ज़रा हटके
01-Dec-2025
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-मंगल पर पानी के बादल नहीं, वातावरण सूखा फिर वहां कड़क रही बिजली वाशिंगटन,(ईएमएस)। मंगल ग्रह पर हवा की सरसराहट के अलावा कुछ नहीं है, लेकिन अब यह खामोशी धमाके के साथ टूट गई है। नासा के एक अकेले रोवर ने यह कर दिखाया है जो आज तक नामुमकिन था। लाल ग्रह की वीरान रेत के बीच बिजली कड़कने की पुष्टि हुई है। यह सवाल सदियों से पूछा जा रहा था कि क्या मंगल पर बिजली होती है। अब पर्सीवरेंस रोवर ने इसका जवाब दिया है। वैज्ञानिकों ने पहली बार मंगल पर इलेक्ट्रिकल डिस्चार्ज की आवाज सुनी है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह खोज बताती है कि यह ग्रह कितना रहस्यमयी है। धूल भरी आंधियों के बीच 55 बार बिजली कड़की। नासा का पर्सीवरेंस रोवर मंगल की सतह पर बहुत ही मुश्किल मिशन को अंजाम दे रहा है। रोवर वहां की धूल और तूफान का सामना कर रहा है। उसने कुछ ऐसा रिकॉर्ड किया की सबको चौंका दिया। वैज्ञानिकों ने डेटा की जांच की तो उन्हें बिजली के सबूत मिले हैं। यह बिजली पृथ्वी जैसी नहीं है। यह वहां की सूखी और पतली हवा में पैदा हो रही है। दो मंगल वर्षों में 55 बार ऐसा हुआ है। यह घटना तब होती है जब वहां धूल के बवंडर उठते हैं। इसे डस्ट डेविल्स कहा जाता है। यह सवाल सबके मन में है कि बिना बादल बिजली कैसे बनी। पृथ्वी पर हम बादलों और बारिश को बिजली से जोड़ते हैं, लेकिन मंगल पर पानी के बादल नहीं हैं। वहां का वातावरण सूखा है फिर भी वहां बिजली कड़क रही है। इसका कारण है वहां की धूल। जब धूल के कण हवा में उड़ते हैं तो वे आपस में टकराते हैं। इस रगड़ से चार्ज पैदा होता है। इसे ट्राइबोइलेक्ट्रिक इफेक्ट कहते हैं। यह वैसा ही है जैसे गुब्बारे को बालों पर रगड़ने से करंट बनता है। मंगल पर यह बड़े पैमाने पर हो रहा है। जानकारी के मुताबिक पृथ्वी पर भी ऐसा होता है लेकिन हम ध्यान नहीं देते। यहां भी ज्वालामुखी फटने पर बिजली कड़कती है। वहां पानी नहीं होता बस राख और धूल होती है। रेत के तूफान भी बिजली पैदा कर सकते हैं। हालांकि रेत बिजली की अच्छी कंडक्टर नहीं है। फिर भी रगड़ इतनी ज्यादा होती है कि डिस्चार्ज हो जाता है। वैज्ञानिकों को शक था कि मंगल पर भी यही हो रहा होगा। मंगल का वातावरण कार्बन डाइऑक्साइड से बना है। यह पृथ्वी से बहुत पतला है। इसके बावजूद वहां चार्ज इकट्ठा हो रहा है। यह फिजिक्स के नियमों की नई परीक्षा है। सिर्फ मंगल ही नहीं दूसरे ग्रहों पर भी बिजली है। बृहस्पति और शनि पर बिजली रिकॉर्ड की गई है। यूरेनस और नेपच्यून पर भी इसके संकेत मिले हैं। शुक्र ग्रह पर बिजली को लेकर अभी बहस चल रही है। हर ग्रह का माहौल अलग है। इसलिए वहां बिजली बनने का तरीका भी अलग है। मंगल पर जो मिला है वह सतह के करीब है। वैज्ञानिक मानते हैं कि मंगल पर वायुमंडलीय दबाव सतह पर सबसे ज्यादा है। इसलिए बिजली वहीं पैदा होने की संभावना सबसे ज्यादा थी और रोवर ने ठीक वहीं इसे पकड़ लिया। वैज्ञानिकों को रिकॉर्डिंग में एक खास पैटर्न मिला है। सबसे पहले एक इलेक्ट्रॉनिक ‘ब्लिप’ सुनाई दी। यह माइक्रोफोन की वायरिंग में बिजली के डिस्चार्ज का असर था। इसके तुरंत बाद एक रिंगडाउन सुनाई दी। यह आवाज करीब 8 मिलीसेकंड तक चली। जिन 7 घटनाओं को पूरा रिकॉर्ड किया गया उनमें एक सोनिक बूम भी था। यह एक छोटा सा थंडरक्लैप था। बिजली ने हवा को गर्म किया और उससे यह आवाज पैदा हुई। यह मंगल पर सुनी गई पहली ‘बादल गरजने’ जैसी आवाज थी। सिराज/ईएमएस 01 दिसंबर 2025