेखौफ होकर से आरा और कुल्हाड़ी चला रहे हैं और बड़ी मात्रा में सागौन की खेप बढ़ई के ठिकानों पर पहुंच रही है और इस सागौन की जिले के बाहर सप्लाई की जा रही है। जंगलों की रखवाली करने वाले विभाग का वनों को सुरक्षित रखने का दावा खोखला साबित हो रहा है। विभाग तस्करों पर नकेल नहीं कस पा रहा है। यहां के बोरिया गढ़वानी, सोनपुर, लोहांगी, चकारा, बड़ोसा, मुनगापार में सागौन की अवैध कटाई की जा रही है लेकिन वन अधिकारियों का इन बीटों पर ध्यान नहीं है। बड़ी संख्या में यहां से सागौन के कुछ पंजीकृत बढ़ई और बिना पंजीकृत बढ़ई के पास ओने-पौने दामों में सागौन के लट्ठे बेचे जा रहे हैं और यहां बड़ी मात्रा में सागौन कारीगरों (बढ़ई)के ठिकानों पर पहुंच रही है साथ ही बेधड़क फर्नीचरों का निर्माण हो रहा है। बावजूद इसके विभाग यहां जांच करने तक नहीं पहुंचता। आए दिन धड़ल्ले से हो रही अवैध कटाई पर विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों का इस ओर ध्यान नहीं हैं। मुख्यालय में हो रही गश्त वन विभाग के अधिकारियों और खासतौर पर वन परिक्षेत्र अधिकारी की लापरवाही का आलम यह है कि न तो वे स्वयं गश्त पर जाती हैं और न ही अपने अधिनस्थ अधिकारियों को भेजती है। सूत्रों की माने तो वनकर्मी और राजस्व अमल अपने-अपने क्षेत्र में गश्त नहीं करते हैं और मुख्यालय में बैठकर गश्त की खानापूर्ति कर दी जाती है। इसके कारण लकड़ी तस्कर उसका फायदा उठाकर सागौन सहित अन्य कीमती पेड़ों की कटाई कर रहे हैं, और उसे बेचकर लाखों की कमाई कर रहे हैं। वनकर्मी तो गश्त करने के बजाए एक स्थान पर बैठकर अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। दिन दहाड़े सुनाई देती है कुल्हाड़ी की आवाज सूत्र बता रहे हैं कि वन परिक्षेत्र में दिन के समय भी कुल्हाड़ी और आरी की आवाज सुनाई देती है। वहीं कटर मशीन भी चलाई जा रही है। बताया जा रहा है कि बिछुआ का ऐसा कोई बढ़ई नहीं जिसके पास कटर मशीन न हो, जबकि कटर मशीन रखने के लिए विभाग की अनुमति जरूरी होती है, लेकिन स्थानीय अमले की मेहरबानी से कटर मशीन बढ़ई द्वारा चलाई जा रही है। अधिकारी नहीं उठाते फोन बिछुआ परिक्षेत्र के अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि परिक्षेत्र अधिकारी से लेकर कोई भी जिम्मेदार अधिकारी फोन नहीं उठाते। यहां तक की सरकारी नंबर को भी रिसीव न करना उनकी आदत बन गई है। ऐसे में जब लोग कटाई संबंधी तस्करों के संबंध में सूचना देने का प्रयास करते हैं तो उन्हें मायूस होना पड़ता है। ईएमएस/मोहने/ 09 नवंबर 2025