लेख
13-Nov-2025
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बेशक प्रत्येक वर्ष की तरह 14 नंवम्बर 2025को बाल दिवस मनाया जा रहा है ।मगर ऐसे आयोजन औपचारिकता भर रह गये है। जिन बच्चों के हाथों में किताब, कापी, पैसिल होनी चाहिए वे हाथ जोखिम उठा रहे हैं मजदूरी कर रहे हैं गैंती-बेलचा चला रहे हैं नन्हे हाथों में छाले आ जाते हैं जब यह मजदूरी करते हैं ।देश में आज बाल श्रमिकों का आंकड़ा कम होने के बजाए बढ़ता जा रहा है। इस पर रोकलगानी होगी।आज नाबालिग बच्चों को जबरदस्ती बाल मजदूरी की तरफ झोंका जाता है।बाल मजदूरों की सुरक्षा के लिए काफी कानून बने हैं पर वे नाकाफी साबित हो रहे हैं। यदि इन्हे कारगर ढंग से लागू किया जाए तो इस पर कुछ हद तक रोक लग सकती है। आज यह समस्या विश्व व्यापी बनती जा रही हैं। समझ नहीं आता कि जिनकेे अभी खेलने कूदने के दिन हैं वे ऐसे काम करते हैं कि रुह कांप उठती हैं।देश में समय-समय पर बाल मजदूरी के हजारों मामले प्रकाश में आते रहते है।देश में बाल मजदूरी के आंकडे चैंकाने वाले है ।प्रतिदिन कही न कही बाल मजदूरों को रिहा करवाया जाता है।हर रोज एसे मामले समाचारों की सुखि।यां बनती है।ऐसे मामलो को पर कुछ दिन कारबाई होती है उसके बाद वही परिपाटी चलती रहती है।बाल मजदूर पिसते रहते है।जनमानस को भी बाल मजदरी के ऐसे मामलों की शिकायत प्रशासन से करनी चाहिए ताकि उनका शोषण रोका जा सके। देश के प्रत्येक राज्य में ऐसे मामले घटित होते रहते है।अगर प्रशासन सर्तकता से इन पर संज्ञान ले तब इस पर रोक लग सकती है।कानूनों की अवहेलना करने वालों पर शिंकजा कसा जाए।मालिको को हवालातों में डाला जाए जो बच्चों का शोषण कर रहे है।प्रशासन को छापेमारी करके इन बच्चों को छुडाना चाहिए। आखिर कब तक बालश्रम कानून की धज्ज्यिां उडती रहेगीं। बाल मजदूरी एक कड़वी सच्चाई है इससे सरकारों को अनदेखा नहीं करना चाहिए अपितू सख्त कानून बनाकर इसका खात्मा करना चाहिए। जिनके अभी खेलने कूदने के दिन हैं वे ऐसे काम करते हैं कि रुह कांप उठती हैं। बाल मजदूरी आज एक बहस का विषय बनता जा रहा है,बालश्रम की समस्या हमारे देश में नई नहीें है और बेहद गंभीर स्थिति में पहुंच चुकी है चाय की दुकानों ,ढाबों ,होटलों, उद्योगों और घरों में भी 18.18 घंटे काम लिए जाने की घटनाएं तो आम हैं ही ,इन्हे इसके बदले दिया जाने वाला मेहनतनामा भी कम होता है ,देश का भविष्य कहलाले वाले इन नौनिहालों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है ,यह किसी भी सभ्य समाज और कानून में मान्य नहीं होना चाहिए।देश में बाल मजदूरेां की संख्या निरंतर बढती जा रही है। बेशक देश आजाद हो चुका है मगर देश का आधार माने जाने वाले बच्चे आज भी बाल मजदूरी की जजीरों से आजाद नहीं हो पाए हैं,देश में हर रोज बाल मजदूरों को रिहा करवाया जा रहा है फिर भी यह समस्या कम नहीं हो रही है।हर राज्य में बाल मजदूर पकडे जा रहे हैlप्रतिदिन देश में बालमजदूरों को रिहा करवाया जाता है।अगर इस पर सख्त कानून बनाया जाए तो यह बालमजदूरी पर रोक लग सकती है । बालश्रम की भट्ठी में बचपन झुलस रहा है मगर जनता के मसीहा बेखबर हैं कानूनों का मजाक उडाया जा रहा है सरकारें भी कानून बनाकर इतिश्री कर लेती है यदि शिकजा कसा जाए तो इस पर कुछ हद तक रोक लग सकती है।,श्रम विभाग व्दारा भी कभी कभार छापामारी की जाती है मगर फिर वही सिलसिला चलता रहता है।सरकारें मूकदर्शक बनी हुई हैं,यदि सरकारों को जरा भी सदमा होता तो इस प्रथा पर जरूर रोक लगाती। यह समस्या विश्वव्यापी है। आज पटाखा फैक्टरियों,चूडियों के उद्योगों में ,गलीचा बनाने वाले उद्योगों में बाल मजदूरों की संख्या ज्यादा है।देश में समय-समय पर बाल मजदूरों को सामाजिक संस्थाओं द्वारा छुडाया जाता है ।भारतीय संविधान की अनुच्छेद 24 के अन्र्तगत बालश्रम अबैध घोषित है। मगर कानून फाईलों की शोभा बढा रहे हैं।उतरप्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडू ,गुजरात, आन्ध्रप्रदेश, में उद्योगों में अधिकतर काम बालश्रमिकों के कधों पर हैं।बालश्रम का यह अवैध धंधा बडे पैमाने पर पनपता जा रहा है।समाज को इस पर मंथन करना होगा।अगर समय रहते इस पर रोक न लगाई तो भविष्य में हालात बेकाबू हो सकते है।देश में खैनी, जरदा, तम्बाकू, गुटका,बीडी, व अन्य नश्ीाले पदार्थों के उद्योगों में बालश्रमिक ही इन को बनाते हैं।माचिस ,आतिशबाजी, के उद्योगों में इनका शोषण किया जाता है। इनके मालिक इनको भर पेट खाना तक नहीं खिलाते है जिस कारण कई बाल मजदूर बीमार हो जाते है और असमय काल का ग्रास बन जाते हैं इनके मालिको द्वारा इनके स्वास्थ्य की जांच तो दूर की बात है।बाल मजदूरी गरीबी की वजह से पैदा होती हैं। परिवार पालने के लिए दिन रात काम करते हैं इन बाल मजदूरों को आराम तक का समय भी नहीं मिलता है । बालश्रम के उन्मूलन के लिए सरकार को प्रभावी कदम उठाने चाहिए। यह देश के लिए बहुत ही शर्मनाक है। आज बाल मजदूरों की संख्या में अप्रत्याशित रुप से वृद्वि होती जा रही हैं मगर सरकारें इस पर रोक लगाने में अक्षम नजर आ रही है प्रतिदिन हजारों बाल मजदूरों को सामाजिक संस्थाओं के प्रयासों से मुक्त करवाया जाता है मगर ऐसे भी मामले हैं जो प्रकाश में नहीं आ रहे हैं और बालमजदूर नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं ।बाल मजदूरी की इस प्रथा को जड़ से मिटाना होगा। बचपन को बचाना होगा। एक अभियान चलाना चाहिए ताकि बाल मजदूरों को मुक्त करवाया जा सके।यह देश हित में है।प्रशासन को चाहिए बिना समय गंवाए इस पर त्वरित एक्शन लेना चाहिए। बाल मजदूरी को रोकने के लिए समाज के लोगों को आगे आना होगा ताकि इस पर नकेल लग सके और देश का भविष्य बर्बाद होने से बच सके। समाज को एक व्रत लेना होगा तभी इस पर लगाम लग सकती है अन्यथा बाल मजदूर बालश्रम की भठठी में झुलसते रहेंगें। (वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार) (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) .../ 13 नवम्बर/2025