क्रोध में मनुष्य अपने मन की बात नहीं कहता, वह केवल दूसरों का दिल दुखाना चाहता है। - प्रेमचंद नियम के बिना और अभिमान के साथ किया गया तप व्यर्थ ही होता है। - वेदव्यास ईएमएस / 23 नवम्बर 25
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