इन्दौर (ईएमएस) अपर सत्र न्यायाधीश आशीष टांकले की कोर्ट में तैवीस साल पुराने बैंक के साथ लोन लेने के लिए धोखाधड़ी करने के मामले में सुनवाई उपरांत आरोपियों को दोषमुक्त करते कहा कि अभियोजन संदेह से परे यह प्रमाणित करने में असफल रहा है कि छल से लोन लेने के लिए फर्जी एफडी बैंक में जमा कर आरोपियों द्वारा धोखाधड़ी की गई है। तैवीस साल पहले हुए इस धोखाधड़ी मामले में बनाएं आरोपियों में से तीन अभी भी फरार चल रहे हैं जबकि दो की ट्रायल के दौरान मौत हो चुकी थी। बैंक से 25-25 लाख रुपए की दो फर्जी एफडी के माध्यम से लोन लेने के इस मामले की कहानी संक्षेप में इस प्रकार है कि शिप्रा थाना क्षेत्र स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की डकाच्या शाखा से यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की माथेरान (मुंबई) महाराष्ट्र शाखा की 25-25 लाख रुपए की एफडी जो कि कल्याण ढेकले और उसकी पत्नी नीला ढेकले के नाम से बनी थी प्रस्तुत कर आरोपियों ने लोन मांगा था। एफडी के फर्जी पाएं जाने पर शिप्रा थाना पुलिस ने 10 अक्टूबर 2002 को धोखाधड़ी के आरोप में शिकायत दर्ज कर कुल 8 लोगों को आरोपी बना प्रकरण विवेचना उपरांत चालान कोर्ट में पेश किया था। ट्रायल के दौरान एक आरोपी अभिमन्यु की जून 2022 और दूसरी आरोपी नीला पति कल्याण की नवम्बर 2024 में मृत्यु हो गई वहीं तीन आरोपी राजू, विजय और शिवाजी प्रकरण में अब तक फरार ही चल रहे हैं। जिनको भी अब प्रकरण सुनवाई में अभियोजन द्वारा संदेह से परे धोखाधड़ी साबित करने में असफल रहने के कारण सक्षम न्यायालय द्वारा बरी कर दिया गया।