राष्ट्रीय
04-Dec-2025
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-विदेशों में भी ऐसे फूड से लोग बना रहे दूरी नई दिल्ली,(ईएमएस)! आज की तेज़ भागदौड़ भरी जीवनशैली में रेडिमेड और पैकेज्ड फूड लोगों को खान-पान का आसान विकल्प लगता है। ऐसा करते हुए लोग भूल जाते हैं, कि डिब्बे, बोतल, कैन, पैकेट या कंटेनर में मिलने वाले ये खाद्य पदार्थ लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए तैयार किए जाते हैं। पास्ता, नूडल्स, डेयरी उत्पाद, शिशु आहार, स्नैक्स और फ्रोज़न फूड जैसे आइटम इसी श्रेणी में आते हैं। हालांकि एक्सपर्ट्स की मानें तो स्वाद और सुविधा के पीछे छिपे खतरे हमारे शरीर को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचा सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार पैकेज्ड फूड को लंबे समय तक टिकाऊ बनाने के लिए इनमें कई प्रकार के प्रिज़र्वेटिव्स, फ्लेवर, कलरिंग एजेंट और केमिकल्स मिलाए जाते हैं। इनका नियमित सेवन लिवर और किडनी पर बुरा असर डाल सकता है। विदेशों में भी अब लोग पैकेज्ड फूड से दूरी बनाने लगे हैं। अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने पोषण संबंधी आवश्यकताओं को अपडेट करते हुए ऐसे उत्पादों पर कड़े मानक लागू किए हैं, ताकि उपभोक्ता सही जानकारी के आधार पर भोजन का चयन कर सकें। एफडीए के ‘आहार संबंधी दिशा-निर्देश 2020–2025’ के अनुसार पैकेज्ड आइटम्स में मौजूद सैचुरेटेड फैट, सोडियम और शुगर मोटापा, डायबिटीज और हृदय रोगों का जोखिम बढ़ाते हैं। वहीं कई अध्ययनों में पाया गया है कि पैकेज्ड फूड के हेल्दी होने के दावे हमेशा सही नहीं होते क्योंकि अधिक तापमान पर प्रोसेसिंग से कई आवश्यक पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। किस तरह नुकसान पहुंचा सकते हैं पैकेज्ड फूड? पैकेज्ड सूप में मौजूद कलरिंग एजेंट, प्रिज़र्वेटिव्स और यीस्ट एक्स्ट्रेक्ट पाउडर लिवर, किडनी और प्रतिरक्षा तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। पैकेज्ड बिस्कुट अधिक तापमान पर बेक किए जाते हैं, जिससे तेल में मौजूद पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। इनमें सैचुरेटेड फैट और आर्टिफिशियल स्वीटनर होते हैं, जो शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। रेडी टू ईट मील्स में सब्जियों का पानी निकाल दिया जाता है, जिससे पोषक तत्व कम हो जाते हैं। इनमें मिलाए जाने वाले प्रिज़र्वेटिव्स एक्सपायरी के बाद बेहद हानिकारक हो सकते हैं। मूसली में मौजूद सोया लिसिथिन से मतली, चक्कर आना, वजन में अनियमितता जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। सीरल्स में प्रिज़र्वेटिव्स, आर्टिफिशियल कलर्स और शुगर की मात्रा अधिक होती है, जो लंबे समय में कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ा सकती है। इन सावधानियों का रखें ध्यान पैकेज्ड फूड का लेबल ध्यान से पढ़ें और न्यूट्रिशन इंडेक्स की जांच अवश्य करें। निर्माण तिथि और एक्सपायरी डेट जरूर देखें; कोशिश करें कि उत्पाद 6 महीने के भीतर उपयोग हो जाए। छोटे पैक खरीदें ताकि खुलने के बाद जल्दी इस्तेमाल किया जा सके। कैन वाले खाद्य पदार्थ विशेष रूप से एक्सपायरी चेक करके ही खरीदें। कम फैट और कम कैलोरी वाले विकल्प चुनें। फ्राइड फूड के स्थान पर स्टीम्ड, बेक्ड या रोस्टेड पैक्ड आइटम का उपयोग करें। ऐसे में विशेषज्ञ तो यही कहते हैं कि सुविधा के इस दौर में पैकेज्ड फूड एक आसान विकल्प जरूर है, लेकिन इनका अंधाधुंध सेवन सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। समझदारी इसी में है कि इन्हें सीमित मात्रा में और सावधानी से इस्तेमाल किया जाए। हिदायत/ईएमएस 04 दिसंबर 2025