राज्य
09-Dec-2025
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भोपाल(ईएमएस)। एम्स भोपाल लगातार चिकित्सा सेवाओं और शोध कार्यों में नई ऊंचाइयां स्थापित कर रहा है, जिससे संस्थान के डॉक्टरों की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत हो रही है। इसी क्रम में एम्स भोपाल के नेत्र रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. समेंद्र कारखुर को इटली के फ्लोरेंस शहर में आयोजित प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन फ्लोरेटिना आईकूर 2025 (FLOretina ICOOR, 2025) में अतिथि वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया। यह 13वीं अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस थी, जिसका आयोजन प्रोफेसर स्टेनिसलो रिज़ो द्वारा वर्ल्ड आरओपी कांग्रेस (World ROP Congress) के सहयोग से किया गया। इस सम्मेलन में दुनिया भर से लगभग 1600 से 1800 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। डॉ. समेंद्र कारखुर ने अपने व्याख्यान में “रेटिना के वायरल संक्रमण की जटिलताओं का प्रबंधन और उसके परिणाम” विषय पर जानकारी साझा की। डॉ. कारखुर के अनुसार वायरल रेटिनाइटिस किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन यह बीमारी खासतौर पर ब्लड कैंसर से पीड़ित मरीजों, अन्य कैंसर के लिए कीमोथेरेपी लेने वाले रोगियों, HIV पॉजिटिव लोगों, अत्यधिक बुजुर्गों और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में ज्यादा देखी जाती है। यह बीमारी बच्चों में भी हो सकती है। समस्या यह है कि कई बार इसके लक्षण अन्य सामान्य बीमारियों जैसे दिखते हैं, जिसके कारण गलत इलाज हो जाता है। उन्होंने बताया कि ऐसे मामलों में केवल स्टेरॉयड देकर इलाज करना बेहद खतरनाक हो सकता है, क्योंकि इससे बीमारी और तेजी से बढ़ सकती है। सही तरीका यह है कि समय पर सही जांच कराई जाए और संदेह होने पर मरीज को ऐसे विशेषज्ञ डॉक्टर के पास भेजा जाए जिन्हें इस बीमारी का मेडिकल और सर्जिकल इलाज करने का अनुभव हो। कई मामलों में आंख के अंदर बार-बार इंजेक्शन और नसों के जरिए दवा (इंट्रावेनस थेरेपी) की आवश्यकता होती है। सही समय पर रेटिना की सर्जरी कर मरीज की दृष्टि को बचाया जा सकता है। इस अवसर पर एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक एवं सीईओ प्रो. माधवानंद कर ने डॉ. समेंद्र कारखुर को बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारत में क्लिनिकल और सर्जिकल क्षेत्र में शोध और नवाचार की अपार संभावनाएं हैं और एम्स जैसे संस्थानों न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी विशेषज्ञता का प्रदर्शन करना चाहिए। हरि प्रसाद पाल / 09 दिसम्बर, 2025