* शहर का 12.58% क्षेत्र डेंजर जोन में कोरबा (ईएमएस) जानकारी देते हुए बताया जा रहा हैं की कोरबा नगर निगम क्षेत्र में भू-जल स्रोत को बेहतर बनाने 10 जगह पर वाटर रि-स्टोर पिच बनाने का काम शुरू किया गया है। इससे बारिश का पानी 280 फीट गहरे पिच में जाएगा। यह वाटर हार्वेस्टिंग से अलग सिस्टम है। इस सिस्टम के लिए बोर कराया जा रहा है, ताकि बारिश का पानी उसमें समा सके। इससे भू-जलस्तर को सामान्य बनाए रखने में मदद मिलेगी। पिच बनाने के लिए 50 लाख रुपए की मंजूरी मिली है। कोरबा नगर के भू-जल स्रोत की जांच इसरो और नेशनल रिमोट सोर्सिंग सेंटर की संयुक्त टीम ने की थी। यह जांच रिपोर्ट 8 महीने पहले सौंपी गई। इसमें बताया गया है कि 48.41 प्रतिशत क्षेत्र का भू-जल स्रोत ही सुरक्षित है। शहर के 5.27 प्रतिशत क्षेत्र की स्थिति चिंताजनक और 12.58 प्रतिशत क्षेत्र की स्थिति डेंजर जोन में है। इसके अंतर्गत शहर में भैरोताल रामपुर, कोहड़िया, रिसदा, दादर-खुर्द की स्थिति भी चिंताजनक पाई गई है। इसका कुछ हिस्सा मानिकपुर खदान के कारण भी प्रभावित हुआ है। रिपोर्ट के बाद निगम ने भू-जल स्रोत बेहतर बनाने के लिए प्लानिंग की। सड़क किनारे वाटर रि-स्टोर पिच बनाना तय किया गया। भू-जल स्रोत कमजोर होने गर्मियों में पानी की समस्या शुरू हो जाती है। इसरो और नेशनल रिमोट सोर्सिंग सेंटर के सुझाव के तहत भू-जलस्तर मेंटेन करने वाटर रि-स्टोर पिच बनाने का काम चल रहा है। आगामी बारिश के पहले काम पूरा हो जाएगा। इसके बाद बाकी क्षेत्रों के लिए प्लानिंग करेंगे। कोरबा नगर निगम ईई राकेश मसीह ने बताया की वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को भी ठीक कराया गया है। कोरबा वाटर रि-स्टोर पिच इंदिरा स्टेडियम परिसर टी.पी. नगर से बनाने शुरुआत की गयी है। कलेक्टोरेट परिसर में निर्माण जारी है। नया बस स्टैंड, टी.पी. नगर मुख्य मार्ग में बांई तरफ, मिनीमाता गर्ल्स कॉलेज, सियान के पास, घंटाघर भवन के पास, जिला पंचायत कार्यालय परिसर में भी बनाया जाएगा। कई क्षेत्रों में भू-जल स्तर 73 मीटर नीचे चला जाता है। इसमें लगातार गिरावट भी आ रही है। अभी बारिश का पानी बहकर नदी-नालों में जाता है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग भी जर्जर होने से अधिक मदद नहीं मिल रही है। * कलेक्टोरेट परिसर में निर्माण बनाएंगे टी.पी. नगर में भी बारिश का पानी रोकने चेकडैम की प्लानिंग भू-जल स्तर बढ़ाने के लिए चेकडैम, वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को कारगर माना जाता है। बारिश का पानी रोकने के लिए 7.9 प्रतिशत क्षेत्र में बड़े पैमाने पर काम करने की जरूरत है। शहरी क्षेत्र में 19.5 प्रतिशत भू-जल स्रोत ही सुरक्षित है। खदान क्षेत्र में भू-जल स्तर बढ़ाने कोई उपाय भी नहीं हो सकता। इस वजह से नदी और नालों पर चेकडैम बनाने की प्लानिंग हो रही है। खदान प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति चिंताजनक रिपोर्ट के अनुसार सबसे खराब स्थिति कोयला खदान क्षेत्रों में है। इनमें बाम्हनपाठ, बरबसपुर, बरकुटा, बरपाली, भठोरा, भिलाईबाजार, भिलाईखुर्द, मनगांव, नरईबोध, रलिया, स्याहीमुड़ी क्षेत्र आदि शामिल है। शहर के बरबसपुर का क्षेत्र मानिकपुर खदान के किनारे है। बाकी क्षेत्रों में कोयला खनन भी शुरू हो गया है और लगातार विस्तार हो रहा है। 24 नवंबर / मित्तल