राज्य
08-Dec-2025


बेटे की मौत पर मिली राशि विवाह में खर्च कर देने के बाद अन्य खर्चों के लिए एफडी तोड़ने की मांग को लेकर दायर याचिका खारिज जबलपुर (ईएमएस)। उच्च न्यायालय ने सागर निवासी एक युवक की टे्रन से गिरकर हुई मौत पर मिली मुआवजे की रकम माता पिता द्वारा दूसरे पुत्र के विवाह में खर्च किए जाने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि एक बेटे की मौत पर मिली मुआवजे की रकम को दूसरे बेटे की शादी में उड़ना सबसे खराब उदाहरण है। विवाह जैसे अवसरों पर उक्त राशि को उड़ाना न सिर्फ गलत है, बल्कि पैसों की सीधी बर्बादी है। न्यायालय ने यह भी हैरानी जताई कि मुतावजे के 8 लाख रुपए में से 6 लाख रुपए शादी में खर्च कर दिए गए।न्यायालय ने कहा कि मुआवजे की राशि इसलिए नहीं दी गई कि शादी-समारोहों में पानी की तरह पैसा बहाया जाए। इस मत के साथ न्यायालय ने बचे हुए रुपए निकालने वाली दंपत्ति की याचिका को खारिज कर दिया । प्रकरण के मुताबिक सागर निवासी युवक नीरज की 26 फरवरी 2020 को भोपाल-बिलासपुर एक्सप्रेस से सफर के दौरान गिरने से मृत्यु हो गई थी। रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल भोपाल ने दिसंबर 2021 में उसके माता-पिता को 8 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया था। इसके बाद 28 मार्च 2024 को नीरज के छोटे भाई का विवाह हुआ जिसमें उसके परिवार ने मुआवजे में मिले 8 में से 6 लाख रुपए खर्च कर दिए। शेष 2 लाख रुपए मृतक की मां राधा बाई के नाम से एफडी कराए गए थे । इन्हीं पैसों को तीसरे बेटे की शादी और घरेलू खर्चों के लिए रिलीज कराने की मांग करते हुए नीरज के पिता माता सुजान सिंह और राधा बाई ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान न्यायालय को अवगत कराया गया कि विवाह के खर्च के बाद दावेदारों के पास पैसे नहीं बचे और जिस बेटे की शादी हुई है वह बेरोजगार है, इसलिए खर्चों के लिए एफडी तोड़ने की जरूरत है। इस पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट टिप्पणी की कि मुआवजे की रकम मृतक की क्षति की भरपाई के लिए दी जाती है न कि समारोहों में खर्च करने के लिए। न्न्यायालय ने इस व्यवहार को वित्तीय अपरिपक्वता और फिजूलखर्ची का उदाहरण बताते हुए याचिका खारिज कर दी। .../ 8 ‎दिसम्बर /2025