लेख
01-Dec-2025
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कर्नाटक के तटीय शहर उडुपी ने बुधवार की शाम एक ऐसा दृश्य देखा, जिसमें जनसैलाब, उत्साह, आध्यात्मिक संकेत और राजनीतिक संदेश सब एक साथ गुंथे हुए दिखाई दिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब मंगलुरु एयरपोर्ट से उडुपी पहुंचे, तो हजारों की उमड़ी भीड़ ने उनका स्वागत ऐसे किया, जैसे किसी पर्व का आगमन हुआ हो। जगह–जगह पुष्पवृष्टि, घरों की छतों से हाथ हिलाते लोग, सड़क के किनारे कतारबद्ध खड़े परिवार यह नजारा कर्नाटक की राजनीतिक जमीन पर एक नया अध्याय लिख रहा था। उडुपी का यह रोड शो न सिर्फ चुनावी दृष्टि से अहम था, बल्कि उस भाषण ने भी जनता को गहरे प्रभावित किया, जिसमें मोदी ने श्रीकृष्ण के उपदेशों के माध्यम से शासन, न्याय, राष्ट्रशक्ति और नारी सशक्तिकरण का व्यापक संदेश दिया। रोड शो की शुरुआत होते ही माहौल उल्लासपूर्ण हो उठा। हाथों में तिरंगे लिए बच्चों से लेकर वृद्ध महिलाओं तक हर कोई इस अनोखे क्षण का साक्षी बनने को उत्सुक दिखा। सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद थी। एसपीजी और स्थानीय पुलिस ने पूरे मार्ग को कई घंटों पूर्व ही अपने कब्जे में ले लिया था। परंतु सुरक्षा के बीच भी उत्साह में जरा भी कमी नहीं थी। मोदी के काफिले की धीमी गति और जनता की ओर बार–बार हाथ हिलाकर अभिवादन ने लोगों के बीच आत्मीयता की भावना को और मजबूत किया। जब उनके काफिले पर फूलों की बारिश होने लगी, तब यह सिर्फ स्वागत का संकेत नहीं था, बल्कि कर्नाटक के लोगों का बढ़ता विश्वास भी था, जो बीते वर्षों में मोदी की नीतियों और निर्णायक शैली से लगातार जुड़ता रहा है। इस उत्साहपूर्ण माहौल के बीच प्रधानमंत्री का संबोधन न सिर्फ राजनीतिक था, बल्कि आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संदेशों का दुर्लभ समन्वय भी था। उन्होंने अपने उद्बोधन की शुरुआत भगवद गीता के उपदेशों से की। उन्होंने कहा कि गीता हमें सिखाती है कि अन्याय के अंत में ही सच्ची शांति संभव है। समाज के प्रति यह जिम्मेदारी आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी कुरुक्षेत्र के मैदान में थी। मोदी ने कहा कि कृष्ण का उपदेश केवल युद्ध या विजय तक सीमित नहीं है, वह जनकल्याण, न्याय, समभाव और राष्ट्रनिर्माण की प्रेरणा देता है। उनका यह कथन भीड़ के बीच गहराई से उतरा, क्योंकि भारत में संस्कृति और राजनीति के बीच यह अनोखा समीकरण हमेशा ही जनता को छूता रहा है। प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से नारी शक्ति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने जिस समय में नारी सम्मान और नारी सामर्थ्य का संदेश दिया था, वही विचार आज आधुनिक भारत की नीतियों की रीढ़ बना है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम का निर्णय इसी आध्यात्मिक प्रेरणा से जन्मा है। यह अधिनियम न सिर्फ कानून का सुधार है, बल्कि सामाजिक मानसिकता का भी बड़ा परिवर्तन है, जो सुनिश्चित करता है कि महिलाएँ समाज और संसद दोनों में समान रूप से प्रतिनिधित्व करें। मोदी के भाषण के इस हिस्से ने रोड शो को महज राजनीतिक आयोजन से हटाकर एक सामाजिक सांस्कृतिक विमर्श में बदल दिया। लेकिन यहाँ बात सिर्फ प्रेरणा और सिद्धांतों की नहीं थी। प्रधानमंत्री ने कुछ घटनाओं का भी उल्लेख किया जिनमें लोगों की जानें गईं, जिनमें कनारा समुदाय के सदस्यों का भी दुखद रूप से शामिल होना पड़ा। उन्होंने कहा कि पुराने समय में सरकारें ऐसी घटनाओं पर मौन साध लेती थीं। लेकिन नया भारत किसी के सामने झुकने वाला नहीं है। लोगों की रक्षा करना सरकार की सर्वोच्च जिम्मेदारी है। यह संदेश कर्नाटक के राजनीतिक परिदृश्य को स्पष्ट रूप से संकेत देता है कि आने वाले दिनों में सुरक्षा, स्थिरता और कानून व्यवस्था राज्य की प्राथमिकताओं में रहेगी। अपने पूरे भाषण में प्रधानमंत्री ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना को बार–बार दोहराया। उन्होंने कहा कि यह विचार केवल अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का हिस्सा नहीं है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक आत्मा है। इस दर्शन में सभी का कल्याण, सभी का हित और सभी का सुख शामिल है। यही भावना आगे चलकर केंद्र की नीतियों कबआयुष्मान भारत, पीएम आवास योजना और अन्य जन–कल्याणकारी योजनाओं में दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों का सार यही है कि गरीबों की सहायता हो, समाज में न्याय स्थापित हो और देश विकास की ओर बढ़े। उनके अनुसार यही दर्शन ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के मंत्र को आगे बढ़ाता है। इस कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी था कि इसी दिन दक्षिण गोवा में भगवान श्रीराम की 77 फीट ऊंची भव्य कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया गया। मोदी ने कहा कि यह प्रतिमा केवल धार्मिक प्रतीक नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति की स्थायी विरासत का जीवंत उदाहरण है। राम की मर्यादा, साहस, कर्तव्य-निष्ठा और उनके आदर्श आज भी राष्ट्रनिर्माण के मूल स्तंभ हैं। प्रतिमा का यह अनावरण सांस्कृतिक पुनर्जागरण के व्यापक परिप्रेक्ष्य का हिस्सा दिखा। यह संदेश स्पष्ट था कि भारत आज अपनी सांस्कृतिक धरोहर को आधुनिक विकास के साथ जोड़कर आगे बढ़ना चाहता है। उडुपी और दक्षिण भारत का क्षेत्र अपने अद्वितीय सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और बौद्धिक इतिहास के लिए जाना जाता है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में 350 वर्ष पुराने गोकर्ण जीवोत्थम मठ का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने मठ की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस संस्थान ने दशकों से समाज को दिशा देने का कार्य किया है। आध्यात्मिक मार्गदर्शन, शिक्षा और सेवा के माध्यम से इस मठ ने एक पूरे समाज को मानवीय मूल्यों की ओर अग्रसर किया है। मोदी ने कहा कि ऐसे संस्थान भारत की संस्कृति धारा को जीवित रखने वाली धमनियों के समान हैं, जिन्हें सम्मान और संरक्षण दोनों की आवश्यकता है। उडुपी का यह कार्यक्रम कई मायनों में राजनीतिक रूप से भी अहम था। कर्नाटक में चुनावी तापमान पहले ही बढ़ा हुआ है। राज्य में राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं, और ऐसे में मोदी का उडुपी दौरा स्पष्ट रूप से राजनीतिक ऊर्जा को नई दिशा देता है। विशाल जनसमूह और अभूतपूर्व स्वागत इस बात का संकेत था कि भाजपा सरकार के प्रति जनता की दिलचस्पी और विश्वास अभी भी मजबूत है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि मोदी का यह दौरा भाजपा के प्रभाव को और सुदृढ़ कर सकता है, जो हमेशा से पार्टी का मजबूत आधार रहा है। लेकिन इस कार्यक्रम का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह था कि इसमें राजनीति और दर्शन, सत्ता और संस्कृति, शासन और अध्यात्म एक मंच पर दिखाई दिए। मोदी ने अपने भाषण में जिस तरह गीता, कृष्ण और राम के संदर्भों को आधुनिक नीतियों और जन कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा, वह उस बड़े राजनीतिक वैचारिक बदलाव का संकेत है, जो आज के भारत की दिशा तय कर रहा है। ऐसे कार्यक्रमों से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय राजनीति अब केवल वाद–विवाद और घोषणाओं तक सीमित नहीं रही, बल्कि सांस्कृतिक आत्मविश्वास, आध्यात्मिक दर्शन और विकासात्मक दृष्टि के संगम में बदल रही है। उडुपी की सड़कें घंटों तक नारों, मुस्कानों, कैमरों की फ्लैश और देशभक्ति के माहौल से गूंजती रहीं। लोग कहते दिखे कि यह रोड शो सिर्फ राजनीतिक आयोजन नहीं, बल्कि गर्व का अवसर था। कुछ बुजुर्ग महिलाएँ तो अपने आंगनों से फूल बरसाती रहीं, मानो किसी शाही परंपरा की पुनरावृत्ति हो रही हो। बच्चे मोबाइल पर इस ऐतिहासिक क्षण को रिकॉर्ड करते रहे, और युवा बड़े उत्साह से मोदी के नारों में आवाज मिलाते रहे। कर्नाटक की राजनीति में यह दिन लंबे समय तक याद रखा जाएगा। उडुपी का यह भव्य रोड शो, श्रीकृष्ण के उपदेशों पर आधारित प्रधानमंत्री का उद्बोधन, दक्षिण गोवा में राम की भव्य प्रतिमा का अनावरण और गोकर्ण मठ की प्रशंसा,इन सबने मिलकर इस दिन को एक सांस्कृतिक-राजनीतिक पर्व में बदल दिया। यह सिर्फ चुनावी जोश नहीं था, बल्कि भारत की आत्मा का वह उत्सव था, जिसमें इतिहास, अध्यात्म और आधुनिकता एक साथ दिखाई दिए। (वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार-स्तम्भकार) (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) .../ 1 ‎दिसम्बर /2025