नई दिल्ली (ईएमएस)। सर्दियों में त्वचा की देखभाल के लिए तिल का तेल न केवल त्वचा को पोषण और सुरक्षा देता है, बल्कि मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द को कम करने में भी मदद करता है। वात को नियंत्रित करने में तिल का तेल अहम भूमिका निभाता है, जिससे गठिया, जोड़ों में दर्द और नींद न आने जैसी समस्याओं में राहत मिलती है। तिल के तेल में भरपूर मात्रा में सेसामोल, सेलमिन और विटामिन ई मौजूद होते हैं, जो त्वचा की सात परतों तक जाकर उसे अंदर से पोषण देते हैं। नियमित अभ्यंग से त्वचा का रूखापन, झुर्रियां और सर्दियों में होने वाली दरारें कम होती हैं। भारतीय परंपरा में तिल का तेल उबटन और स्किनकेयर में भी शामिल किया जाता रहा है, क्योंकि यह धूप में मौजूद यूवी किरणों से त्वचा की रक्षा करता है। तेल लगाने के बाद शरीर पर बनने वाली पतली परत 24 घंटे तक बनी रहती है और त्वचा को सुरक्षित रखती है। सिर्फ त्वचा तक सीमित नहीं, तिल का तेल हड्डियों को मजबूत बनाने और जोड़ों के दर्द को कम करने में भी फायदेमंद है। सर्दियों में गठिया और मांसपेशियों के दर्द बढ़ जाते हैं, ऐसे में सुबह-शाम तिल के तेल से अभ्यंग करना लाभकारी साबित होता है। यह न केवल शरीर को गर्म रखता है, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को संतुलित बनाए रखने में भी मदद करता है। जैतून और अन्य प्राकृतिक तेलों के मुकाबले तिल का तेल सर्दियों में सबसे प्रभावशाली माना जाता है। इसका नियमित उपयोग त्वचा को जवान और चमकदार बनाए रखने के साथ-साथ शरीर और जोड़ों को मजबूती भी देता है। आयुर्वेद विशेषज्ञ बताते हैं कि तिल का तेल सर्दियों में बढ़ते वात को कम करता है, जिससे दर्द, तनाव और नींद की समस्या में भी राहत मिलती है। सुदामा/ईएमएस 06 दिसंबर 2025