राष्ट्रीय
06-Dec-2025
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नई दिल्ली,(ईएमएस)। देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो की वही रणनीति, जिसने उसे 60 फीसद से ज्यादा बाजार में हिस्सेदारी दिलाई, अब बड़ी चुनौती बनती दिख रही है। कम लागत और अधिकतम यूटिलाइजेशन के मॉडल पर आधारित इंडिगो रोजाना 2,100 से अधिक उड़ानें संचालित करती है और एयरबस के 900 से ज्यादा विमानों का ऑर्डर दे चुकी है। लेकिन डीजीसीए द्वारा लागू किए गए नए सेफ्टी नियमों और बढ़ते वर्कफोर्स प्रेशर से इसके संचालन पर असर पड़ रहा है। इंडस्ट्री विशेषज्ञों के अनुसार इंडिगो अपने फ्लीट का प्रतिदिन 11–13 घंटे इस्तेमाल करती रही है, जबकि एयर इंडिया जैसी फुल-सर्विस एयरलाइंस 10 घंटे से कम। तेज टर्नअराउंड और उच्च उड़ान समय इंडिगो की मजबूती रहा है, लेकिन इसी मॉडल में कमजोरी भी है, किसी एक उड़ान में देरी का असर पूरे नेटवर्क पर पड़ता है। पायलटों की थकान को देखते हुए डीजीसीए ने सख्त नियम लागू किए हैं। पायलटों का साप्ताहिक आराम 36 से बढ़ाकर 48 घंटे कर दिया गया है, नाइट-ड्यूटी विंडो बढ़ाई गई है और नाइट लैंडिंग की सीमा घटाई गई है। इसके चलते इंडिगो को अपने कई रूटों पर उड़ानों की संख्या कम करनी पड़ी है। विलंबित उड़ानों से पूरा शेड्यूल प्रभावित सुबह की उड़ानों में देरी के कारण पूरे दिन शेड्यूल प्रभावित हो रहा है और यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ रही है। विश्लेषकों का कहना है कि नए नियमों के बाद इंडिगो को सैकड़ों अतिरिक्त पायलटों की जरूरत पड़ेगी, जबकि पिछले दो वर्षों में ही पायलट और केबिन क्रू की सैलरी में भारी बढ़ोतरी हो चुकी है। दक्षता और सुरक्षा भविष्य की बड़ी चुनौती तेजी से बढ़ती लागत, सीमित फ्लीट उपलब्धता और सख्त सेफ्टी मापदंडों के बीच इंडिगो को अब अपने संचालन मॉडल में बड़े बदलाव करने होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि एयरलाइन के सामने आने वाले महीनों में सबसे बड़ी चुनौती दक्षता और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की होगी। हिदायत/ईएमएस 06 दिसंबर 2025