* देश को एक और अखंड बनाने के संकल्प को प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाकर साकार किया है : मुख्यमंत्री * ‘सरदार@150’ राष्ट्रीय एकता पदयात्रा वास्तविक अर्थों में ‘विचारों की यात्रा’ बन रही है : केंद्रीय मंत्री नर्मदा (ईएमएस)| राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि बारडोली सत्याग्रह ने सरदार वल्लभभाई पटेल को देशभर में एक मजबूत और कद्दावर जननेता के रूप में स्थापित किया था। अंग्रेजों के अत्याचारी कर-वृद्धि के विरुद्ध वल्लभभाई पटेल ने नेतृत्व संभाला था। उस समय वे एक सफल वकील थे और आरामदायक जीवन जी सकते थे, लेकिन उन्होंने देशसेवा के लिए अपनी वकालत त्याग दी। सरदार पटेल ने बड़ौली के गांव–गांव जाकर किसानों को एकत्र किया, उनमें आत्मविश्वास जगाया और उन्हें एकता की डोर में बाँधने का कठिन कार्य किया। ऐसे कठिन समय में सरदार पटेल ने सफल सत्याग्रह का नेतृत्व किया था। किसानों की विजय और उनके अद्वितीय नेतृत्व के कारण ही वल्लभभाई पटेल को “सरदार” की उपाधि प्राप्त हुई थी। उन्होंने कहा कि एकता नगर में सरदार साहब की विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा का निर्माण कराकर देश की एकता और अखंडता का प्रतीक स्थापित किया गया है। देशभर में आयोजित पदयात्राएँ सरदार साहब के जीवन–आदर्शों और उनके सत्कर्मों से नई ऊर्जा प्राप्त करेंगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती का वर्ष पूरे देश में राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बन गया है। यह वर्ष राष्ट्रगीत वंदे मातरम् और भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के साथ-साथ सरदार साहब की विचारधारा के वैश्विक प्रसार का प्रेरणास्रोत बन रहा है। भारत आज एक सक्षम राष्ट्र के रूप में खड़ा है, जो सरदार पटेल की राजनीतिक दूरदर्शिता, हिम्मत और दृढ़ इच्छाशक्ति का परिणाम है। उन्होंने बताया कि डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर द्वारा दिया गया संविधान राष्ट्रीय बंधुत्व के संकल्प का प्रतीक है। 26 नवंबर—संविधान अंगीकार दिवस से शुरू हुई यह राष्ट्रीय एकता पदयात्रा डॉ. आंबेडकर की पुण्यतिथि के दिन समाप्त होना अपने-आप में एक प्रेरणादायक संदेश है। प्रधानमंत्री ने सरदार पटेल और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के “एक देश, एक कानून, एक संविधान” के संकल्प को जम्मू–कश्मीर में धारा 370 हटाकर साकार किया है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल के प्रति राष्ट्र की कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए प्रधानमंत्री ने गुजरात के केवड़िया में विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा—स्टैच्यू ऑफ यूनिटी—का निर्माण कराया है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि युवाशक्ति विकसित भारत के निर्माण की मजबूत नींव है। इस एकता मार्च में शामिल युवाओं की ऊर्जा और समर्पण प्रेरणादायक है। पदयात्रा के दौरान स्वच्छता, ‘एक पेड़ मां के नाम’, और राष्ट्रभक्ति जैसे आयामों को युवाओं ने हृदय से अपनाया। समापन अवसर पर मुख्यमंत्री ने आह्वान किया कि सरदार साहब के ‘राष्ट्र प्रथम’ के सिद्धांत को हृदय में रखकर हमें विकसित भारत @2047 के संकल्प को पूरा करने के लिए एकता, प्रतिबद्धता और कार्यशक्ति के साथ आगे बढ़ना चाहिए। केंद्रीय खेल एवं युवा मामलों के मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने बताया कि वे स्वयं चार दिनों तक इस पदयात्रा में साथ रहे। 150 किमी की यह यात्रा करमसद से एकतानगर तक चली। देश के कोने–कोने से अनेक युवाओं, महिलाओं और हजारों लोगों ने अपनी क्षमता के अनुसार एक, दो या तीन दिन के लिए यात्रा में भाग लिया, जिससे यह वास्तव में ‘विचार–यात्रा’ का रूप ले पाई। उन्होंने बताया कि जहाँ-जहाँ पदयात्रा गुजरी, वहाँ जनता ने उत्साहपूर्वक स्वागत किया। किसानों ने अपने खेतों में उगे केले और जामफल यात्रियों को खिलाकर स्वागत किया। प्राकृतिक खेती के प्रदर्शन से ‘आत्मनिर्भर भारत’ का संदेश दिया गया। यह पदयात्रा राष्ट्र को एकता का संदेश दे रही है और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प को साकार कर रही है। इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने स्वदेशी अपनाने और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का संकल्प भी लिया। उल्लेखनीय है कि ‘सरदार@150’ राष्ट्रीय एकता पदयात्रा 26 नवंबर को करमसद से प्रारंभ हुई थी। 11 दिनों की यह यात्रा आनंद, वडोदरा और नर्मदा जिलों के ग्रामीण व शहरी इलाकों से गुजरते हुए 6 दिसंबर को एकतानगर स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पहुँची। इसमें शामिल उत्साही युवा पीढ़ी, जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों व नागरिकों ने आत्मनिर्भर और विकसित भारत के निर्माण के लिए जन-जन तक एकता का संदेश पहुँचाया। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह, केंद्रीय राज्य मंत्री रक्षाखड़से व तुखान साहू, स्वराज आश्रम–बड़ौली की ट्रस्टी निरंजनाबेन कलार्थी, सांसद मनसुख वसावा, जशु राठवा तथा जिला प्रशासन के अधिकारी और बड़ी संख्या में सरदार प्रेमी नागरिक उपस्थित थे। सतीश/06 दिसंबर