राष्ट्रीय
25-Nov-2025


नई दिल्ली,(ईएमएस)। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को हेट स्पीच से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान अप्रत्याशित रूप से ‘गोभी’ और बिहार चुनाव का मुद्दा छा गया। दरअसल जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की डबल बेंच के सामने सीनियर एडवोकेट निजाम पाशा ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते हेट स्पीच और आर्थिक बहिष्कार की घटनाओं का मुद्दा उठाया। एडवोकेट पाशा ने अदालत को बताया कि फल–सब्जी बाजारों में अल्पसंख्यक व्यापारियों के बहिष्कार की अपीलें की जा रही हैं और कुछ सांसद–विधायक भी ऐसे बयान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही, इसलिए दिशा-निर्देश बनाए जाएं। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हेट स्पीच सभी धर्मों के खिलाफ हो रही है, सिर्फ एक धर्म तक बात सीमित नहीं है। पाशा ने जब केंद्र की निष्क्रियता पर सवाल उठाया तो एसजी बोले— मैं स्टेट नहीं हूं, यूनियन हूं। लॉ एंड ऑर्डर मेरी जिम्मेदारी नहीं है। यह कोर्ट है, पुलिस चौकी नहीं: जस्टिस मेहता दायर याचिका पर सवाल उठाते हुए जस्टिस संदीप मेहता ने तीखी टिप्पणी की और कहा, यह कोर्ट देश भर की हर घटना मॉनिटर नहीं कर सकती। अगर राज्य कार्रवाई नहीं कर रहा, तो हाईकोर्ट जाइए। यह सुप्रीम कोर्ट है, कोई पुलिस आउटपोस्ट नहीं। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि मुख्य याचिका की आड़ में सुप्रीम कोर्ट कोई कानून नहीं बनाएगा और देश के हर छोटे इलाके की घटना हमारी निगरानी में नहीं आ सकती। जब बहस गर्म होने लगी तो वरिष्ठ जज जस्टिस विक्रम नाथ ने हस्तक्षेप कर मामला शांत कराया। उन्होंने कहा कि याचिका को मुख्य रिट पिटीशन के साथ 9 दिसंबर की सुनवाई में टैग किया जाएगा, ताकि सभी संबंधित मुद्दों पर एक साथ सुनवाई हो सके। गोभी और बिहार चुनाव का कनेक्शन एडवोकेट पाशा ने सुनवाई के दौरान असम सरकार के मंत्री अशोक सिंघल के हालिया सोशल मीडिया पोस्ट का हवाला दिया। एनडीए की बिहार चुनाव में बड़ी जीत के बाद सिंघल ने गोभी के खेतों की तस्वीर साझा करते हुए लिखा था, कि बिहार ने गोभी की खेती को मंजूरी दे दी है। राजनीतिक हलकों ने इसे सांप्रदायिक संकेत के रूप में लिया। इसका संदर्भ 1989 के भागलपुर दंगे से जोड़ा गया, जहां आरोप है कि दंगे में मारे गए अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के शव खेतों में दफनाए गए थे और बाद में उन खेतों में गोभी की फसल उगा दी गई थी। इसी ऐतिहासिक संदर्भ को वर्तमान बयान से जोड़कर पाशा ने अदालत में कहा कि यह कम्युनल हिंसा को उकसाने वाला बयान है। अब यह मामला 9 दिसंबर को मुख्य हेट स्पीच याचिका के साथ सुनवाई के लिए आएगा। अदालत यह तय करेगी कि क्या ऐसी घटनाओं पर केंद्र या राज्यों की कार्रवाई पर्याप्त है या दिशानिर्देशों की आवश्यकता है। हिदायत/ईएमएस 25नवंबर25