राष्ट्रीय
22-Nov-2025
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नई दिल्ली,(ईएमएस)। दिल्ली में हुए धमाके की जांच में आए दिन नए खुलासे हो रहे हैं। जांच एजेंसियां भी इस मामले में अलग-अलग ऐंगल से जांच कर रहीं हैं। इस जांच में अब एक नया एंगल जुड़ रहा है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी की लैब में ग्लासवेयर (कांच का सामान) एंट्री, कंज्यूमेबल रिकॉर्ड और केमिकल उठान के डेटा का मिलान नहीं हो रहा। ये चीजें बार-बार छोटे बैचों में ले जाई गई थीं। जम्मू-कश्मीर में अस्पतालों और कॉलेजों के लॉकरों के साथ-साथ उर्वरक और रसायन बेचने वालों पर सख्ती शुरू हो गई है। पुलिस और स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी और निजी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों, प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स और अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टरों और कर्मचारियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे लॉकरों की जांच तेज कर दी है। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि इसका मकसद सुनिश्चित करना है कि लॉकरों का गलत इस्तेमाल न हो। पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के एक हैंडलर ने लाल किला ब्लास्ट के आरोपी डॉ. मुजम्मिल अहमद गनई को बम बनाने से जुड़े 42 वीडियो भेजे थे। ये उसके मोबाइल से रिकवर हुए हैं। मीडिया में चल रहीं खबरों के मुताबिक कुछ ग्लासवेयर की एंट्री तो हुई, लेकिन खपत या टूट-फूट रिकॉर्ड में नहीं। संदेह है कि ये केमिकल और सामान थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बाहर ले जाया गया। इसे शैक्षणिक गतिविधियों के नाम पर छिपाया गया। कांच का सामान और छोटे कंटेनर बाहर ले जाए गए, वे सटीक मिश्रण और स्टेबलाइजेशन टेस्टिंग में इस्तेमाल होते हैं। मामले की जांच कर रही एनआईए ने अब डॉ. मुजम्मिल, डॉ. शाहीन और डॉ. अदील को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ भी शुरू कर दी है। इन लोगों से पता किया जा रहा है कि लैब से निकलने वाले रसायन चुनता कौन था। ब्लेंडिंग/मिक्सिंग की वैज्ञानिक प्रक्रिया किसने डिजाइन की? एजेंसियों का मानना है कि यह मॉड्यूल हाई-इंटेलेक्ट साइंटिफिक नेटवर्क था। बता दें10 नवंबर की दिल्ली में लाल किला मेट्रो स्टेशन की पार्किंग के पास शाम 6.52 बजे हुए कार ब्लास्ट में 15 लोगों की मौत हुई है। 20 से ज्यादा घायल हैं। व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल और आतंकी अटैक में अब तक 6 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। हमास की तरह हमले की तैयारी थी दिल्ली ब्लास्ट की जांच में सुरक्षा एजेंसियों ने बड़ा खुलासा किया था कि जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी मॉड्यूल कश्मीर के अस्पतालों को हथियारों का ठिकाना बनाने की कोशिश कर रहा था। यह तरीका हमास की रणनीति से मिलता-जुलता है, जो नागरिक इलाकों और अस्पतालों को हथियारों के ठिकाने के रूप में इस्तेमाल करता है। ऐसा माना जा रहा है कि इस नेटवर्क को तोड़ने के लिए शुक्रवार को भी गांदरबल और कुपवाड़ा जिलों के कई सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ के लॉकर्स की तलाशी ली गई। यह तलाशी अभियान बुधवार से ही जारी है। पूर्व डीजीपी ने कहा आतंकी 1990 में अस्पतालों का हथियारों के ठिकाने के रूप में इस्तेमाल करते थे। जिसके बाद आर्मी और पुलिस ने इसे पूरा क्लीन किया था। अब फिर अस्पतालों को ठिकाना बनाया जा रहा था। वीरेंद्र/ईएमएस/22नवंबर2025