लो भैया बिहार का चुनाव निपट गया बेचारे तेजस्वी यादव जो मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे थे उनके सारे सपने एक झटके में चूर-चूर हो गए। ऐसा बहुमत मिला एनडीए को जिसकी कल्पना भी एनडीए के नेताओं ने नहीं की होगी, कितने बरस हो गए नीतीश कुमार जी को मुख्यमंत्री बने हुए लेकिन मुकद्दर हो तो उनके जैसा ,पार्टी कोई भी हो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही रहेंगे। पता नहीं कौन सी स्याही से अपना मुकद्दर लिखवा कर आए है जो मिटाए नहीं मिटती, अब तमाम सत्ताधारी दलों को मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि उन्होंने एक ऐसी स्कीम शुरू कर दी है जिसके चलते अब सत्ता में वही काबिज रहेगा जो सत्ता में है, क्योंकि उसके पास नोटों का भंडार होता है और उसमें से जब नोट बांटे जाते हैं तो वोट तो अपने आप आ ही जाते हैं। ऐसा नहीं कि तेजस्वी यादव ने नोट देने का वायदा नहीं किया था लेकिन जनता भी सोचती है जो दे रहा है वो लेते चलो वायदा करने वालों का क्या भरोसा, वादा तो वादा ही होता है कब वायदा करने वाला अपने वायदे से मुकर जाए कोई नहीं कह सकता इसलिए तो बिहार की आधी आबादी जो महिलाएं हैं उसके अकाउंट में जब दस दस हजार पहुंचे तो वोट तो उसी को देना था जिसने नोट पहुंचाए थे ।जब से मध्य प्रदेश में लाडली बहना योजना शुरू की थी शिवराज सिंह चौहान ने और बंपर जीत हासिल की थी तब से तमाम पार्टियों को एक ऐसा रास्ता मिल गया है जो उन्हें सीधे-सीधे सत्ता की सीढ़ी पर चढ़ा देता है। नोट बांटो और वोट लो पार्टी कोई भी हो सब ने वही धंधा शुरू कर दिया किसी को अपनी जेब से तो देना नहीं है जो भी देना है सरकारी खजाने से देना है और जब सरकारी खजाने से देना है तो उसमें फिर कंजूसी काहे की। जनता से ही लेना है और जनता को ही देना है ना अपना कुछ लगना है जो कुछ लगना है जनता का ही लगना है । जैसे पहले राजा महाराजा हुआ करते थे जो किसी का लगान माफ कर देते थे, किसी को हीरे जवाहरात दे देते थे, किसी से खुश हो गए तो उसको जागीरदार बना देते थे वही राजतंत्र अब लोकतंत्र में तब्दील हो गया है कर्ज लेकर घी पियो इस तर्ज पर तमाम राज्य चल रहे हैं चाहे वो भाजपा के हों, कांग्रेस के हों या फिर किसी अन्य दल के। सबको समझ में आ गया है कि अगर सत्ता में आना है तो फिर नोट तो बांटना ही पड़ेगा । पहले के जमाने में वोट के बदले नोट चुपचाप बांटे जाते थे ,अब सब कुछ खुलेआम चल रहा है तमाम राजनीतिक दल भी जान गए हैं कि महिलाओं को जिसने साध लिया उसको सत्ता से कोई नहीं उतार सकता, यही कारण है कि हर पार्टी महिलाओं के जेब में नोट डाल रही है। अपने को तो लगता है कि यही स्कीम चलती रही तो फिर कोई भी विरोधी पार्टी सत्ता में नहीं आ पाएगी, जो सत्ता में है वही सत्ता में बना रहेगा क्योंकि उसके पास सरकारी खजाना होता है विरोधी तो वादा ही कर सकते हैं लेकिन वायदे पर कोई भरोसा करता नहीं, यही कारण है कि तमाम वायदों के बावजूद इंडिया गठबंधन को बुरी तरह मात खाना पड़ी। अब आप करते रहो मंथन चिंतन।अगले पांच साल तक तो आपको विपक्ष में ही रहना पड़ेगा । ट्रंप को भी लग गई हवा जब से इंडिया में नोट बांटने की प्रथा शुरू हुई है और पार्टियां भारी बहुमत के साथ सत्ता में आ रही हैं तब से ट्रंप को भी इस बात की हवा लग गई है पता चला है कि उन्होंने घोषणा कर दी है कि विभिन्न देशों पर जो टैरिफ लगाया जा रहा है उससे जो पैसा मिलेगा वो जनता में बांट दिया जाएगा। ट्रंप ने घोषणा की है कि हर व्यक्ति को दो दो हजार डॉलर दिए जाएंगे। ट्रंप वैसे भी भारत पर लगातार निगाह रखे रहते हैं कि यहां क्या चल रहा है जब उन्होंने देखा कि यहां तो खाते में लोगों के पैसे डाल दो उसके बदले लोग वोट डाल देते हैं तो वो भी समझ गए कि इससे ज्यादा आसान स्कीम तो और कोई हो ही नहीं सकती। दो हजार डॉलर देना ट्रंप के लिए कौन सी बड़ी बात है और कौन सा ट्रंप ये डॉलर अपनी जेब से देने वाले हैं अमेरिका तो वैसे भी अमीर देश माना जाता है हथियार बेच बेच कर अरबों खरबों रुपए कमा रहा है और विभिन्न देशों पर मनमानी टैरिफ भी लगा रहा है इन पैसों से यदि अपने देशवासियों को दो दो हजार डॉलर दे भी देगा तो अमेरिकी भी प्रसन्न हो जाएंगे और ट्रंप कितना ही उत्पात क्यों ना करते रहे जनता उन्हीं को पसंद करती रहेगी इसी को कहते हैं छुआछूत का रोग एक को रोग लगा तो दूसरे को भी लग गया और छुआछूत रोग का कोई इलाज भी नहीं है। कुत्तों का जलवा वैसे तो कुत्तों का जलवा हमेशा से ही रहा है बड़े-बड़े लोग विदेशी कुत्ते पालते हैं उनकी देखरेख के लिए बाकायदा नौकर चाकर रखे जाते हैं बड़ी-बड़ी गाड़ियों से गर्दन बाहर निकालकर वे यहां से वहां घूमते हैं नौकर सुबह-शाम उन्हें घुमाने ले जाते हैं जब मालिक आता है तो उनको गले लगा लेता है, यानी कुत्तों की हालत इंसान से भी ज्यादा बेहतर है । अब आप इसी बात से अंदाज लगा लो कि कुत्तों का क्या जलवा है । कुत्तों के काटने की जब घटनाएं बढ़ी तो देश की सबसे बड़ी अदालत ने खुद वा खुद उस पर संज्ञान ले लिया और आदेश पारित कर दिया कि ऐसा करो, वैसा करो, लेकिन हर प्रदेश के मुख्य सचिव ने सोचा कि इन कुत्तों की औकात ही क्या है देख लेंगे जब कुछ करना होगा कर लेंगे, लेकिन उनको नहीं मालूम था कि कुत्तों की औकात कितनी बढ़ चुकी है जब सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं माना गया तो सुप्रीम कोर्ट ने तमाम प्रदेशों के मुख्य सचिवों को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दे दिया तब मुख्य सचिवों को समझ में आया कि कुत्तों की हैसियत क्या है सारे के सारे मुख्य सचिव सुप्रीम कोर्ट के सामने पहुंचे और माफी मांगी कि हुजूर हमें माफ कर दे कुत्तों के बारे में आपने जो आदेश दिया था उसका हलफनामा समय पर नहीं दे पाए अब ऐसी गलती नहीं होगी । अपने प्रदेश पंहुचने के बाद सबसे पहले हम एक ही काम करेंगे और वह होगा कुत्तों को लेकर आपके द्वारा मंगाया गया हलफनामा । इसको कहते हैं जलवा हो तो कुत्तों जैसा। सुपर हिट ऑफ द वीक अगर तुमने मुझसे शादी नहीं की तो मैं सुसाइड कर लूंगा श्रीमान जी ने अपनी महबूबा से कहा कोई फायदा नहीं मेरे मां बाप भूत प्रेतों पर विश्वास नहीं करते प्रेमिका ने उन्हें समझा दिया ईएमएस /19 नवम्बर 25