लेख
14-Nov-2025
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महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा के बाद अब बिहार के चुनाव का नतीजा आ गया है... नतीजा वही है....फिर वही कुंज-ए-क़फ़स...है वही सय्याद का घर... कोई बदलाव नहीं... फर्क इतना है कि इस बार बिहार में चुनावी सर्वे और एग्जिट पोल झूठे साबित नहीं हुए....ना सरकार बदली ना सियासत... महाराष्ट्र में लाड़की बहना और झारखंड में मंईयां ने सरकारों की नैया डूबने नहीं दी... बिहार में मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के 10 हजार रुपए सारे मुद्दों पर भारी पड़े...मोदी मैजिक से ज्यादा मनी मैजिक और बटेंगे तो कटेंगे से ज्यादा नोट बटेंगे तो वोट मिलेंगे कामयाब रहा... खैरात देने और जनादेश की चुनावी रणनीति गेम चेंजर साबित हुई...हर चुनाव में यही हो रहा है...हर सरकार यही कर रही है... कोई सरकार सत्ता से हटना नहीं चाहती...चुनाव जीतने के लिए हर हथकंडा अपनाया जा रहा है...आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने तो मुफ्त रेवड़ी कैंपेन या रेवड़ी पर चर्चा अभियान ही लॉन्च कर दिया था... लेकिन दिल्ली की जनता ज्यादा समझदार निकली... जनता ने खैराती केजरीवाल को हटा दिया... जो यों कहें कि बीजेपी की खैरातों का लालच ज्यादा भारी पड़ गया...शिक्षा, स्वास्थ्य निःशुल्क देना तो अच्छी बात है... मुफ्त बस यात्रा, हर महीने एक-दो हजार रुपए, मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, रोजगार के नाम पर 10 हजार रुपए देना वह भी आचार संहिता के बाद भी कितना उचित है... क्या यह लगातार सरकार में बने रहने का हथकंडा नहीं है...? शीला दीक्षित के 15 साल में दिल्ली का जो कायाकल्प हुआ...वैसा कायाकल्प केजरीवाल नहीं कर पाए... और बीजेपी भी कोई खास परिवर्तन नहीं कर सकी...आज दिल्ली वीभत्स नजर आ रही है... यमुना का झाग भरा पानी... 400 के पार पहुंचता एयर क्वालिटी इंडेक्स...गंदगी के अंबार... अवैध कालोनियां... बदबू और गंदगी से भरे हुए नाले...वॉटर लॉगिंग.... कई इलाकों में ट्रैफिक जाम... बेशुमार झुग्गी झोपड़ी... दिल्ली की बेरंग तस्वीर प्रस्तुत करते हैं... केजरीवाल कहते थे कि वह जनता की कमाई से मुफ्त की रेवड़ी बांट रहे हैं... और जनता को यह अच्छा भी लगता था.... लेकिन दिल्ली का कबाड़ा हो गया... बिहार में नीतीश कुमार ने बहुत कुछ बदला...इसके बाद भी उनमें इतना आत्मविश्वास नहीं था कि बिना खैरात दिए चुनाव में जाएं... क्योंकि वह जानते हैं कि जो मुफ्त की खैरात देता है उसे वोट मिल जाते हैं... बीजेपी या उसके सहयोगी दल ही नहीं कांग्रेस सहित तमाम राजनीतिक दलों को भी सत्ता का मोह इस कदर है कि उन्हें चुनाव जीतने का कोई भी हथकंडा अनैतिक नहीं लगता.... मध्यप्रदेश में फरवरी 2023 तक सारे सर्वेक्षण सरकार के खिलाफ आ रहे थे... इसके बाद लाड़ली बहना योजना आई और बाजी पलट गई...छत्तीसगढ़ में भी महतारी वंदन योजना का चुनावी वादा गेम चेंजर साबित हुआ...हरियाणा और महाराष्ट्र-झारखंड में अलग-अलग नाम से महिलाओं को हर महीने पैसे देने की योजनाएं सरकारों को बचाने में कामयाब रहीं... कर्नाटक में महिलाओं को लालच देकर कांग्रेस ने सरकार बनाई...यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि आज भी इस देश की महिलाओं और युवा बेरोजगारों के लिए हजार, पन्द्रह सौ रुपए एक बड़ी राहत राशि है... स्त्री स्वावलंबन और स्त्री सशक्तिकरण की बात करने वाले भारतवर्ष की महिलाओं के हाथ आजादी के इतने वर्ष बाद भी खाली हैं...इसलिए सरकार की थोड़ी सी राहत उनके लिए वरदान साबित हो रही है....लेकिन इन मुफ्त की रेवड़ियों के कारण सरकारों का खजाना खाली हो रहा है...अर्थव्यवस्थाएं खोखली हो रही हैं...हिमाचल प्रदेश की सरकार के पास वेतन देने के लिए पैसा नहीं है... कुछ समय पहले हिमाचल भवन की कुर्की का आदेश हाईकोर्ट ने दे दिया था... मध्यप्रदेश सरकार को हर महीने बाजार से कर्ज लेना पड़ रहा है...छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक जैसे राज्यों के खजाने के हालात भी अच्छे नहीं हैं... हर सरकार भयानक कर्ज में डूबी हुई है...सीमा से अधिक कर्ज ले लिया गया है... बाजार से ज्यादा ब्याज पर कर्ज लेने की नौबत आ रही है... मुफ्त की खैरात देने के कारण बुनियादी ढांचा चरमरा गया है.... सड़क, बिजली, पानी की समस्याएं अब विकराल हो चुकी हैं... शिक्षा और स्वास्थ्य पर जो पैसा खर्च होना चाहिए वह मुफ्त की रेवड़ी बांटने में जा रहा है...स्कूलों में टॉयलेट नहीं हैं... इसलिए लड़कियों का ड्रॉप आउट बढ़ रहा है...स्कूल तक पहुंचाने के रास्ते नहीं हैं... स्कूल में पीने का पानी तक नहीं है... स्वास्थ्य व्यवस्था वेंटिलेटर पर है...आए दिन प्रसूताओं और बीमारों को खटिया में बिठाकर एंबुलेंस तक पहुंचाने के दृश्य सामने आ रहे हैं... बिहार में ही कई गांव-देहात में बिजली नहीं है... बहुत से गांव में पहुंचने के साधन नहीं हैं... कई जगह पुल नहीं बने हैं तो बरसात में गांव मुख्य सड़क से कट जाते हैं... सड़कें कीचड़ में तब्दील हो जाती हैं... पीने का पानी बहुत से गांव में नहीं है... चाहे बीजेपी हो, चाहे कांग्रेस हो या कोई और पार्टी इन सभी पार्टियों के शासित राज्यों में अधोसंरचना के हालात ठीक नहीं हैं...लेकिन मुफ्त की खैरात बहुत मिल रही है... जब हालात इतने खराब हों तो मुफ्त की खैरात बांटना कितना जायज है... यह सोचने का विषय है... इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग को भी संज्ञान लेने की जरूरत है... कर्ज लेकर घी पीने-पिलाने की यह तरकीब आने वाले दिनों में घातक सिद्ध हो सकती है... चुनाव जीतने के लिए जनता को खैरात देने का तरीका लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है... ईएमएस/14/11/2025