* गुजरात मॉडल से मिली प्रेरणा : सहकारी बैंकों में लो-कॉस्ट डिपॉजिट में वृद्धि, राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की तैयारी गांधीनगर (ईएमएस)| केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की प्रेरक उपस्थिति में दो दिवसीय ‘अर्थ समिट 2025-26’ का शुभारंभ किया। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अर्थ समिट एक्सपो का उद्घाटन करने के बाद केंद्रीय सहकारिता मंत्री और मुख्यमंत्री ने विभिन्न स्टॉलों का अवलोकन किया। इस अवसर पर गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष शंकर चौधरी, राज्य के कृषि एवं सहकारिता मंत्री जीतू वाघाणी तथा विधानसभा उपाध्यक्ष जेठा आहिर मौजूद रहे। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इस अवसर पर कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को देश की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान देने वाला क्षेत्र बनाने के लिए ‘अर्थ समिट’ शृंखला के तीन संस्करणों का आयोजन किया जा रहा है। जिसका दूसरा संस्करण महात्मा गांधी की भूमि गुजरात में किया गया है। उन्होंने याद दिलाया कि महात्मा गांधी जी ने आजादी से कहा था कि भारत के विकास की परिकल्पना उसके ग्रामीण क्षेत्रों को नजरअंदाज करके कभी नहीं की जा सकती। दुर्भाग्यवश ग्रामीण विकास के तीन महत्वपूर्ण अंगों- कृषि, पशुपालन और सहकारिता क्षेत्र की आजादी के बाद कई वर्षों तक उपेक्षा की गई। केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर महात्मा गांधी के मंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए इन तीनों क्षेत्रों के विकास पर बल देकर देश में नए परिवर्तन की शुरुआत की। देश की 80 फीसदी आबादी का भविष्य निर्धारित करने वाले ग्रामीण विकास, कृषि और सहकारिता मंत्रालय को और सुदृढ़ एवं परिणाम-उन्मुख बनाने के लिए प्रधानमंत्री ने इन तीनों मंत्रालयों के संयुक्त बजट में वर्ष 2014 से अब तक तीन गुनी वृद्धि की है। 2014 में इन तीनों मंत्रालय का संयुक्त बजट 1.02 लाख करोड़ रुपए था, जो 2025-26 में 3.15 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है। शाह ने कहा कि हर देशवासी का यह संकल्प है कि जब देश की आजादी के 100 वर्ष पूरे हों, तब भारत हर क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अव्वल हो। इस पूर्ण विकसित भारत की कल्पना देश के प्रत्येक नागरिक के कल्याण के बिना संभव नहीं है। भारत सरकार ने नागरिकों की खुशहाली और सहकारी क्षेत्र के विकास के लिए आने वाले समय में देश की हर पंचायत में एक सहकारी संस्था और पूरे देश में 50 करोड़ से अधिक सक्रिय सहकारी सदस्य बनाकर देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सहकारी क्षेत्र के योगदान को तीन गुना बढ़ाने का आयोजन किया है। अर्थ समिट के विषय ‘वैश्विक परिवर्तन के लिए ग्रामीण नवाचार को सशक्त बनाना’ का उल्लेख करते हुए श्री शाह ने कहा कि छोटे-छोटे बदलावों और नवाचारों से ग्रामीण क्षेत्र का देश की अर्थव्यवस्था में योगदान तथा नागरिकों की सुविधाएं किस प्रकार बढ़ सकती हैं, इस दिशा में चिंता, चिंतन और परिणाम-उन्मुख चर्चाएं करना ही इस अर्थ समिट का मुख्य लक्ष्य है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस समिट के अमृत चिंतन से देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की अनेक बड़ी चुनौतियों का समाधान लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगले साल दिल्ली में अर्थ समिट के तीसरे संस्करण का आयोजन किया जाएगा। इन तीनों संस्करणों के पूर्ण होने के बाद देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास की मजबूत नींव रखी जाएगी और देश के सहकारी क्षेत्र को अधिक पारदर्शी, समावेशी और लाभकारी बनाया जाएगा। अर्थ समिट में अब तक 10 हजार से अधिक प्रतिनिधि, 1200 से अधिक कॉर्पोरेट्स, 500 से अधिक विशेषज्ञ वक्ता, 300 से अधिक स्टार्टअप्स, 250 से अधिक प्रदर्शक और 50 से अधिक निवेशक जुड़ चुके हैं, साथ ही 30 से अधिक वर्कशॉप-मास्टर क्लासेज का आयोजन किया गया है। केंद्रीय मंत्री शाह ने साफ किया कि बिना टेक्नोलॉजी के सहकारी क्षेत्र आगे नहीं बढ़ सकता, लेकिन छोटी सहकारी समितियों के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करना और डेटा स्टोरेज के लिए खर्च करना संभव नहीं है। इस चुनौती के समाधान के रूप में नाबार्ड की ओर से ‘सहकार सारथी’ पहल के तहत 13 से अधिक विभिन्न डिजिटल सेवाएं पोर्टल के रूप में लॉन्च की गई हैं, जिनमें सहकार सारथी, सहकार सेतु और संग्रह सारथी आदि शामिल हैं। यह पहल ग्रामीण, जिला और शहरी कोऑपरेटिव बैंकों को एक छत के नीचे लाकर, उन्हें निजी बैंकों के समकक्ष आधुनिक टेक्नोलॉजी प्रदान करेगा। यह टेक्नोलॉजी वसूली, लीगल डॉक्यूमेंटेशन और केवाईसी जैसी प्रक्रियाओं में मददगार सिद्ध होगा। श्री शाह ने विश्वास व्यक्त किया कि ‘सहकार सारथी’ एप, जिसे को-ऑपरेटिव बैंकिंग एक्ट के अंतर्गत तैयार किया गया है, वह आरबीआई के सभी नियमों और मानकों को पूर्ण करने में निर्णायक साबित होगा और आने वाले समय में ई-केवाईसी तथा किसान क्रेडिट कार्ड धारकों को महंगे क्रेडिट कार्ड जैसी सुविधाएं प्रदान करेगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गुजरात में बनासकांठा और पंचमहाल में ‘सहकारी समितियों के बीच सहयोग’ का एक सफल प्रयोग किया गया है, जिसके अंतर्गत हरेक सहकारी संस्था अपना बैंक खाता और बचत सहकारी बैंक में ही रखती है। इस प्रयोग के आश्चर्यजनक परिणाम मिले हैं और सहकारी बैंकों में हजारों करोड़ रुपए की लो-कॉस्ट डिपॉजिट बढ़ गई है। इस मॉडल के सफल प्रयोग में नजर आए नीति विषयक मामलों में सुधार के बाद इस देश भर में लागू किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वैश्विक स्वास्थ्य के लिए अत्यावश्यक प्राकृतिक कृषि का दायरा देश में लगातार बढ़ रहा है। आज देश में 49 लाख किसानों ने प्राकृतिक कृषि को अपनाया है। उनके उत्पादों की विश्वसनीयता के लिए भारत सरकार, भारत ऑर्गेनिक्स और अमूल ऑर्गेनिक्स के साथ मिलकर लेबोरेटरकी की एक पूरी चेन बना रही है। इससे हर किसान अपने उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय स्तर अंतरराष्ट्रीय स्तर की ऑर्गेनिक टेस्टिंग कराकर भारत सहित उन्हें दुनिया के बाजार में निर्यात कर सकेगा। हाल ही में अमूल ऑर्गेनिक ने 40 खाद्य वस्तुओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराया है। ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों के वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी 2030 तक 20 फीसदी से अधिक और वर्ष 2035 तक 40 फीसदी से अधिक होगी। केंद्रीय मंत्री ने सहकारिता क्षेत्र के विकास की दिशा में सहकारी टैक्सी का उल्लेख करते हुए कहा कि अगले दो वर्षों में सहकारी टैक्सी दैश की सबसे बड़ी टैक्सी कंपनी बन जाएगी। दिल्ली में हाल ही में शुरू किए गए ट्रायल में ही अब तक 51,000 ड्राइवरों ने पंजीकरण कराया है। इसी प्रकार, आगामी समय में सहकारिता क्षेत्र सहकारी बीमा भी लाने जा रहा है, जो हर गांव में तीन युवाओं को रोजगार देगा। सतीश/05 दिसंबर