लेख
13-Nov-2025
...


(बाल दिवस 14 नवंबर 2025) आज का दिन महानायक नेहरू जी को समर्पित है। बाल दिवस पण्डित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन 14 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिवस बच्चों के प्रति प्यार, स्नेह और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। नेहरू जी बच्चों से बहुत प्यार करते थे और उन्हें चाचा नेहरू कहा जाता था। उन्होंने बच्चों के शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास के लिए कई काम किए थे। इसलिए, उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। परम विद्वान प्रेम बाँटने वाले करिश्माई शख्सियत नेहरू के बारे में इतना लिखा गया है, कि कोई भी उनके व्यक्तित्व का अध्ययन करे तो बहुत कुछ समझ सकता है। पण्डितजी केवल एक शख्स नहीं बल्कि अपने आप में एक राष्ट्र थे। भारतीय लोकतांत्रिक राजनीति में एक ऐसा महानायक हुआ जिनके राजनीति में पदार्पण के बाद वैश्विक परिदृश्य में उत्सुकता बढ़ी कि नेहरू की शख्सियत क्या है? आज कई लोगों को लगता है, कि भारत की ख्याति अब ही बढ़ी है, जबकि सच्चाई यह है, भारत हमेशा से ज्ञानियों की धरती रही है, अपने मुल्क का स्थान हमेशा उच्च रहा है। आज के दौर में भारत में कोई भी पीएम बन जाए किसी की भी इज्ज़त होगी, इसमे कोई ढोल पीटने की बात नहीं है। जानने लायक पहलू यह है कि देश में आज नेहरू के कद को छोटा करने के लिए तरह-तरह से दुष्प्रचार किया जाता है, फिर भी नेहरू का कद विराट होता जा रहा है। आज के नकारात्मक दौर में नेहरू जी का नाम ज्यादा प्रासंगिक हुआ है। हमें आज के दौर में बहुत सोचने की जरूरत है कि ऐसा क्या है कि हम आधुनिक युग में संकीर्णता से ग्रसित होते चले जा रहे हैं। नेहरू ऐसे युगपुरुष थे, जिन्होंने जेल में अपने समय का सदुपयोग करते हुए, एक से बढ़कर एक महान पुस्तकें लिख डालीं। आजाद भारत के निर्माता नेहरू जी के बारे में किसी ने क्या खूब कहा था पूरी दुनिया की लोकतांत्रिक राजनीति में एक ऐसा महानायक हुआ, जिसने पूरी दुनिया की लोकतांत्रिक राजनीति को छुआ और राजनीति शुद्ध हो गई। यह सभी को पता है कि देश 1947 आजाद हुआ था, अंग्रेजी सत्ता के बाद बाद भी भारत दुनिया में अपनी संस्कृति और परंपराओं और शांतिप्रिय होने की वजह से काफी नाम कमा रहा था, पूरी दुनिया में भारत के प्रति जिज्ञासा थी, समय - समय पर भारत में महानायक हुए हैं, जिन्होंने भारत सहित पूरी दुनिया को एक नई दिशा दी। ऐसे ही एक महानायक हुए! पण्डित जवाहर लाल नेहरू.... पण्डित नेहरू जब देश के प्रधानमंत्री बने थे, तब देश की एक बड़ी आबादी कपड़े नहीं पहनती थी। भारत - पाकिस्तान दोनों मुल्क एक साथ ही आज़ाद हुए, मुस्लिम लीग पार्टी ने मज़हब के नाम पर पाकिस्तान की मांग की थी, वहीँ भारत अपनी रूढ़िवादी सोच को छोड़कर आधुनिकीकरण की राह पर अग्रसर था। पूरी दुनिया की तारीख उठा कर देखा जाए जिस देश में सेना का राजनीतिक दखल रहा है, उस देश ने कभी भी स्थिरता नहीं पाई. आज भी पाकिस्तान लोकतांत्रिक व्यवस्था के रूप में स्थिरता प्राप्त नहीं कर सका, वही भारत में कांग्रेस इतनी मजबूत थी, कि उसने सेना पर नियंत्रण भी पाया, एवं ऐसे प्रशासनिक सुधार किए की आज भारत में सेना का कोई भी राजनीतिक दखल नहीं है। यह नेहरू जी की ही बेहतरीन प्रशासनिक व्यवस्था की नज़ीर है। आज़ादी के बाद नेहरू ने अगस्त, 1947 को ब्रिटिश कमांडर इन चीफ को लिखा था, सेना या किसी दूसरे क्षेत्र से जुड़ी नीति में भारत सरकार के आदेश का पालन होना चाहिए, अगर सेना का कोई अधिकारी भारत सरकार द्वारा निर्धारित नीति का पालन नहीं करेगा , तो भारतीय सेना में उसकी कोई जगह नहीं होगी। आज भी सेना को भारतीय प्रशासनिक आदेश की बाध्यता है। पण्डित नेहरू जी अपनी बौध्दिकता, दूरदृष्टि के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं, पण्डित ज़ी ने अपनी दूरदृष्टि और समझ से पंचवर्षीय योजनाएं बनाईं उनसे देश को आज भी लाभ मिल रहा है। आईआईटी, आईआईएम, एम्स, इसरो, जैसी आधुनिक अवधारणाएं ज़मीन पर उतार लाए थे। भारत की स्वतंत्रता सेनानी के रूप में योगदान देना, संविधान सभा की अध्यक्षता करना। हरित क्रांति की शुरुआत करना। परमाणु ऊर्जा आयोग का गठन करना, अंतर्राष्ट्रीय संबंध के लिए गुटनिरपेक्ष नीति अपनाना, शिक्षा और स्वास्थ्य पर काम करना। वहीँ गांधी जी के विचारों का प्रसार करना उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियां रही हैं। आज भी पण्डित नेहरू जी को कुछ भी बोला जाता हो, लेकिन सच्चाई यही है कि पण्डित नेहरू जी ने देश को जब सम्भाला, और संवारने का काम किया, जब देश के अधिकांश लोगों को हस्ताक्षर करना भी नहीं आता था, उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा, से लेकर उद्योग जगत को बेहतर बनाने के लिए कई काम किए साथ ही उद्योग धंधों की भी शुरूआत की, उन्होंने भाखड़ा नांगल बांध, रिहंद बांध और बोकारो इस्पात कारख़ाना की स्थापना की थी। पण्डित नेहरू इन उद्योगों को देश के आधुनिक मंदिर मानते थे, यह कोई अत्यंत आधुनिक सोच का इंसान ही बोल सकता था। (लेखक पत्रकार हैं) ईएमएस / 13 नवम्बर 25