हर अग्रि दुर्घटना के बाद जांच पड़ताल, फिर वही ढाक के तीन पात जबलपुर (ईएमएस)। शहर में विगत दो दिनों में हुई दो बड़ी अग्नि दुर्घटनाओं के बाद एक बार पुन: नगर निगम का अमला सक्रिय हो गया। निगमायुक्त द्वारा जोन स्तर पर पांच अलग अलग दल भी बना दिए गए और ये दल तत्काल ताबड़तोड़ ढंग से मैदान में उतर भी गए। कल पहले दिन ही कई बड़े प्रतिष्ठानों की जोंच हो गई तों वहीं तीन बड़े प्रतिष्ठानों के लायसेंस भी निलंबित कर दिए गए। कार्यवाही अभी कुछ दिन चलेगी। संभवत: इसके बाद पुन: ढाक के तीन पात वाली स्थिति में शहर आ जाएगा। इस शहर में कमावेश हर बड़ी दुर्घटना के बाद जिम्मेदार ऐसे ही सक्रिय होते हैं। बड़े ही ताबड़तोड़ अंदाज में कार्यवाहियां होती हैं और फिर जिम्मेदार लोग लंबी तान कर सो जाते हैं। मातहत अमला कई बार ऐसी मुहिम को अपनी कमाई का जरिया बना लेता है। श्हाहर के घने रहवासी इलाकों में आज सैकड़ों की संख्या में गोदाम और कारखाने चल रहे हैं। 2 दिसंबर व इसके बाद 4 दिसंबर को कपछा़ कारखाने व प्रतिष्ठान में भीषण आग की घटना से पूर्व बीते वर्ष गर्मी के मौसम में गंजीपुरा जैसे संकरे इलाके में भी एक कपड़ा दुकान जली थी। आसपास के रहवासी मुश्किल में फंस गए थे। इससे पहले दीक्षिपुरा क्षेत्र में ऐ तेल गोदाम ने भी आसपास के दर्जनों घरों के रहवासियों की जान को सांसत में सांसत में डाल दिया था। बिना फायर सेफटी चल रहे एक अस्पताल ने तो कई लोगों की जान तक ले ली। हादसे के बाद पूरा प्रशासन सक्रिय हो गया। ताबड़तोड़ ढ़ग से शहर के कई अस्पतालों में फायर सेफटी आडिट हो गया । कुछ को क्लान चिट मिली तो कुछ को चेतावनी, एक दो के लायसेंस सस्पेंड और फिर कुछ दिन में सब कुछ बहाल। सवाल यह है कि अस्पताल हो या कारखाने गोदाम या कि बहुमंजिला इमारतें, सरकारी मशीनरी इनके स्थापना काल में ही क्यों सक्रिय नहीं होती। आखिर इन सभी के संचालन पूर्व जिम्मेदार लोग किसी तरह की जांच परख क्यों नहीं करते। आज स्थिति यह है कि शहर के हर मोहल्ले की तंग गलियों में धड़ल्ले से कारखाने, फैक्ट्रियां संचालित हो रही हैं। जबकि इन गलियों में आटो तक का निकलना मुश्किल रहता है। वैसे भी शहर का लगभग 50 प्रतिशत र्हिस्सा पुरानी बसाहट का है जहां तंग गलियों में कोई अगर््ि न हादसा होने पर घटनास्थल तक फायर ब्रिगेड पहुंच ही नहीं पाती । आज इस वास्तविकता से भी मुंह नहीं मोड़ा जा सकता कि इन्हीं संकरी गलियों में गोदाम, दुकान और थोक व्यापार चल रहा है तथा इनमें से अधिकांश के पास फायर सेफ्टी के कोई इंतजाम नहीं है। ऐसे में यहां कभी हादसा होता है तो जहां संबंधितों को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड ़ सकता है तो वहीं इन क्षेत्रों के रहवासियों की जान भी संकट में आ सकती है। आज पुराने शहर में स्थिति खराब है। इन सघन रहवासी क्षेत्रों में तो अधिकांश ऐसी गलियां हैं, जहां तीन व चार पहिया तो ठीक दोपहिया वाहन चलाना भी मुश्किल होता है। यहां फायर ब्रिगेड की पहुंच नहीं है। शहर के गोहलपुर,बहोराबाग, गलगला,गुरंदी, , बल्देवबाग, ट्रांसपोर्ट नगर, शांति नगर, यादव कॉलोनी, चेरीताल, अमेखरा, अधारताल, रद्दी चौकी और दमोहनाका में गोदामों का संचालन हो रहा है और इन गोदामों में अग्नि सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं। इनमें से कितनी वैध हैं और कितनी अवैध , इसका पुख्ता खाता भी निगम के पा स शायद ही हो। हालांकि वर्तमान में निगम प्रंशासन की बागडोर संभाल रहे आयुक्त रामप्रक्राश अहिरवार ने सुपर मार्केट क्षेत्र में दो दिसंबर को हुई अग्नि दुर्घटना के तत्काल बाद ही जो सक्रियता दिखाई उससे ऐसा भान होता है किे आगामी दिनों में शहर के हालातों में कु़छ बदलाव जरूर आएगा। 4 दिसंबर को घमंडी चौक पर कपड़ा प्रतिष्ठान की आग के बाद उन्होंने त्वरित गति से जोन स्तर पर जांंच पड़ताल के लिए टीम लगा दी है जो आज दुसरे दिन भी मैदान में है। निगमायुक्त ने स्पष्ट हिदायत दी है कि यदि रहवासी इलाकों ं में व्यावसायिक उपयोग होता पाया जाता है तो ऐसे कारोबार पर गुमास्ता के साथ विक्रय लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई भसी की जाएगी। उन्होंने कहा कि हर हाल में सभी दुकानदारों और कारखाना संचालकों को फायर एनओसी लेना अनिवार्य है, इसके बिना कोई भी प्रतिष्ठान, गोदाम , कारखाना संचालित करता पाया जाता है तो वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। ईएमएस/05/12/2025