राष्ट्रीय
05-Dec-2025


नई दिल्ली,(ईएमएस)। दिल्ली हाईकोर्ट में उस समय अचानक हलचल पैदा हो गई, जब एक वरिष्ठ वकील मुंह पर लाल टेप लगाकर कोर्टरूम में पहुंच गए। जस्टिस नितिन संबरे और जस्टिस अनीश दयाल की डबल बेंच ने उनकी इस हरकत को गैर-जिम्मेदाराना और गरिमा के विरुद्ध बताते हुए कड़े शब्दों में नाराजगी जाहिर की। बेंच के मुताबिक, जब वरिष्ठ अधिवक्ता आरके सैनी कोर्ट में दाखिल हुए तो शुरुआत में जजों को लगा कि शायद उन्हें कोई चोट लगी है, लेकिन पूछने पर पता चला कि यह उनका प्रतीकात्मक विरोध था। इसके बाद अधिवकता सैनी ने बताया, कि पिछली सुनवाई में उन्हें दलीलें पूरी तरह रखने नहीं दी गई थीं, इसलिए वे इस तरीके से अपना विरोध जताने कोर्ट पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि उन्हें लगातार टोका गया और अपनी बात रखने का पर्याप्त अवसर नहीं मिला। हालांकि, बेंच ने स्पष्ट किया कि उन्हें इसलिए रोका गया था क्योंकि वे लंबी और दोहराव वाली दलीलें पेश कर रहे थे। कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा, सैनी 25 साल से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ वकील हैं। उनसे ऐसे व्यवहार की उम्मीद नहीं थी। बेंच ने वकील की इस हरकत को पेशे की प्रतिष्ठा के खिलाफ बताया और कहा कि कोर्ट की गरिमा बनाए रखना वकीलों की पहली जिम्मेदारी है। जजों ने कहा कि विरोध का यह तरीका बिल्कुल अनुचित है और यह अदालत की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, लेकिन अदालत की मर्यादा उससे ऊपर है। दिल्ली हाईकोर्ट में बुधवार को हुई इस घटना का वीडियो फुटेज अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसके बाद लोगों ने तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं भी देनी शुरु कर दी हैं। एक तरफ लोग कह रहे, कि वकील ने अपनी बात रखने के अधिकार के लिए खड़े होकर सही किया, जबकि दूसरा पक्ष इसे कोर्ट की अवमानना करार देता है। बहरहाल कोर्ट ने सैनी को अगली सुनवाई में सामान्य तरीके से दलील पेश करने के निर्देश दिए हैं। पीआईएल का चलन शुरू करने वाले वकील अधिवक्ता सैनी दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिकाओं के चलन को शुरू करने वाले वकीलों में गिने जाते हैं। एमसीडी के अवैध निर्माण हटाने वाली ऐतिहासिक पीआईएल भी उन्हीं की दायर की हुई थी। ऐसे में उनके इस तरह के विरोध ने बार और न्यायिक हलकों में चर्चा तेज कर दी है। हिदायत/ईएमएस 05दिसंबर25