नई दिल्ली (ईएमएस)। ओआरएस के नाम पर बेचे जा रहे फ्रूट फ्लेवर्ड ओआरएस बच्चों के लिए खतरे की बड़ी वजह बने हैं। बच्चों की बीमारी के दौरान माता-पिता अक्सर जल्दबाजी में मेडिकल स्टोर्स से ऐसी दवाएं ले आते हैं जो इलाज के बजाय नुकसान पहुंचा सकती हैं।हाल ही में एफएसएसएआई ने इस मुद्दे पर बड़ी कार्रवाई करते हुए ऐसे सभी उत्पादों के नाम, लेबल या ट्रेडमार्क पर ‘ओआरएस’ शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। यह निर्णय हैदराबाद की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शिवरंजिनी संतोष की आठ साल लंबी मुहिम का परिणाम है। वे लगातार इसका विरोध करती रही हैं और अब पूरे देश में माता-पिता को जागरूक कर रही हैं, ताकि गलत उत्पादों के सेवन से बच्चों की सेहत को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके। डायरिया से पीड़ित बच्चों के लिए ओआरएस लेने जाने वाले पेरेंट्स को कई बार दुकानदार असली ओआरएस की जगह मीठा, फ्लेवर्ड पेय पकड़ा देते हैं। इनमें सामान्य मात्रा से आठ से दस गुना अधिक चीनी पाई जाती है, जिससे शरीर को हाइड्रेट करने के बजाय डायरिया और बढ़ जाता है। विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि ऐसे पेय बच्चों में अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए भी खतरा बन सकते हैं। इसलिए माता-पिता को हमेशा डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के अनुरूप तैयार किया गया ओआरएस ही खरीदना चाहिए। असल में ओआरएस एक वैज्ञानिक आधार पर तैयार घोल है, जिसमें सोडियम, पोटेशियम, ग्लूकोज और पानी का संतुलित मिश्रण होता है। इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कठोर जांच और परीक्षणों के बाद मान्यता दी है। यह डायरिया, उल्टी और डिहाइड्रेशन जैसी स्थितियों में शरीर को पुनः हाइड्रेट करने और इलेक्ट्रोलाइट्स संतुलन बनाए रखने में कारगर है। इसके विपरीत फ्रूट फ्लेवर्ड ओआरएसएल एक तरह का जूस आधारित पेय होता है, जिसमें पानी, हाई शुगर, सुक्रोज, डेक्सट्रोज, फलों का कंसन्ट्रेट, एडेड फ्लेवर, कृत्रिम रंग और कई रसायन शामिल होते हैं। इन्हें बच्चे स्वाद के कारण आसानी से पी लेते हैं, लेकिन चिकित्सकीय रूप से यह हानिकारक साबित होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि एफएसएसएआई के आदेश के बावजूद कई दुकानों में अभी भी ऐसे उत्पाद बेचे जा रहे हैं। सुदामा/ईएमएस 02 दिसंबर 2025