लेख
27-Nov-2025
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आज देश को विज्ञान की सही जानकारी हेतु विज्ञान संचार बहुत जरुरी है,विज्ञान संचार को हम यूं समझ सकते है, जैसे कि वैज्ञानिक जानकारियों जहां से पैदा हो रही हैं। वहां से लेकर उन जानकारियों के प्रयोग करने वालों तक पहुंचाना। इसके लिए विभिन्न प्रकार के माध्यम अपनाए जाते हैं। विज्ञान संचार को दो भागों में बांटा जा सकता है। पहला शोधपरक विज्ञान संचार और दूसरा लोकप्रिय विज्ञान संचार। लैब में होने वाले शोधों की जानकारी तकनीकी भाषा में होती है। इसे आम आदमी सुगमता से नहीं समझ सकता। लोकप्रिय विज्ञान संचार में यह परेशानी आती है कि विज्ञान की कठिन बातों को सरल कैसे बनाया जाए और आम लोगों तक पहुंचाया जाए। सबसे बड़ी समस्या यह है कि रिसर्च पेपर की भाषा को आम लोग समझ नहीं पाते और वैज्ञानिक आम जन की भाषा को नहीं समझ पाते। यहीं पर परेशानियां पैदा होती हैं। वास्तव में विज्ञान के जटिल तर्कों को सरल भाषा में जो भी आम लोगों तक पहुंचा देगा वही एक सफल विज्ञान संचारक कहलाएगा। वास्तव में विज्ञान संचार के दो प्रमुख उद्देश्य हैं-विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की जानकारी आम जन तक पहुंचाना और उनमें वैज्ञानिक-तकनीकी दृष्टिकोण का विकास करना। किसी भी व्यक्ति में जब वैज्ञानिक दृष्टिकोण समाहित होने की बात की जाए तो इसका अर्थ यह होगा कि उसमें सोच, आचरण, व्यवहार और निर्णय लेने के स्तरों पर वैज्ञानिकता की छाप अवश्य दिखे।इसी छाप को अखिल भारतीय स्तर पर बनाये रखने के लिए हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद, मुंबई द्वारा पिछले 57 वर्ष से लगातार विज्ञान संचार किया जा रहा जिसमें किसी परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष श्री आर के मिश्र का हिंदी विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान के लिए उनके हिंदी विज्ञान में एक नई क्रांति मुंबई के वैज्ञानिकों ने 1968 में भारतीय वैज्ञानिक द्वारा हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद की नींव मुंबई में रखी और 2साल बाद वैज्ञानिक पत्रिका का सतत प्रकाशन हुआ जो आज भी ऑनलाइन माध्यम से चल रही है। अतः राष्ट्रीय अस्तर पर हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद ही एक मात्र ऐसी संस्था बची इसमें परिषद के पूर्व कार्यकारी सचिव श्री राजेश कुमार मिश्र का सबसे अधिक और अहम् योगदान रहा जो इतिहास के पन्नों में दर्ज होगा, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक और हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष राजेश कुमार मिश्र , दिनांक 30 . 11. 2025 मे केंद्र से सेवानिवृत्त हो रहे हैं । फिलहाल वे परिषद द्वारा प्रकाशित होने वाली राष्ट्रीय पत्रिका के संपादक मंडल मे हैं इसके पूर्व उन्होंने जून 2022 से सितम्बर 2025 तक वैज्ञानिक पत्रिका के मुख्य संपादक के रूप में सफलतापूर्ण कार्य किया।उनके कार्यकाल में जो अंक प्रकाशित हुए उसमें आजादी के अमृत महोत्सव पर देश में विज्ञान का 75 साल में विकास, टेक्नोलॉजी विशेष अंक, वैज्ञानिक अनुक्रर्म विशेष,विज्ञान संचार विशेष, महान वैज्ञानिक योगदान अंक, व हाल ही में महान वैज्ञानिक परमाणु वैज्ञानिक डॉ आर चिदंबरम जो पूर्व में मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार थे जिनका 1998 में भारत के पोखरण -2 में मुख्य भूमिका रही उनके निधन पर श्रद्धांजलि के रूप में डॉ आर चिदंबरम स्मृति अंक वैज्ञानिकों व विज्ञान पाठकों के लिए बहुत ही शानदार रहा जिसके लिए भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव महोदय ने अंक हेतु अपनी शुभकामना संदेश देकर वैज्ञानिक में नई संजीवनी दि, जो विज्ञान के प्रकाश से जगमगाते रहे।श्री राजेश कुमार मिश्रजी ने विज्ञान संचार हेतु वैज्ञानिक को नवाचार और देश के विज्ञान गतिविधियों को पत्रिका में स्थान देकर देश को विज्ञान संचार के क्षेत्र में अहम योगदान दिया है और लगातार अपनी सेवा निस्वार्थ भाव से देते आ रहें है।इसके पहले वे वह हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद में लगभग 18 सालों या उससे अधिक समय से सक्रिय रूप से जुड़े रहे इसके लिए उन्होंने परिषद द्वारा आयोजित कई राष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठी में संयोजक के रूप मे महत्वपूर्ण योगदान दिया व हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद द्वारा आयोजित प्रश्न मंच कार्यक्रम मे भी संयोजन मे सफलतापूर्वक काम किया हिंदी विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान हेतु परिषद द्वारा उन्हे हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद स्वर्ण जयंती समारोह, में भारत के महान वैज्ञानिक स्व डॉ चिदंबरम जैसे महान वैज्ञानिक को मंच पर मुख्य अथिति के रूप में बुलाये जाने का पूरा श्रेय जाता है।इसके अलावा वे विज्ञान वार्ता, स्वास्थ्य संगोष्ठी, वैज्ञानिक पत्रिका के व्यवस्थापण मे भी मुख्य भूमिका प्रदान किया गया. उन्होंने विज्ञान अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी, दोनों ही क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया है। एक प्रभावी विज्ञान संचारक के नाते जन सामान्य संबंधित विषयों की वैज्ञानिक जानकारी/ज्ञान के संचार तथा लोकप्रियकरण की दिशा में स्वयंसेवी भाव से लगातार कार्य करते रहे हैं और वैज्ञानिक पत्रिका मे संपादक मंडल मे बने रहेंगे। सेवानिवृत्ती के अवसर पर आपको हिंदी विज्ञान में उल्लेखनीय योगदान हेतु अनेक बधाइयां तथा भविष्य के सुखद एवं निरोगी सुदीर्घ पारिवारिक जीवन के लिए शुभकामनाएं !.हिंदी विज्ञान में उनके अहम् योगदान हेतु पूरा देश गौरव महसूस करेगा हिंदी विज्ञान के लिए किया गया उनका कार्य निश्चित रूप से सभी को प्रेरणा देगी । ईएमएस /27नवंबर2025