नई दिल्ली,(ईएमएस)। ऑपरेशन सिंदूर, ब्लू स्टार या कारगिल विजय दिवस जैसे अभियानों के शहीदों की कहानियां तो हर भारतीय जानता है, लेकिन ऑपरेशन पवन? शायद ज्यादातर का जवाब नहीं होगा। यह भारत का आजादी के बाद का पहला बड़ा विदेशी सैन्य अभियान था, जिसमें 1,171 जवान शहीद हुए और 3,500 से अधिक घायल। 26 नवंबर 2025 को पहली बार सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (एनडब्ल्यूएम) पर इन वीरों को आधिकारिक श्रद्धांजलि देंगे। यह ऐतिहासिक क्षण है, जो दशकों पुरानी उपेक्षा को समाप्त करेगा। 1987-90 के बीच श्रीलंका में चले इस अभियान की शुरुआत राजीव गांधी सरकार के फैसले से हुई। श्रीलंका के तमिल-सिंहला गृहयुद्ध को समाप्त करने के लिए भारतीय शांति सेना (आईपीकेएफ) भेजी गई। इंडो-श्रीलंका समझौते के तहत लिट्टे (एलटीटीई) जैसे तमिल उग्रवादी संगठनों को हथियार डलवाने और जाफना प्रायद्वीप पर नियंत्रण स्थापित करने का लक्ष्य था। लेकिन लिट्टे ने समझौता तोड़ा और आईपीकेएफ से ही युद्ध छेड़ दिया। अक्टूबर 1987 से मार्च 1990 तक चले इस संघर्ष में जंगलों और झाड़ियों में छिपे लिट्टे के साथ लड़ाई इतनी विकट थी कि कई जवान साथियों की लाशें तक नहीं ला सके। मार्च 1990 में श्रीलंका सरकार के दबाव पर आईपीकेएफ को वापस बुला लिया गया, लेकिन नुकसान अपूरणीय था। इस अभियान का सबसे बड़ा नायक परम वीर चक्र विजेता मेजर रामास्वामी परमेश्वरन हैं, जो 25 नवंबर 1987 को शहीद हुए। एकमात्र पीवीसी प्राप्तकर्ता के रूप में उनकी वीरता अमर है—उन्होंने लिट्टे के हमले में अकेले कई दुश्मनों का सफाया किया। लेकिन दुख की बात, एनडब्ल्यूएम पर अब तक ऑपरेशन पवन का कोई स्मृति पट्ट भी नहीं था। हर साल पूर्व सैनिक, शहीदों की विधवाएं और परिजन चुपचाप श्रद्धांजलि देते रहे, लेकिन सरकारी स्तर पर कोई मान्यता नहीं। श्रीलंका ने तो कोलंबो में आईपीकेएफ स्मारक बना रखा है। पहली आधिकारिक स्मृति 25 नवंबर को होगी, जब जनरल द्विवेदी और उप-सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल पुष्पेंद्र सिंह पुष्पचक्र चढ़ाएंगे। पूर्व सैनिक, शहीद परिवार और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहेंगे। एक पूर्व सैनिक ने कहा, 38 साल बाद पहचान मिल रही है, अब तसल्ली होगी। यह समारोह आईपीकेएफ दिग्गजों की लंबी मांग पूरी करेगा, जो 1971 या कारगिल जैसे अभियानों की तरह एक समर्पित दिवस की अपेक्षा करते रहे। ऑपरेशन पवन ने न केवल शांति प्रयासों की सीमाएं दिखाईं, बल्कि संयुक्त कमांड की नींव भी रखी। यह श्रद्धांजलि उन अनसुने नायकों को न्याय देगी, जो भारत की पड़ोसी नीति के लिए बलिदान हुए। वीरेंद्र/ईएमएस/25नवंबर2025