दमोह (ईएमएस)। जिला पंचायत के अंतर्गत आने वाले विभागों में भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर दमोह जिला पंचायत में भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है। इसके साथ ही जिला पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्रामीण यंत्राकी सेवा विभाग में पदस्थ बाबू राजीव लोचन चौबे के द्वारा मुहली पड़ा सुदूर सड़क रिनोवेशन के नाम पर कार्य किए बिना ही एस डी ओ श्री महेंद्र सिंह ठाकुर के फर्जी हस्ताक्षर करके आरोपी बाबू राजीव लोचन चौबे के द्वारा 44 लाख रुपए का गबन किया गया। हमारे द्वारा लगातार खबरों का प्रकाशन इस गबन के खिलाफ किया गया लेकिन आज दिनांक तक आरोपी बाबू पर विभाग के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। वही ग्रामीण यंत्राकी सेवा विभाग में कार्यपालन यंत्री मनोज गुप्ता की नियुक्ति नियम विरुद्ध तरीके से कर दी गई है। ज्ञात हो कि मनोज गुप्ता कार्यपालन यंत्री दमोह के बजरिया नंबर 6 के मूल निवासी हैं और इनका मूल पद उप यंत्री का है। लेकिन इनको नियम विरुद्ध तरीके से ग्रामीण यंत्र की सेवा विभाग में कार्यपालन यंत्री का प्रभार सत्ता पक्ष के कुछ नेताओं के कहने पर दे दिया गया है। शासन के नियम के अनुसार किसी भी कर्मचारी को उसके गृह जिले में अधिकारी के पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता इस पर भी जिले के अधिकारी कोई संज्ञान नहीं ले रहे हैं। जबकि कार्यपालन यंत्री मनोज गुप्ता के द्वारा विभाग में जमकर भ्रष्टाचार लगातार किया जा रहा है। इनकी दमोह के सत्ता पक्ष विपक्ष और यहां के ठेकेदारों के साथ मधुर संबंध हैं और उनके द्वारा इनको अनुचित लाभ मोटा कमीशन लेकर पहुंचा जा रहा है। वही जिला पंचायत दमोह में किसी पत्रकार या आम नागरिक के द्वारा किसी भी ग्राम पंचायत में हुए भ्रष्टाचार की जांच के लिए आवेदन दिया जाता है। तो उस आवेदन को इनके द्वारा डस्टबिन में फेंक दिया जाता है। इनके पास आवेदक के आवेदन का कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। हमारे द्वारा एक आरटीआई जिला पंचायत ग्रामीण यंत्र की सेवा विभाग और जनपद पंचायत दमोह में लगाई गई थी जिसमें आवेदक ने पूछा था कि उनके द्वारा 1 जनवरी 2022 से दिनांक 1 जनवरी 2025 तक कुल कितने आवेदन दिए गए उसकी प्रमाण प्रति प्रदान करें लेकिन जिला पंचायत ग्रामीण यंत्र की सेवा विभाग और जनपद पंचायत दमोह में उसका कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। जनपद पंचायत दमोह के द्वारा आवेदक को एक पत्र जारी करके कहा गया कि आपके द्वारा कल तीन आवेदन दिए गए हैं जबकि आवेदक के द्वारा 85 अधिक आवेदन दिए गए हैं। वहीं पर जिला पंचायत और ग्रामीण यंत्र की सेवा विभाग ने आरटीआई की समय सीमा निकल जाने के बाद भी आवेदक को कोई पत्र जारी करके जानकारी उपलब्ध नहीं कराई है। यह अपने आप में एक आश्चर्य की बात है इनके द्वारा आरटीआई का भी कभी कोई जवाब नहीं दिया जाता और हमेशा आम नागरिकों और पत्रकारों को परेशान और गुमराह किया जाता है। जिससे कि इनके द्वारा किए गए करोड़ों रुपए के गबन आम जनता के सामने ना आ पाए जिला पंचायत दमोह में पदस्थ मनरेगा परियोजना अधिकारी अभिलाष शुक्ला के द्वारा जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है दमोह जिले के अनेक पत्रकारों के द्वारा सप्ताह में लगभग प्रतिदिन फर्जी मस्टर सरपंच के द्वारा डाले जाते हैं जबकि मौके पर मजदूर उपलब्ध नहीं होते और उनके द्वारा फर्जी फोटो को मनरेगा पोर्टल पर अपलोड किया जाता है। लेकिन परियोजना अधिकारी अभिलाषा शुक्ला के द्वारा आज दिनांक तक एक भी मामले में कार्यवाही नहीं की गई है। ज्ञात हो कि अभिलाष शुक्ला पिछले कई वर्षों से दमोह में अपनी राजनीतिक पहुंच के चलते अंगद के पैर के जैसे जमी हुई है। जब भी इनको हमारे द्वारा फोन किया जाता है। तब उनके द्वारा हमारा फोन रिसीव नहीं किया जाता वहीं जिला पंचायत सीईओ से जब बात करने का प्रयास इस मुद्दे पर किया जाता है। तब वह केमरे पर कुछ भी नहीं कहते और इनके द्वारा सभी बातों को गोल-गोल कर दिया जाता है अब देखना होगा खबर प्रशासन के बाद जिला पंचायत और उसके अंतर्गत आने वाले विभागों में खबर प्रशासन के बाद जिम्मेदार दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही होती है कि नहीं अपने आप में एक देखने वाली बात होगी क्योंकि आज दिनांक तक पत्रकारों के द्वारा जितनी भी भ्रष्टाचार की खबरों का प्रकाशन इन विभागों को लेकर किया गया है। लेकिन एक खबर पर भी जिला प्रशासन ने संज्ञान नहीं लिया और एक भी दोषी कर्मचारी और दोषी अधिकारी पर कार्यवाही नहीं की।