2024 के चुनाव के बाद लोगों को सत्ता में बने रहने की आदत हो गई है लेकिन देश में विदेशी कर्ज कितना है उसे एक बार देख लीजियेगा बिहार में पुनः नीतीश कुमार मुख्य मंत्री पद की शपथ ले रहें है निश्चित रूप से उनके विकास के कार्यों का परिणाम है यदि 2024 में तेजस्वी यादव मुख्य मंत्री के लिए तोड़ फोड़ की कोशिश नहीं करते तो आज उनकी सरकार रहती क्योंकि वहाँ बिहार में जातियों में वोट पड़ता है पैसा भी एक मुद्दा जरूर रहा है लेकिन बिहार के इस चुनाव में नीतीश कुमार ने अच्छा प्रदर्शन किया वहाँ बड़े बड़े पोस्टर नहीं लगवाए और काम पर ध्यान दिया और जब नीतीश कुमार को लगा इतने से काम नहीं चलेगा तो 10 हजार रूपये महिलाओ के खाते में डलवाना एक चुनावी रणनीति का सबसे बड़ा खेल हैँ क्योंकि वहाँ दस हजार में क़ोई धंधा चालू कर सकता है हालांकि नीतीश कुमार का कद मुख्यमंत्री से कहीं बड़ा है क्योंकि उनका फोकस काम पर ख़ासकर गरीब के लिए होता है बीजेपीं ने भी अच्छा निर्णय लिया क्योंकि यदि उनके बिना सरकार बनती तो वो ज्यादा समय टिकना मुश्किल था वही आर के सिंह पूर्व केंद्रीय मंत्री का एक ऐसा पोस्ट वायरल हो रहा है जो ऊँगली उठाने पर आँख फोड़ने की बात कर रहें हैं शांति से सभी को काम करना चाहिए इसमें कौन सही है कौन गलत ऐ कहना मुश्किल है क्योंकि जब किसी पूर्व आईएएस लेवल के पार्टी से निष्कासित करने की बात आती है तो गुस्सा में आदमी कुछ भी बोल देता है लालू यादव ने तेजस्वी को अपने पार्टी की कमान जरूर दे दि है लेकिन अभी परिपक्व नहीं हैं और बोलचाल से हावभाव से रंग मालूम हो जाता है आखिर सत्ता पाने के लिए इतना संघर्ष करने से अच्छा है परिवार के साथ मिलकर रहना उनको अपनी बहन रोहणी आचार्या पर ऐसा बर्ताव नहीं करना चाहिए हमें समझ में नहीं आता की सत्ता में आखिर लोग क्यों बने रहना चाहते हैं देश की सेवा तो सेना की जवान कर रहें हैं उसे भी खुश रहने के लिए कुछ मदद कर देना चाहिए अतः सत्ता नहीं देश के बारे में सोचना चाहिए कांग्रेस को हटाने में अण्णा हजारे का बहुत बड़ा रोल रहा है और बाद में उन्होंने इसका श्रेय कभी अपने ऊपर नहीं लिया उन्होंने गांधीजी का रास्ता चुना और अन्ना हजारे आंदोलन, जिसे 2011 का भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन भी कहा जाता है, भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक जन आंदोलन थाअन्ना हजारे आंदोलन, जिसे 2011 का भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन भी कहा जाता है, भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक जन आंदोलन था। यह मुख्य रूप से जन लोकपाल विधेयक की मांग पर केंद्रित था, जिसका उद्देश्य सरकारी भ्रष्टाचार को समाप्त करना था।उसके बाद भी यूपींए सरकार के खिलाफ आंदोलन जारी था और बाद में लोग कांग्रेस से हटने लगे और उसी में आम आदमी पार्टी बनी और बीजेपीं में मोदीजी के प्रचंड लहर के बाबजूद दिल्ली में अपनी सरकार भारी बहुमत से बना ली लेकिन बाद में जब सत्ता का लालच हुआ तो अहंकार हो गया और बाद में दिल्ली में अजेय कहे जाने वाले अरविन्द केजरीवाल भी 2025 में विधानसभा चुनाव हार गए चुनाव जीतने के लिए दो चीज बहुत महत्वपूर्ण है एक जिसके खिलाफ अपनी राजनीति कर रहें हैं उसके साथ कभी नहीं मिले और जनता से किया गया वादा और शांति से व्यक्तिगत आरोपों से बचने की जरुरत है इसलिए बहुत कुछ सिखने को मिलेगा भगवान राम से जिन्होंने पिताजी के एक आदेश पर 14 वर्ष का वनवास ग्रहण किया और सत्य के लिए अहंकार को नाश करने के लिए रावण का वध किया जो अपराजय लग रहा था बिहार चुनाव में बीजेपी और जेडीयू 243 विधान सभा में आपस में 101 सीट में लड़ना ही नीतीश कुमार के विजय का पथ बन चुका था और उनकी पार्टी को 85 सीट मिली जो अच्छा प्रदर्शन है क्योंकि बहुत सी सीटों पर बी जे pi6 नवंबर के दिन हुए मतदान में जेडीयू को सबसे ज्यादा सीट मिलने की वजह से सरकार बनाने में कामयाब रही तो एनडीए में 101 सीट पर लड़ी बीजेपीं की सरकार कैसे बनती क्योंकि उसे 89 सीट मिली सीट तो सभी लेना चाह रहें थे लेकिन जीत कितने पर होगी ऐ एक प्रश्न चिंह था एन डी ए को मिलकर नीतीश कुमार को खुशी मन से मुख्य मंत्री के नाम का ऐलान करना बीजेपीं के हित्त में है क्योंकि उसके घटक दल ने भी अच्छा प्रदर्शन किया जहाँ चिराग पासवान की पार्टी एल जे पीं को 29 में 19 सीटे मिली और अब उनके चाचा और पूर्व मंत्री को एक भी सीट नहीं मिली वहीँ हम श्री जितन राम मांझी को 6 में से पांच सीट और श्री उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को 6 में से 4 सीट मिली जो 2020 के चुनाव में अलग लड़ने से दोनों का नुकसान हुआ यही गलती 2015 के चुनाव में बीजे पीं से हुई जिसका फायदा जे डी यू व महागठबंधन को मिला था और जब भी यदि केंद्र में अपने दम पर बहुमत ना हो तो घटक दल को साथ लेकर चलना चाहिए जो बीजेपीं ने किया नीतीश कुमार को इस चुनाव में मुख्य मंत्री का उम्मीदवार पहले नहीं घोषित करना भी बीजेपीं की रणनीति थी जेडीयू सबसे बड़े दल के रूप में आएगी उधर महागठबंधन में भी आपस में सीटों में खींचातानी चली जिससे आरजेडी को नुकसान हुआ आरजेडी में चुनाव को तेजस्वी को लेकर परिवार के अंदर ही बगाबत हो गई और तेज प्रताप यादव जो उनके भाई हैं एक अलग ही पार्टी बना ली इन सब के बीच जनसुराज पार्टी चुनाव प्रचार में पार्टियों के मंत्री पऱ कई आरोप लगायें लेकिन जब मालूम था ऐ क्राइम किया है तो अभी चुनाव में क्यों बता रहें थे पहले बताना चाहिए और खुद पहले अपने को भी देखना चाहिए एक कहावत है बुरा बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय। जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय॥ यह संत कबीर दास का एक प्रसिद्ध दोहा है जिसका अर्थ है कि जब मैं दुनिया में दूसरों की बुराई खोजने चला, तो कोई बुरा व्यक्ति नहीं मिला। लेकिन जब मैंने अपने अंदर झाँका और अपने मन को टटोला, तो मुझे पता चला कि मुझसे बुरा कोई नहीं है अतः पहले खुद को भी देखना चाहिए बिहार में माफियाओ के बल पर आज भी सरकार बनती है ऐ किसी से छिपा नहीं है और बिहार में सत्ता में रहने के लाठी का दबदबा भी चाहिए नहीं तो क़ोई भी पार्टी को तोड़ कर इधर से उधर चला जायेगा प्रशांत किशोर जी को चाहिए था आरोप या प्रत्यारोप से बच कर जनता के लिए कुछ करना गलत गलत ही होता है जब यहाँ से सज़ा नहीं मिलता तो ऊपरवाला छोड़ नहीं देगा समय का इंतजार करिये अभी राज खोलने से जनता के बीच में ऐ संदेश जाता है कि पहले इतना दिन से कहाँ थे और अभी चुनाव के बीच करने का मतलब है सत्ता पाना जो कुछ भी सीट नहीं मिली है चुनाव जितने के लिए काम करना होता है और जब काम करेंगे और जनता जरूर जीता देगी और जब जीत कर सरकार बन जाएगी तो जाँच करा देना अतः इन सब के राज खोलने से जनता को मिलेगा क्या? जनता की सेवा करो और किसी के व्यक्तिगत आरोप से बचना चाहिए जब हम दूसरों में दोष ढूंढने निकलते हैं, तो हमें बहुत सारे लोग बुरे लग सकते हैं, लेकिन यह एक ऊपरी और भ्रामक सोच है इससे जनता को क्या मिलेगा फैसला तो अदालत में होता है दूसरों की आलोचना करने या निंदा करने के बजाय, हमें अपनी बुराइयों को पहचानकर उन्हें दूर करने का प्रयास करना चाहिए और सेवा से ही जीत मिलेगी आरोप से नहीं क्योंकि जब बने थे तब कहाँ थे उस समय क्यों नहीं आबाज निकला इतने दिनों से आवाज़ बन्द क्यों थी ऐ चुनाव के समय ही क्यों याद आ रहा है महगाई में जनता को तुरंत राहत देना पार्टी के हित में रहा मुख्यमंत्री किसे बनाना ऐ पहले ही बता देना महागठबंधन की सबसे बड़ी भूल रही जो गलती करता है या जो गलत काम करता है भी कहा जा सकता है, जहाँ गलत का मतलब गलत या अनुचित है, और करने वाला का मतलब वह व्यक्ति है जो ऐसा करता है या काम करता है।लेकिन उसके लिए न्यायलय है उसका फैसला तथ्यों के आधार पर होता है बिहार का चुनाव भाषण से ज्यादा काम के महत्व को देखता है और इसका परिणाम सामने आया और इधर जो 1साल में काम हुआ है उससे महिलाओ को बहुत भारी मात्रा में कहीं ना कहीं रोजगार के साधन उपलब्ध हुए हैं शहर ही नहीं गाँव में भी और रोड सड़क और बिजली पानी की समस्या हल हुई है जो अभी 10 हजार भी मिली है वो लोग नीतीश कुमार की ही निर्णय समझ रही है इसलिए नीतीश कुमार को हल्के में न लेकर अगला मुख्य मंत्री चुनना एन डी ए की सही रणनीति रही एक ठीक नहीं था उनको बिहार का चप्पा चप्पा मालूम है जब तक हैं नीतीश कुमार हैं तब तक जेडीयू रहेगी उसके बाद क्या होगा मुझे भी मालूम नहीं और जेडीयू के विधायक को तोड़ना भी आसान नहीं है क्योंकि ऐ पहले भी आजमाया गया है नीतीश कुमार का वर्षों का मेहनत और ईमानदारी नारी जागरण के कारण उनकी पार्टी को अधिक वोट मिला है बीजेपीं ने कई वरिष्ठ नेता जो लागातार जीतते आ रहें थे उनके टिकट काटने से उनके समर्थक नाराज हो गए और अधिकतर ने नोटा डाला होगा ऐ मैं किसी के इलाके में पूछने से मिला है सच क्या है ऐ मैं भी नहीं बता सकता हूँ लेकिन मुझे नीतीश कुमार पुनः बिहार की सेवा में मुख्यमंत्री बनने की पुरी संभावना पहले ही दिख रही थी बीजेपीं ने शांति से काम लेना उनकी आगे की राजनीति के लिए फायदेमंद है क्योंकि शायद ऐ नीतीश कुमार की अंतिम चुनाव होगा उसके बाद तो बीजेपीं के पास ही कमान आती और ऐ भी देखना चाहिए की केंद्र में 12 सांसद है जो सरकार बनाने में अहम भूमिका अदा कर रहें हैं बीजेपीं निश्चित रूप से अच्छा काम कर रही है जिसमें प्रधानमंत्री जी का अहम योगदान है लेकिन सत्ता में बने रहने के लिए नम्बर मायने रखते हैं लोग सोच रहें थे शायद वो खुद ही बिहार की राजनीती से हट कर केंद्र में आ सकते हैं लेकिन मुख्य मंत्री बनने का इरादा नहीं होता तो इतनी जनसभा नहीं करते और इतने सक्रिय भी नहीं होते उन्होंने कई मीटिंग, अपने खास केंद्रीय मंत्री, ललन सिंह व कार्यकारी अध्यक्ष झा जी को नहीं बुलाकर मीटिंग ली है बूथों का बहुत ही गंभीरता से हालत की जानकारी ली है और वहाँ अन्त अन्त तक वोटिंग हुई है इसलिए वोटिंग प्रतिशत काफी बढ़ी है इधर प्रधानमंत्री के रैली और रोड शो से नीतीश के ना होने से ऐ मैसेज गया की शायद कुछ गड़बड़ है और यही बीजेपी को कम संख्या ला सकती है जहाँ प्रधानमंत्री के भाषण के मंच पर खुद वहाँ से खड़े विधायक रेनू देवी या चयनित सांसद राजीव प्रताप रुड़ी ने नीतीश कुमार को मुख्य मंत्री बनाने का खुला ऐलान किया था क्योंकि उन्हें बिहार की हकीकत मालूम है कि नीतीश के अलावा एन डी ए में क़ोई दूसरा चेहरा नहीं है.नीतीश कुमार ने बिहार के लिए वर्षों से जो काम किया है उसे एक झटके में ख़त्म नहीं किया जा सकता बाजी जितने के लिए वहाँ के मतदाता के मन को समझना जरुरी है अतः फिलहाल क्या होगा कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन इतना जरूर है पहली पारी नीतीश कुमार ने बहुमत हासिल की है अब बिहार में 2030 के चुनाव में देखते हैं क्या होगा फिलहाल तो नीतीश कुमार ने अपना लोहा मनवा ही लिया लेकिन सब एक समय के बाद ख़त्म होता है सत्ता की लालच तो सबको रहती है लेकिन उसे बनाए रखना भी एक कठिन काम है अतः एक समय के बाद सब कुछ छोड़ कर नए को मौका देना चाहिए जो भी सत्ता में पुराने हो गए हैं और ईश्वर का ध्यान करें तो अन्त समय में मोह माया से निकल सकते हैं। जैसा कभी पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटलजी ने किया था। ईएएमस / 21 नवम्बर 25