वर्ष 2025 में जितनी प्राकृतिक आपदाएं भारत सहित दुनिया के देशों में आई हैं, उसने आम जन जीवन को भयभीत कर दिया है। इतिहास में एक साथ कभी भी इतनी बड़ी संख्या में प्राकृतिक आपदाएं नहीं देखी गई हैं। किसी भी देश के किसी भी हिस्से में कभी भी भीषण चक्रवात, बाढ़, सूखा, ओलावृष्टि, असामान्य गर्मी, असामान्य ठंड, अनायास बर्फबारी जैसी घटनाएं नहीं हुईं। लेकिन अब हर महीने विश्व के किसी न किसी कोने में इस तरह की घटनाएं सुनने को मिलती हैं। मौसम में यह बदलाव क्यों आ रहा है इसको लेकर पर्यावरण विद् चिंतित हो गये हैं। जिस तरह से सत्ता में बैठे हुए लोग प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, उसके दुष्परिणाम बडी संख्या में देखने को मिल रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार ऊपरी हवाएं पश्चिम से पूर्व की ओर असामान्य गति से बहने लगी हैं। तीन महीने पहले हुई इस घटना ने मौसम विज्ञानियों की चिंता को बढ़ा दिया है। मौसम परिवर्तन का यह व्यवहार पूरी दुनिया को परेशान कर रहा है। अब हालात यहां तक पहुंच चुके हैं, मौसम जिस तरीके से अपने आप में बदलाव कर रहा है, उसने मौसम के जो शक्तिशाली कारण होते थे उनमें भी बदलाव करना शुरू कर दिया है। दुनिया भर में तेजी के साथ चक्रवात बन रहे हैं। बारिश और तापमान में अचानक वृद्धि देखने को मिल रही है। बे-मौसम बारिश हो रही है। बे मौसम तूफान आ रहे हैं। इस परिवर्तन के कारण दक्षिण पूर्व एशिया के वियतनाम, इंडोनेशिया, फिलिपींस विनाशकारी तूफान और बाढ़ से जूझ रहे हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है। हिंद महासागर और पश्चिमी प्रशांत महासागर का तापमान अभी तक के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गया है। वायुमंडल की वायु धारा में परिवर्तन मौसम की स्थितियों मे लगातार बदलाव आ रहे हैं। पिछले 1 वर्ष में जिस तरह से मौसम अप्रत्याशित और अनियंत्रित हो गया है, उसके बाद दुनिया के देशों में प्राकृतिक आपदाओं के कारण एक तरह से कोहराम देखने को मिल रहा है। वैश्विक जलवायु तंत्र एक ऐसी विषम स्थिति पर पहुंच चुकी है, जहां से जल्द मौसम को नियंत्रित कर पाना किसी के लिए संभव नहीं होगा। भारत में पिछले कुछ वर्षों से प्राकृतिक आपदाओं की घटनायें बड़ी तेजी के साथ बढ़ती चली जा रही हैं। बे मौसम बारिश और तूफान आने के साथ ही दुनिया के देशों में ज्वालामुखी विस्फोट देखने को मिल रहे हैं। बड़ी संख्या में भूकंप का प्रकोप देखने को मिल रहा है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार पृथ्वी की सतह से 20 से 30 किलोमीटर ऊपर बहने वाली हवाएं जो हर 28 से 30 महीने के बीच में अपनी धारा बदलती थी, अब इसमें जल्दी-जल्दी परिवर्तन देखने को मिल रहा है। मौसम में इन धाराओं में जो परिवर्तन जनवरी और फरवरी माह में देखने को मिलता था, इस साल वह नवंबर माह में ही देखने को मिल रहा है। जिसके कारण भारत सहित वैश्विक स्तर पर, जो मौसम परिवर्तन हो रहा है वह इतना शक्तिशाली है, कि हर जगह अब विनाश देखने को मिल रहा है। वायुमंडल की हवाओं में जिस तरह की टूटन देखने को मिल रही है, उसके कारण तेज गर्म हवाएं सूखा, बादल फटने और हिमस्खलन जैसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इसमें भारी जन-धन की हानि हो रही है। विशेषज्ञों का अनुमान है, अगले एक महीने तक इसका प्रभाव और भी बढ़ेगा। मौसम की यह अस्थिरता 2026 में भी जारी रह सकती है। इस भारतीय मौसम विभाग ने चिंता जाहिर करते हुए कहा है, इस साल भारत में सर्दियों का मौसम बड़ा अनियमित रहेगा। जलवायु आपदा की कई घटनाएं भारत में देखने को मिलेंगी। वैज्ञानिक इसे कंपाउंड एक्सट्रीम वेदर नाम दे रहे हैं। भारतीय मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है। वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन के कारण संकटो की अभी शुरुआत है आगे और भी भयावह स्वरूप देखने को मिलेंगे। पिछले तीन दशकों से जिस तरह से अंधाधुंध तरीके से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, भारत में भी विकास के नाम पर जंगल, पेड़ इत्यादि नष्ट किये जा रहे हैं, पहाड़ों को खोदा जा रहा है, प्राकृतिक संसाधनो के लिए जमीन के अंदर सेकडों फुट गहरी खुदाई की जा रही है, जिस तरह से हथियारों का परीक्षण किया जा रहा है, उसने वैश्विक पर्यावरण को पूरी तरह से तहस-नहस करके रख दिया है। पर्यावरण में बदलाव के कारण मौसम को लेकर जो घटनाएं हो रही हैं, उन्हें वैज्ञानिक शुरुआती बता रहे हैं। समय रहते इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो आने वाले समय में भारत सहित विश्व की एक बड़ी आबादी मौसम के बेकाबू होने के कारण भारी संकट में पडने जा रही है। विश्व के बड़े देश अपने आपको पर्यावरण की जिम्मेदारी से दूर करते चले जा रहे हैं। अमेरिका जैसे देश सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं, लेकिन अपनी जिम्मेदारियों का पालन नहीं करते हैं। इस समय सत्ता पर जो लोग बैठे हुए हैं। ज्यादा से ज्यादा कमाई और ताकत बढ़ाने की होड़ में लगे हुए हैं। सत्ता के मद और अहंकार में इस कदर डूबे हुए हैं। वह अपने आपको भगवान समझने लगे हैं। इस स्थिति को देखते हुए यही कहा जा सकता है, कि यदि पर्यावरण से छेड़छाड़ बंद नहीं की गई, तो आने वाले समय में इसके भारी दुष्परिणाम सारी दुनिया को झेलने पड़ेंगे। वैश्विक मौसम को किसी देश की भौगोलिक सीमा से नहीं बांधा जा सकता है। ईएमएस / 01 दिसम्बर 25