लेख
26-Nov-2025
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भारत की आध्यात्मिकता, परंपरा और सांस्कृतिक वैभव का ऐसा विराट रूप कम ही देखने को मिलता है, जैसा कि अभिजीत मुहूर्त में आयोजित ध्वजारोहण समारोह के दौरान दिखाई दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा धर्मध्वजा का सामूहिक आरोहण केवल एक धार्मिक अनुष्ठान भर नहीं था, बल्कि यह भारत की सनातन पहचान, उसकी सांस्कृतिक जड़ों और अडिग आस्था का भव्य उद्घोष भी था। शहर को फूलों से सुसज्जित कर जब यह आयोजन सम्पन्न हुआ तो ऐसा लगा मानो पूरा वातावरण भक्ति, उल्लास और राष्ट्रभाव से सराबोर हो उठा हो। अभिजीत मुहूर्त में ध्वजारोहण आध्यात्मिक पुनर्जागरण का प्रतीक है।हिंदू धर्मशास्त्रों में अभिजीत मुहूर्त को अत्यंत शुभ माना गया है। इस मुहूर्त में किया गया कार्य सफल, स्थायी और कल्याणकारी माना जाता है। इसी पावन बेला में प्रधानमंत्री मोदी और मोहन भागवत द्वारा धर्मध्वजा का आरोहण भारतीयों के लिए गर्व का क्षण था।धर्मध्वजा केवल एक प्रतीक नहीं, बल्कि यह सत्य, धर्म और ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती है। इस ध्वजारोहण के साथ ऐसा प्रतीत हुआ कि भारतीय संस्कृति के गौरव का स्वर पुनः आकाश में गूंज उठा है।मोदी और भागवत का संयुक्त आयोजन संदेशों से भरा ऐतिहासिक क्षण था। प्रधानमंत्री मोदी और सर संघचालक मोहन भागवत की एक साथ उपस्थिति ने इस आयोजन को और अधिक ऐतिहासिक बना दिया। मोदी ने कहा कि सत्य की ही जीत होती है।यह संदेश आज के समय में समाज को दिशा देने वाला है।भागवत ने कहा कि जिन्होंने आंदोलन में प्राण अर्पित किए, आज उनकी आत्मा तृप्त हुई है।यह वक्तव्य उन बलिदानियों को समर्पित था, जिन्होंने धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व अर्पित किया।दोनों नेताओं के वक्तव्यों ने इस आयोजन को केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक चेतना से जोड़ दिया। एक किमी से अधिक लम्बा भव्य रोड शो भारतीय संस्कृति का सजीव प्रदर्शन था।ध्वजारोहण से पहले हुआ लगभग 1 किलोमीटर का विशाल रोड शो अपने आप में एक आकर्षक दृश्य था। लाखों लोगों की भीड़, हाथों में ध्वज, शंखध्वनि, ढोल-नगाड़ों की गूंज, और भक्ति गीतों की धुनें पूरे वातावरण को उत्सव में बदल रही थीं।देश और दुनिया ने भारतीय संस्कृति की एक जीवंत झलक देखी गई।पारंपरिक वाद्ययंत्र,लोककलाओं का प्रदर्शन,रंग-बिरंगे पुष्पों से सजा मार्ग,महिला समूहों की कलात्मक प्रस्तुतियाँ शहर भक्तिमय वातावरण में दिखाई दिया।ये दृश्य न केवल उत्सव का हिस्सा थे, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक गौरव का प्रतिबिम्ब भी थे। शहर में फूलों की वर्षा और सजावट भक्ति का अद्भुत वातावरण निर्मित किया। पूरे शहर को मानो एक विशाल मंदिर में बदल दिया गया हो। मुख्य मार्गों पर गेंदा, गुलाब, कमल और रजनीगंधा के फूलों की झालरें लटकाई गई थीं। ध्वजारोहण के समय आसमान से पुष्पवर्षा ने हर भक्त के चेहरे पर अलग ही आनंद भर दिया। भक्तों के चेहरे खिल उठे।ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे वर्षों का इंतजार इस क्षण में पूरा हो गया हो।भक्तों के जयकारों, मंत्रोच्चार और भक्ति भाव ने इस आयोजन को अविस्मरणीय बना दिया।पैराशूट नायलॉन की विशेष ध्वजा बनाई गई। आधुनिक तकनीक और परंपरा का समन्वय इस ऐतिहासिक अवसर पर जिस विशेष धर्मध्वजा का आरोहण किया गया, वह पैराशूट नायलॉन से निर्मित थी।यह ध्वजा मौसम-प्रतिरोधी,अत्यधिक टिकाऊ,और लंबे समय तक सुरक्षित रहने वाली है। पुरातन सांस्कृतिक ध्वजा को आधुनिक तकनीक की मजबूती के साथ जोड़कर एक नया संदेश दिया गया है।परंपरा और आधुनिकता साथ-साथ चल सकती है।देश की चेतना को जगाने वाले विचार है।जोकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश है कि ‘सत्य की विजय’ असत्य की हार हुई है।मोदी का वक्तव्य अपने आप में एक आध्यात्मिक और राजनीतिक दृष्टि का समन्वय था।उन्होंने कहा कि सत्य हमेशा विजयी होता है और यह वाक्य धर्मध्वजा के सार को व्यक्त करता है। मोहन भागवत का संदेश है कि इस धर्मध्वजा से ‘बलिदानों की आत्मा तृप्त’ हो गई है।जिन्होंने इतने वर्षों के लिए संघर्ष किया।राममंदिर बनाने का संकल्प जीते जी पूर्ण नही हुआ।वे आत्मा धर्मध्वजा के बाद तृप्त हो गई होगी।भागवत ने उन सभी महान लोगों को नमन किया जिन्होंने संस्कृति, परंपराओं और राष्ट्र के लिए बलिदान दिए।इस आयोजन ने मानो उनके त्याग को स्मरण करने का अवसर दिया।योगी आदित्यनाथ का संदेश था कि अडिग आस्था की विजय हुई है। योगी ने कहा कि यह आस्था का प्रतीक है।जो न कभी झुकी, न टूटी, न डिगी।उन्होंने इस आयोजन को भारत की आध्यात्मिक शक्ति का प्रमाण बताया। संतों का आगमन हुआ और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार देखने को मिला।देशभर से हजारों संतों, महंतों और धर्माचार्यों का आगमन इस आयोजन को और अधिक पावन बना गया।उनके आगमन से वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हुआ।अलग-अलग अखाड़ों, परंपराओं और मतों के संत एक ही मंच पर उपस्थित हुए।यह भारतीय आध्यात्मिक एकता की अनूठी मिसाल थी। संतों ने ध्वजारोहण को धर्म, भारत और सनातन संस्कृति की विजय बताया।आयोजन का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व है।यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं था। इससे समाज को कई महत्वपूर्ण संदेश मिले है। भारतीय संस्कृति की पुनर्स्थापना का संकेत भी दिखाई दिया।युवा पीढ़ी के लिए परंपरा को समझने का अवसर मिलाऔर युवाओ का भक्ती भाव बढ़ता दिखाई दिया।सामाजिक एकता और सद्भाव का वातावरण निर्मित हुआ है। नए भारत की आध्यात्मिक दिशा की झलकदेखने को मिली है।आज भारत ही दुनिया मे आस्था के प्रतीक राम को जानते है।भले ही वे विदेशी ही क्यों नही है उनके मन मे राम की मर्यादापुरुषोत्तम छवि दिल मे समा गई।हिन्दू संस्कृति के महानायक भगवान राम घट घट के आस्था के केंद्र है।दुनिया आने वाले समय मे राम के श्रीचरणों में नतमस्तक होगी।भारत की संस्कृति कितनी समृद्ध और जीवंत है, यह पूरे विश्व ने इस आयोजन में देखा। धर्मध्वजा की ऊँचाई, भारत की नई उड़ान है।अभिजीत मुहूर्त में मोदी और मोहन भागवत द्वारा धर्मध्वजा का आरोहण केवल एक समारोह नहीं था,बल्कि यह भारत की आध्यात्मिक चेतना, सांस्कृतिक पुनर्जागरण और राष्ट्रीय आत्मविश्वास की नई उड़ान है।फूलों से सजे शहर, उत्साहित भक्तों के जयकारे, संतों का आगमन, और नेताओं के प्रेरक संदेश दिए ।इन सबने मिलकर भारत की उस पहचान को पुनर्जीवित किया, जो सदियों से मानवता को मार्ग दिखाती आई है।यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा। और यही ध्वजा आने वाले भारत की दिशा और दृष्टि को ऊँचाई देगी। (वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार, स्तम्भकार) (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) .../ 26 नवम्बर/2025