- पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने हिंदुओं के चार बच्चों की वकालत की - अपनी पदयात्रा को लेकर बोले- यह पदयात्रा केवल हिंदू एकता और सनातन एकता के लिए शिवपुरी (ईएमएस)। शिवपुरी जिला मुख्यालय पर इस समय बागेश्वर धाम के पीठाधीश पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री द्वारा श्रीमद् भागवत कथा का वाचन चल रहा है। इस दौरान शिवपुरी में बड़ी संख्या में भीड़ जुट रही है। गुरुवार को पत्रकारों से चर्चा में बागेश्वर धाम के पीठाधीश पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने हिंदुओं के चार बच्चे होने की वकालत की। पत्रकारों से चर्चा में पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि जब चच्चे के तीस बच्चे हो सकते हैं तो हिंदुओं के चार क्यों नहीं। हम इस देश को गजवा-ए-हिंद नहीं होने देंगे। हमें इसे भगवा हिंद बनाना है। इसके लिए हमें संसद में जाने की कोई जरूरत नहीं है। गुरुवार को बागेश्वर धाम के पीठाधीश पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री द्वारा श्रीमद् भागवत कथा से पहले अपना दिव्य दरबार भी लगाया जिसमें लोगों के प्रश्नों के उत्तर और उनकी परेशानियों को निराकरण किया। हिंदुओं को चार बच्चे पैदा करने चाहिए- पत्रकारों से चर्चा में शास्त्री ने हिंदू की घटती जनसंख्या पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि हिंदुओं को चार बच्चे पैदा करने चाहिए। संख्या संख्या बढ़ेगी तभी खेल बनेगा। चच्चे के 30 बच्चे हो सकते हैं तो हिंदुओं के चार क्यों नहीं? शास्त्री ने हिंदू समाज से अपील की कि दो बच्चे अपने पास रखें, एक देश सेवा को भेजें और एक साधु-संतों को दें, जो हिंदू राष्ट्र के लिए काम करेंगे। शास्त्री ने नारी सम्मान की भी बात कही। इस दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने सेक्युलरिज्म पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि कुछ सेकुलर हिंदू कहते हैं कि ना बच्चा, ना बच्ची, जिंदगी कटे अच्छी। यह बेहद दुखद है। ऐसे लोग हिंदुओं के भविष्य को नहीं देख रहे हैं। यह पदयात्रा केवल हिंदू एकता और सनातन एकता के लिए- गुरुवार को पत्रकारों से चर्चा में बागेश्वर धाम के पीठाधीश पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि न हम राजनीति में जाने के लिए निकले हैं, न पार्टी बनानी है, न किसी पार्टी का समर्थन करना है। यह पदयात्रा केवल हिंदू एकता और सनातन एकता के लिए है। राजनीति में जाने के लिए कई रास्ते हैं, इसके लिए पदयात्रा की जरूरत नहीं। पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने भारत के पाठ्यक्रम में गीता-भागवत-रामायण को जोड़ने की वकालत की। उन्होंने कहा कि भारत के पाठ्यक्रम में ऐसे ग्रंथ शामिल होने चाहिए जो युवाओं को सही दिशा दें। अगर गीता, भागवत और रामायण को जोड़ दिया जाए तो युवा सही दिशा पाएंगे