क्षेत्रीय
06-Dec-2025
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नकली पुलिस, फर्जी सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही और बनावटी ईडी अधिकारी तक हुए शामिल - सरकारी एक्शन की तरह पूरे रौब, रुतबे और पांखड के साथ की गई ऑनलाइन कार्यवाही - संदिग्ध लेनदेन के आरोप लगाकर कई दिन रखा डिजिटल अरेस्ट - दो अलग-अलग एकाउंट में जमा कराई रकम भोपाल(ईएमएस)। एमपी की राजधानी भोपाल में साइबर ठगों का अब तक का सबसे हाईटेक जाल बिछाकर ठगी किये जाने का मामला सामने आया है। बेहद शातिर जालसाजो ने मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस के 85 वर्षीय रिटायर्ड अधिकारी को फर्जी बैंक खाते और संदिग्ध लेनदेन के आरोप लगाकर पहले तो एक सप्ताह तक डिजिटल अरेस्ट रखा। इस दौरान ठगी की कार्यवाही पूरी तरह से असली दिखाते हुए नकली पुलिस, फर्जी सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही और बनावटी ईडी अधिकारियों तक ले जाई गई। जालासाजो ने यह पूरा एक्शन ऑनलाइन लेते हुए शासकीय कार्यवाही वाले पूरे रौब, रुतबे और पांखड के साथ अंजाम दिया जिससे फरियादी को किसी भी तरह का शक न हो सके। जानकारी के अनुसार बागमुगालिया क्षेत्र में रहने वाले टीके नागसरकर साल 2001 में केंद्र की मिलिट्री इंजीनियर सर्विस से रिटायर हुए थे। 13 नवंबर को टीके नागसरकर के पास सुबह के समय अज्ञात नंबर से फाने आया। फोन करने वाले खुद को दिल्ली पुलिस का अधिकारी विजय खन्ना बताते हुए आरोप लगाया कि आपका कैनरा बैंक का खाता फर्जी हस्ताक्षर कर खोला गया है, और इसमें संदिग्ध लेनदेन हुआ है। नागसरकर ने इसे गलत बताया। तब उनसे कहा गया की पुलिस ने शुरुआती जांच की है, और यदि आप निर्दोष हैं, तो कोर्ट में साबित करें। इसके बाद अगले ही दिन 14 नवंबर को रिटायर्ड अधिकारी को लाइव वीडियो कॉल पर ‘सुप्रीम कोर्ट’ में पेश कर सुनवाई की गई। यहां फरियादी को एक फर्जी वकील भी दिया गया। कोर्ट में दिनभर ऑनलाइन सुनवाई हुई, जिसमें जज थे, दोनों पक्षों के वकीलों ने पैरवी की और फिर अंत में ठग बने जज बनकर फैसला भी सुना डाला। जज ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और फिर पूरी जांच ईडी को सौंपने का आदेश सुनाया। इसके बाद 15 नवंबर को खुद का नाम निशा पटेल बताते हुए कहा की वह ‘ईडी अधिकारी’ है, और आपके कैनरा बैंक के फर्जी खाते मामले में अन्य सभी बैंक खातों में जमा रकम की जांच की जायेगी। जांच के लिए उनके सारे बैंक खातों में जमा रकम को दूसरे खातों में ट्रांसफर करनी होगी। ठगो के जाल में पुरी तरह से फंसे नागसरकर ने 20 लाख रुपये दिल्ली की एक फर्नीचर फर्म के एक खाते में ट्रांसफर किए और फिर 19 तारीख को दूसरे खाते में जमा 16 लाख रुपये भी डिब्रूगढ़ के बैंक खाते में जमा करवा दिए। फरियादी को भरोसा दिलाया गया की एक सप्ताह में जांच पूरी होने के बाद उनकी रकम लौटा दि जायेगी। जब समय बीतने पर पैसा वापस नहीं मिला तब उन्हें एहसास हुआ की वह सायबर ठगी का शिकार हो गये है। इसके बाद बीते दिनो उन्होनें साइबर क्राइम सेल में शिकायत की। शिकायत मिलने पर साइबर सेल उन नंबरो की कॉल डिटेल सहित मोबाउल धारक की जानकारी जुटा रही है, जिसका इस्तेमाल ठगो ने किया है। साथ ही उन दो बैंक खातो की जानकारी भी जुटाई जा रही है, जिसमें फरियादी से रकम ट्रासंफर कराई गई है। जुनेद / 6 दिसंबर