लेख
23-Nov-2025
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क्रैश के बाद भी चमकेगा भारत का स्वदेशी सितारा? 21 नवंबर को दुबई वर्ल्ड सेंट्रल (अल-मक्तूम) एयरपोर्ट पर आयोजित एयर शो के दौरान भारतीय वायुसेना का स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) ’तेजस एमके-1ए’ अचानक नियंत्रण खोकर नीचे गिर गया और आग के गोले में बदल गया। भारतीय वायुसेना ने हादसे की पुष्टि करते हुए कहा कि इस दुर्घटना में पायलट की शहादत हुई है और घटना की खोज के लिए कोर्ट-ऑफ-इंक्वायरी गठित की गई है। दुबई एयरशो के दौरान हजारों लोग अपनी आंखें ऊपर टिकाए उस गर्वित क्षण को देख रहे थे, जब भारत का तेजस एमके-1ए देश की आकाश में अपने कौशल की झलक दिखा रहा था परंतु कुछ ही पलों में यह दृश्य एक भयावह त्रासदी में बदल गया। विमान ने अचानक अपनी स्थिरता खो दी, जैसे किसी ने उसकी धड़कन रोक दी हो और देखते-ही-देखते वह सीधे नीचे गिरता हुआ आग के विशाल गोले में परिवर्तित हो गया। धुएं का काला गुबार ऊपर उठा और पूरा एयरशो मानो स्तब्ध होकर ठहर गया। स्वदेशी इंजीनियरिंग का सबसे चमकदार प्रतीक यह वही तेजस है, जिसने पहली बार 2001 में उड़ान भरी थी और 23 वर्षों तक किसी भी दुर्घटना का शिकार नहीं हुआ। दुनिया के कई हल्के लड़ाकू विमानों में तेजस को सबसे सुरक्षित माना जाता था और आज भी उसकी श्रेणी में यह एक अत्यंत विश्वसनीय प्लेटफॉर्म है। तेजस क्रैश का यह दूसरा मामला है। पहला मार्च 2024 में राजस्थान के जैसलमेर के पास हुआ था, जिसमें पायलट सुरक्षित इजेक्ट हो गए थे। बाद की जांच में पाया गया था कि उस दुर्घटना का कारण इंजन का अचानक सीज होना था। इसके पीछे ऑयल पंप में खराबी की संभावना बताई गई थी। उस घटना के बाद पूरे एलसीए एमके-1 बेड़े की विस्तृत सुरक्षा जांच की गई और पाया गया कि विमान में कोई प्रणालीगत सुरक्षा खामी नहीं है। ऐसी स्थिति में दुबई हादसा एक बार फिर प्रश्न उठाता है कि आखिर इस विश्वसनीय प्लेटफॉर्म ने प्रदर्शन के दौरान अचानक ऐसा व्यवहार क्यों किया, जिसने पायलट को प्रतिक्रिया का भी अवसर नहीं दिया? दुबई एयरशो में विमान द्वारा किए जा रहे मैन्यूवर्स के दौरान जो दृश्य सामने आए, उन्होंने विशेषज्ञों के बीच कई सवाल पैदा किए हैं। विमान तेज गति से एक मोड़ ले रहा था और सामान्यतः ऐसी परिस्थितियों में तेजस जैसे आधुनिक चौथी पीढ़ी के विमान स्थिर रहते हैं परंतु पलभर में ही उसका नियंत्रित ग्लाइड अचानक एक फ्री-फॉल में तब्दील हो गया। विमान के नीचे आते ही कुछ ही सैकेंड में वह पूरी तरह आग में घिर गया। ऐसे में सवाल यही है कि क्या तेजस में कोई ऐसी खामी थी, जो वह दुर्घटनाग्रस्त हुआ। क्या उसकी उड़ान से पहले फिट होने की सही तरह से जांच नहीं की गई थी? न केवल देश बल्कि दुनिया के सामने यह सामने आना जरूरी है कि आखिर तेजस एकाएक हवा से सीधा जमीन पर क्यों आ गिरा क्योंकि इसे पूरी तरह सुरक्षित माना जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, या तो विमान को अचानक पावर लॉस हुआ या किसी महत्वपूर्ण नियंत्रण प्रणाली ने काम करना बंद कर दिया। यह भी संभव है कि अत्यधिक तेज कोण (एंगल ऑफ अटैक) में मोड़ लेते हुए विमान एरोडायनामिक स्टॉल का शिकार हो गया हो परंतु अनुभवी टेस्ट पायलट ऐसे मैन्यूवर के दौरान सामान्यतः नियंत्रण नहीं खोते। इसलिए जांच की दिशा स्वाभाविक रूप से किसी तकनीकी विफलता, इंजन व्यवहार, नियंत्रण प्रणाली या अचानक हुई किसी यांत्रिक टूट-फूट की तरफ जाएंगी। तेजस एमके-1ए को भारत का सबसे आधुनिक, हल्का और अत्याधुनिक तकनीक वाला लड़ाकू विमान माना जाता है। यह सुपरसोनिक गति से उड़ान भर सकता है, बियॉन्ड विजुअल रेंज मिसाइलें दाग सकता है और एक साथ कई लक्ष्यों को भेद सकता है। इसका ढ़ांचा टाइटेनियम, एल्युमिनियम-लिथियम मिश्रधातुओं और कार्बन फाइबर कंपोजिट से बना है, जिससे यह बेहद हल्का और मजबूत बनता है। यह हल्का वजन ही इसे असाधारण फुर्ती प्रदान करता है। तेजस की रेंज, पेलोड और युद्धक क्षमता इसे एशिया और अफ्रीका के कई देशों में आकर्षण का केंद्र बनाती हैं। मलेशिया, तुर्कमेनिस्तान, इजिप्ट, यूएई, श्रीलंका और सिंगापुर जैसे देश इसमें रुचि दिखा रहे हैं। इसीलिए दुबई एयरशो में तेजस की उपस्थिति भारत के लिए केवल तकनीक का प्रदर्शन नहीं थी बल्कि यह एक अंतर्राष्ट्रीय मंच था, जहां भारत अपनी रक्षा विनिर्माण क्षमता का भरोसेमंद चेहरा पेश कर रहा था। ऐसे में तेजस का प्रदर्शनी के दौरान दुर्घटनाग्रस्त होना स्वाभाविक रूप से भारत की निर्यात संभावनाओं के लिए चिंता का विषय है। हालांकि रक्षा विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि एक अकेली दुर्घटना किसी विमान की छवि को स्थायी रूप से धूमिल नहीं करती, बशर्ते जांच पारदर्शी, तेज और गहन हो। एफ-16, मिग-29, राफेल, ग्रिपेन इत्यादि दुनिया के लगभग सभी प्रसिद्ध युद्धक विमानों की शुरुआती वर्षों में दुर्घटनाएं हुई थी लेकिन समय के साथ वे दुनिया के सबसे विश्वसनीय प्लेटफॉर्म बने। अतः तेजस के लिए भी यह निर्णायक परीक्षा का समय है। तेजस भारत का पहला पूर्णतः स्वदेशी लड़ाकू विमान है, हालांकि इसका इंजन अमेरिकी कंपनी जीई से आता है। भारत और जीई के बीच 2021 और 2023 में हुए समझौतों के तहत एमके-1ए और एमके-2 कार्यक्रम के लिए इंजन की आपूर्ति सुनिश्चित की गई है। इंजनों पर आंशिक निर्भरता के बावजूद तेजस की बाकी प्रणाली(डिजाइन, ढ़ांचा, एवीओनिक्स, राडार) भारत द्वारा विकसित की गई हैं। तेजस को भारतीय वायुसेना में 2016 में शामिल किया गया था और तब से इसकी दो स्क्वाड्रन सेवा में हैं। एमके-1ए संस्करण, जो कि दुर्घटनाग्रस्त विमान का मॉडल था, तेजस परिवार का सबसे उन्नत संस्करण माना जाता है। इसके लिए 2021 में भारत सरकार ने एचएएल को 48,000 करोड़ रुपये का बड़ा अनुबंध दिया था और हाल ही में इसकी 97 और इकाईयों के लिए लगभग 62,000 करोड़ रुपये का नया समझौता हुआ था। इसका मतलब है कि भारत आगामी वर्षों में तेजस को अपनी वायुसेना का मुख्य लाइट-फाइटर प्लेटफॉर्म बनाने की दिशा में बढ़ चुका है। ऐसे समय में दुबई जैसी अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी में हुआ यह क्रैश सार्वजनिक विमर्श में कई प्रश्न छोड़ गया है। क्या यह तकनीकी खामी थी? क्या प्रदर्शन की परिस्थितियां अनुकूल नहीं थी? क्या किसी बाहरी तत्व ने विमान के व्यवहार को प्रभावित किया? क्या पूर्व क्रैश से सीखी गई तकनीकी सीखों को एमके-1ए में पर्याप्त रूप से शामिल किया गया था? इस घटना का एक और भावनात्मक पक्ष है, पायलट की शहादत। एक टेस्ट पायलट उच्च-जोखिम वाले वातावरण में उड़ान भरता है। वे केवल उड़ान नहीं भरते बल्कि हर उड़ान में विमान, उसकी प्रणालियों और उसकी हर क्षमता का परीक्षण करते हैं। इसीलिए उन्हें एयरोनॉटिक्स का अग्रदूत माना जाता है। इस हादसे के बीच यह तथ्य नहीं भुलाया जा सकता कि तेजस अब भी भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता, सामरिक क्षमता और रक्षा-विकास की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है। इस दुर्घटना से तेजस का भविष्य खत्म नहीं होता बल्कि यह उसके विकास की गति को और तर्कसंगत, वैज्ञानिक और मजबूत बनाने का अवसर बन सकता है। कई देशों में एक दुर्घटना के बाद विमान को और अधिक बेहतर बनाया गया है। बहरहाल, जांच के निष्कर्षों के आधार पर यदि एचएएल और वायुसेना तेजी से सुधार लागू करते हैं तो यह तेजस की विश्वसनीयता को और बढ़ा सकता है। एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि दुर्घटनाओं का प्रभाव निर्यात बाजार में केवल तब गहरा होता है, जब दुर्घटनाएं बार-बार हों या जांच में प्रणालीगत खामी सामने आए। तेजस अभी भी अपनी श्रेणी में दुनिया के सबसे सुरक्षित और अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों में गिना जाता है। यह हल्का है, कम कीमत में मिलता है, इसकी संचालन लागत कम है और छोटे-बीच के देशों के लिए आदर्श विकल्प है। इसलिए दीर्घकाल में इसके निर्यात पर इस घटना का अति-नकारात्मक प्रभाव होने की संभावना बेहद कम है, बशर्ते भारत इस दुर्घटना पर त्वरित, पारदर्शी और विश्वसनीय प्रतिक्रिया दे। न्यायपूर्ण जांच, तेजी से लिए गए सुधारात्मक कदम और तकनीकी सुधार, ये तीन तत्व ही सुनिश्चित करेंगे कि तेजस अपनी उड़ान और अधिक ऊंची और स्थिर बनाए रखे। तेजस देश की इच्छाशक्ति का प्रतीक, वैज्ञानिक प्रतिभा का प्रमाण और भविष्य की वायु-क्षमता का आधार भारत का स्वदेशी लड़ाकू विमान है। उम्मीद की जानी चाहिए कि न्यायपूर्ण जांच के बाद तेजस वैश्विक मंच पर और मजबूत होकर उभरेगा। ईएमएस/ 23 नवम्बर 2025