* “पठारी मेरा अभिमान-पूज्य बुढ़ा देव भगवान” पुस्तक का किया विमोचन कोरबा (ईएमएस) विश्व के प्रथम आदिवासी शक्तिपीठ, कोरबा में एम.एल. मरावी स्वयं शक्तिपीठ पहुंचकर अपने द्वारा लिखित अत्यंत महत्वपूर्ण और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में प्रतिष्ठित होने जा रही पुस्तक “पठारी मेरा अभिमान-पूज्य बुढ़ा देव भगवान” का औपचारिक रूप से विमोचन किया। यह पुस्तक मात्र साहित्यिक रचना न होकर आदिवासी समाज की गौरवशाली परंपरा, संस्कृति, आस्था और अस्मिता का जीवंत, प्रलेखित एवं प्रमाणिक दस्तावेज के रूप में लंबे समय तक स्मरणीय रहेगी। इसमें पूज्य बुढ़ा देव से जुड़े आध्यात्मिक प्रसंग, पर्व-त्यौहार, जनजातीय जीवन, परंपरागत मान्यताएँ तथा सामाजिक-सांस्कृतिक गौरव को अत्यंत संवेदनशील व शोधपूर्ण स्वर में प्रस्तुत किया गया है। एम.एल. मरावी के कोरबा आगमन ने शक्तिपीठ परिसर में विशेष उत्साह और श्रद्धा का वातावरण बनाया। शक्तिपीठ परिवार एवं स्थानीय जनजातीय समुदाय ने इसे अपने सांस्कृतिक इतिहास की महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में महसूस किया। शक्तिपीठ परिवार की ओर से संरक्षक मोहन सिंह प्रधान ने श्री मरावी के अथक साहित्यिक योगदान, आदिवासी अस्मिता के संरक्षण हेतु उनके प्रयासों तथा “पठारी मेरा अभिमान-पूज्य बुढ़ा देव भगवान” जैसी धरोहरात्मक पुस्तक के लेखन के लिए हृदय से कृतज्ञता प्रकट की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि “यह पुस्तक आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारी पहचान, मूल्यों और विरासत को संजोए रखने वाला एक अमूल्य ग्रंथ सिद्ध होगा। श्री मरावी का यह कार्य आदिवासी समाज की सांस्कृतिक चेतना को नई ऊर्जा प्रदान करेगा।” मोहन सिंह प्रधान ने शक्तिपीठ परिवार की ओर से तथा व्यक्तिगत रूप से आदरणीय एम.एल. मरावी को हार्दिक धन्यवाद, शुभकामनाएँ और अपार बधाई प्रेषित की। 08 दिसंबर / मित्तल