राष्ट्रीय
04-Dec-2025
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रांची(ईएमएस)। बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की करारी हार के बाद झारखंड की सियासत में भूचाल आ गया है। वजह है झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की नाराजगी। बिहार चुनाव में जेएमएम को एक भी सीट नहीं दी गई थी, जिससे पार्टी बेहद खफा है। अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन के साथ दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। राजनीतिक गलियारों में तेज चर्चा है कि जेएमएम एनडीए के साथ जा सकती है और झारखंड में नई सरकार बन सकती है। 2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया था। 81 में से 56 सीटें जीती थीं – जेएमएम 34, कांग्रेस 16, राजद 4 और वाम दल 2। बीजेपी को सिर्फ 20 सीटें मिली थीं। अगर जेएमएम महागठबंधन छोड़कर बीजेपी के साथ आती है तो सिर्फ दो दलों की सीटें (34 + 20 = 54) ही बहुमत के जादुई आंकड़े 42 से कहीं ऊपर पहुँच जाएंगी। अगर पूरा एनडीए जेएमएम के साथ आता है तो तस्वीर और मजबूत होगी। बीजेपी (20) + जेएमएम (34) + आजसू (1) + एलजेपी (1) + जेडीयू (1) = कुल 57 सीटें। यानी भारी बहुमत। इससे मौजूदा महागठबंधन सरकार अपने आप गिर जाएगी और हेमंत सोरेन एक बार फिर मुख्यमंत्री बन सकते हैं, इस बार बीजेपी के समर्थन से। सियासी जानकार मानते हैं कि बिहार में नीतीश कुमार की जीत और राजद की हार के बाद जेएमएम को लगा कि कांग्रेस-राजद के साथ रहने से उसका भविष्य सुरक्षित नहीं है। बिहार में सीट न मिलना आखिरी झटका साबित हुआ। यही वजह है कि हेमंत सोरेन दिल्ली में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से लगातार संपर्क में बताए जा रहे हैं। हालांकि जेएमएम के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने साफ इनकार किया है। उन्होंने कहा, यह सिर्फ अफवाह है। हम महागठबंधन के साथ हैं और रहेंगे। मगर दिल्ली में सोरेन दंपती की मौजूदगी और बंद कमरों में चल रही बैठकों ने सारी अटकलों को हवा दे दी है। अगर यह उलटफेर हुआ तो झारखंड की राजनीति में पिछले दस साल का सबसे बड़ा सियासी धमाका होगा। देखना यह है कि हेमंत सोरेन पुरानी दोस्ती निभाते हैं या नया गठबंधन चुनते हैं। वीरेंद्र/ईएमएस/04दिसंबर2025