क्षेत्रीय
25-Nov-2025
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वाराणसी (ईएमएस) । अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान (इरी) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क) के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह को भारतीय एग्रोनॉमी सोसाइटी के फेलो अवार्ड से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार एग्रोनॉमी के क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मानों में से एक है, जो कृषि अनुसंधान, नवाचार और टिकाऊ खेती प्रणालियों में विशिष्ट योगदान को मान्यता देता है। डॉ. सिंह को यह सम्मान एग्रोनॉमी के क्षेत्र में उनके विगत तीन दशकों के उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान किया गया। यह पुरस्कार उन्हें अंतर्राष्ट्रीय मक्का एवं गेहूं सुधार केंद्र (सिमिट) के महानिदेशक डॉ. ब्रैम गोवर्ट्स और रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पंजाब सिंह द्वारा प्रदान किया गया। यह सम्मान 6वें अंतर्राष्ट्रीय एग्रोनॉमी कांग्रेस के दौरान दिया गया, जिसका विषय था “स्मार्ट एग्री-फूड सिस्टम और पर्यावरणीय संरक्षण के लिए एग्रोनॉमी का पुनःपरिकल्पन”। यह अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस 24 से 26 नवंबर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित हो रही है। इस कांग्रेस का उद्घाटन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया, जिसमें केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री भगीरथ चौधरी, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव देवेश चतुर्वेदी, और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट की गरिमामयी उपस्थिति रही। इस आयोजन में भारत एवं विश्वभर से आए 500 से अधिक प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं, जिनमें वैज्ञानिक, नीति-निर्माता, शोधकर्ता और प्रगतिशील किसान शामिल हैं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले के निवासी डॉ. सुधांशु सिंह एक विश्व-प्रसिद्ध एग्रोनॉमिस्ट हैं। उन्होंने आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, अयोध्या से कृषि में बी.एससी. तथा एग्रोनॉमी में एम.एससी. की पढ़ाई की और दोनों ही पाठ्यक्रमों में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत राजस्थान सरकार में अधिकारी के तौर पर की और बाद में फिलीपींस स्थित अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान (इरी) में बाढ़ सहनशील (सब1) धान पर पीएच.डी. शोध किया, जिसके बाद उन्होंने पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप पूरा किया। डॉ. सिंह ने 2013 से 2020 तक इरी में दक्षिण एशिया के लिए सिस्टम एग्रोनॉमिस्ट के रूप में कार्य किया और वर्तमान में इरी के दक्षिण एशिया केंद्र के निदेशक के रूप में नेतृत्व कर रहे हैं। डॉ. सिंह के शोध ने तनाव-सहिष्णु धान किस्मों, धान की सीधी बुआई तकनीकों, यंत्रीकृत धान-गेहूं प्रणालियों, ग्रीनहाउस गैस न्यूनीकरण और बीज प्रणाली को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने ‘सीड्स विदाउट बॉर्डर्स’ जैसी वैश्विक पहल को आगे बढ़ाया है। डॉ. सिंह ने 30 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय परियोजनाओं का नेतृत्व किया है और 150 से अधिक वैज्ञानिक प्रकाशनों के लेखक हैं। भारतीय एग्रोनॉमी सोसाइटी के सक्रिय एवं आजीवन सदस्य के रूप में वे समाज की वैज्ञानिक पहुंच और वैश्विक पहचान को मजबूत करने में निरंतर योगदान दे रहे हैं। डॉ. सिंह के नेतृत्व में वाराणसी स्थित आइसार्क धान अनुसंधान और विकास का अग्रणी केंद्र बनकर उभरा है। इस कांग्रेस में एक विशेष सत्र “भारत में धान-गेहूं फसल प्रणाली का अनुकूलन और कम-उत्सर्जन धान उत्पादन तकनीक” शीर्षक से आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता डॉ. सुधांशु सिंह ने की। इस अवसर पर उन्होंने “खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए आनुवंशिक क्षमता का उपयोग” विषय पर तकनीकी सत्र की सह-अध्यक्षता भी की। इस कार्यक्रम में इरी के प्रमुख वैज्ञानिक, जिनमें डॉ. पन्नीरसेल्वम (एग्रोनॉमिस्ट, दक्षिण एशिया) और डॉ. स्वाति नायक (अंतरिम कंट्री मैनेजर, भारत एवं दक्षिण एशिया लीड – बीज प्रणाली एवं उत्पाद प्रबंधन) शामिल थे , जिन्होने टिकाऊ और जलवायु-सहिष्णु धान उत्पादन प्रणालियों की दिशा में आइसार्क के प्रमुख नवाचारों और इरी की वर्तमान प्रगति को प्रस्तुत किया। डॉ नरसिंह राम /25 नवंबर2025