राष्ट्रीय
27-Nov-2025
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जीत से गदद बीजेपी बंगाल और तमिलनाडू फतह करने की तैयारी में जुटी नई दिल्ली,(ईएमएस)। बिहार चुनाव में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद जहां सत्ता पक्ष इस महाविजय को राष्ट्रीय जनमत के रूप में प्रस्तुत कर रहा है, वहीं विपक्ष के सामने एकजुटता और अपने वजूद का सकंट बढ़ता जा रहा है। इसी बीच कांग्रेस के भीतर खुले असंतोष ने पार्टी नेतृत्व की कमजोर पकड़ को सामने ला दिया है। बिहार में चुनावी नतीजों के बाद कांग्रेस नेता अखिलेश प्रसाद सिंह ने हार पर गहरी निराशा जाहिर की हैं, वहीं वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने खुलकर केंद्रीय नेतृत्व पर निशाना साधकर कहा कि बिहार में कांग्रेस का प्रदर्शन “भाजपा की मेहनत के सामने कहीं नहीं ठिकाता था। इतना ही नहीं कांग्रेस के आला नेता अल्वी ने राहुल गांधी को “अप्राप्य” बताते हुए पार्टी की कमान प्रियंका गांधी वाड्रा को सौंपने की वकालत की। अल्वी ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाकर कहा, “राहुल गांधी से मिलना आसान नहीं है, पार्टी को सुधारना है, तब प्रियंका गांधी वाड्रा को कमान दें। बता दें कि यही बात पहले भी कई नेता कह चुके हैं कि राहुल गांधी से मुलाकात का समय नहीं मिलता और समय मिलता भी है, तब राहुल गांधी मुलाकात के समय बात सुनने की बजाय कुत्ते को बिस्किट खिलाने में व्यस्त रहते हैं। दूसरी ओर, इसी राजनीतिक पृष्ठभूमि के बीच संसद के शीतकालीन सत्र से पहले एनडीए की रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर एक अहम बैठक हुई। इसमें भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू, धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, मनसुख मांडविया, मनोहर लाल खट्टर सहित कई मंत्री उपस्थित रहे। जदयू के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह की उपस्थिति ने बैठक को और राजनीतिक महत्व प्रदान किया। शाम को नड्डा ने बिहार विजय में योगदान देने वाले कार्यकर्ताओं के सम्मान में अपने आवास पर रात्रिभोज रखा। इस कार्यक्रम में गृह मंत्री शाह के संबोधन ने भाजपा की आगे की दिशा साफ कर दी। केंद्रीय मंत्री शाह ने बिहार जीत को “पूरे देश की जीत” बताकर कहा कि जनता ने फिर मोदी–नीतीश नेतृत्व पर भरोसा दिखाया है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से साफ कहा कि हमें रुकना नहीं है, बंगाल और तमिलनाडु की तैयारी शुरू कर दीजिए।” यह बयान साफ संकेत देता है कि भाजपा आने वाले चुनावों को 2029 की राह में महत्वपूर्ण पड़ाव मान रही है। बिहार चुनाव परिणामों ने साफ संकेत दे दिया है कि भाजपा आने वाले महीनों में विपक्ष से कहीं अधिक संगठित, उत्साहित और रणनीति-प्रधान रूप में उभरेगी। वहीं विपक्ष, विशेषकर कांग्रेस, नेतृत्व संकट से परेशान है। कांग्रेस के सीनियर नेता अल्वी का बयान इस संकट की गहराई को स्पष्ट करता है। इंडी गठबंधन पहले ही असमंजस में था, बिहार की करारी हार ने इंडी गठबंधन को ओर बिखेर दिया है। भाजपा का मानना है कि विपक्ष न एकजुट है और न ही संसद में प्रभावी प्रतिरोध पेश कर पाएगा। माना जा रहा है कि सुधारों, सुरक्षा से जुड़े कानूनों और आर्थिक नीतियों को लेकर मोदी सरकार पहले से कहीं ज्यादा आक्रामक रुख में दिखाई देगी। उधर, भाजपा संगठन में बड़ा बदलाव भी करीब है। नड्डा का कार्यकाल समाप्त हो चुका है और पार्टी अध्यक्ष के नए चेहरे को लेकर चर्चा तेज है। बिहार की जीत ने यह अनुमान और मजबूत किया है कि नया अध्यक्ष ऐसा होगा जो चुनावी रणनीति, संगठन विस्तार और 2029 मिशन में निर्णायक भूमिका निभा सके। पार्टी के भीतर इसतरह के कई नाम चर्चा में हैं जो युवावर्ग तक मजबूत पहुंच रखते हैं और पूर्वी–दक्षिणी भारत में भाजपा के विस्तार को गति दे सकते हैं। आशीष दुबे / 27 नवबंर 2025