लेख
01-Dec-2025
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हमारे देश के वैज्ञानिक, इंजीनियरिंग और गणित शिक्षा को बढ़ावा देने और वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और नवप्रवर्तकों की अगली पीढ़ी को प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत के वैज्ञानिक शोध संस्था,छात्रों को विज्ञान के साथ व्यावहारिक तरीके से जुड़ने के मूल्यवान अवसर प्रदान करती हैं, जिससे उनकी सीखने की जिज्ञासा और जुनून को बढ़ावा मिलता है। वे सहयोग, संचार और आलोचनात्मक सोच को भी प्रोत्साहित करते हैं, क्योंकि छात्र अपनी परियोजनाओं पर काम करते हैं और इन आयोजनों के दौरान साथियों, शिक्षकों और आगंतुकों के साथ बातचीत करते हैं।इसी क्रम में देश की उत्कृष्ट परमाणु विज्ञान के क्षेत्र में एक प्रसिद्ध संस्था, भाभा परमाणु अनुसंधान संस्था है जिसे भारत के महान परमाणु वैज्ञानिक डॉ होमी जहाँगिर भाभा ने परमाणु विज्ञान के शांति पूर्ण तरीके से देश के वैज्ञानिक को इस क्षेत्र में नए नए आविष्कार हेतु स्थापित किया था जहाँ बहुत से श्रद्धावान वैज्ञानिक अपने परिश्रम से देश को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी व आत्मनिर्भर बना रहें हैँ उन्ही में से श्री ए के श्रीधर हैँ जो आज अपने वैज्ञानिक कौशल के बल पर उत्कृष्ट वैज्ञानिक बने जो हिंदी से काफी लगाव रखते हैँ,ऐ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर में बी टेक के बाद,बीएआरसी के 36 बैच के ट्रेनिंग स्कूल से ज्वाइन किए और एफआरडी, एनआरजी, बीएआरमें वैज्ञानिक अधिकारी -सी से ज्वाइन किए हिंदी विज्ञान के श्रद्धावान आजीवन सदस्य और हिंदी में विज्ञान को विस्तार करने वाले श्री अजीत कुमार श्रीधर भाभा परमाणु अनुसन्धान केंद्र में आउटस्टैंडिंग साइंटिस्ट यानि उत्कृष्ट वैज्ञानिक बने हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद के वे आजीवन सदस्य हैं और उनकी विशेष रूचि हिंदी में है आउटस्टैंडिंग साइंटिस्ट श्री अजीत कुमार श्रीधर बीएआरसी के नाभिकीय पुनश्चकरण बोर्ड में आउटस्टैंडिंग साइंटिस्ट बने एक आउटस्टैंडिंग साइंटिस्ट का मतलब होता है विशिष्ट वैज्ञानिक जो परमाणु विज्ञान में अपनी दक्षता के लिए जाने जाते हैं, या इसका मतलब परमाणु विज्ञान के रिसर्च ऑर्गनाइज़ेशन में किसी हाई-लेवल के वैज्ञानिक से है।भाभा परमाणु अनुसन्धान केंद्र में नुक्लियर रीसायकल बोर्ड में प्लांनिंग और कोऑर्डिनेशन डिवीज़न के महाप्रबंधक के रूप में अपनी भूमिका के दौरान,उनका कार्य क्षेत्र में परमाणु पुनर्प्रसंस्करण और परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन के प्रोजेक्ट में प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग में उनका महत्वपूर्ण योगदान है । वे महाराष्ट्र, तारापुर, महाराष्ट्र और कलपक्कम, तमिलनाडु में पुनर्प्रसंस्करण संयंत्रों, ईंधन भंडारण सुविधाओं और परमाणु अपशिष्ट उपचार सुविधाओं के डिजाइन और निर्माण में योजना से सम्बंधित कार्यों में शामिल हैं वे हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद के आजीवन सदस्य हैं और हिंदी में उनकी विशेष रूचि है हालांकि इलेक्ट्रिकल इंजीनियर होने के नाते उन्होंने बी ए आर सी के पुनर्प्रसंस्करण संयंत्रों में इलेक्ट्रिकल सिस्टम को अपग्रेड किया.भारत में न्यूक्लियर एनर्जी प्रोग्राम के शुरुआती दिनों में ही देश के वैज्ञानिक के कोशिशों के आधार पर रीप्रोसेसिंग शुरू हो गई थी।उसमें इलेक्ट्रिकल सिस्टम लगाना सबसे बड़ी चुनौती होती है खास कर डीजी सेट लगना और पावर सिस्टम को ऐसा तैयार किया जाता है जो सेफ्टी गुणवत्ता के कोड पर आधारित हो उनके इस क्षेत्र में उनकी विशेष कार्य के लिए उन्हें आउटस्टैंडिंग साइंटिस्ट का पद मिला बहुत बहुत बधाई व शुभकामनायें.! ईएमएस / 01 दिसम्बर 25