राज्य
09-Dec-2025


* गुजरात कांग्रेस प्रवक्ता का आरोप – सरकार आँकड़े छिपाकर गुजरात के बच्चों का भविष्य अंधकारमय बना रही है अहमदाबाद (ईएमएस)| गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता डॉ. पार्थिवराजसिंह काठवाड़िया ने सूचना विभाग द्वारा जारी लिखित बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सूचना विभाग शिक्षा की चिंता करने के बजाय सच को ढंकने-छुपाने में पकड़ा जाता है। गुजरात में आउट-ऑफ-स्कूल बच्चों की संख्या को लेकर संसद में दिए गए आंकड़ों पर शर्माने के बजाय विभाग बेशर्मी से शोर मचा रहा है। पार्टी प्रवक्ता के अनुसार वर्ष 2025-2026 में आउट-ऑफ-स्कूल बच्चों की कुल संख्या 2,40,809 बताई गई है, जबकि 2024-2025 में यह संख्या 54,541 थी। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री सवित्री ठाकुर ने संसद में गलत आंकड़े प्रस्तुत किए हैं? उन्होंने कहा कि जानकारी विभाग को संसद में पूछे गए प्रश्न का पूरा उत्तर पढ़ना चाहिए था। संसद में सरकार ने ‘स्पेशल ट्रेनिंग प्रोग्राम’ पर किए गए खर्च के साथ यह भी बताया है कि कितने बच्चे दोबारा स्कूलों में दाखिल हुए। इस जानकारी के अनुबंध-II में वर्ष-वार आंकड़े स्पष्ट दर्ज हैं, जिन्हें जानकारी विभाग ने देखने की भी जहमत नहीं उठाई। संसद में दी गई जानकारी के अनुसार, वर्ष 2025-2026 में 17,899 बच्चे वापस स्कूलों में दाखिल हुए, जबकि इस पर 571.74019 लाख रुपये का खर्च हुआ है। वहीं वर्ष 2024-2025 में 32,819 बच्चों को पुनः नामांकित किया गया, जिस पर 2,062.673 लाख रुपये खर्च हुए। डॉ. काठवाड़िया ने पूछा कि जब केंद्रीय मंत्री सवित्री ठाकुर के अनुसार 2025-2026 में केवल 17,899 बच्चे स्कूल लौटे, तो माहिती विभाग 2,30,196 बच्चों के पुनः नामांकन का दावा कैसे कर रहा है? “देश की संसद में बोलने वाली मंत्री सही हैं या गुजरात का जानकारी विभाग?” उन्होंने कहा कि सरकार का बचाव करने के प्रयास में जानकारी विभाग आंकड़ों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत कर रहा है, जिससे गुजरात की शिक्षा व्यवस्था में मौजूद खामियों पर पर्दा पड़ रहा है और इसका सीधा नुकसान बच्चों को झेलना पड़ रहा है। जानकारी विभाग को संसद के आंकड़ों को झुठलाने के बजाय यह बताना चाहिए कि सरकार ने अधिक से अधिक बच्चों को स्कूल वापस लाने के लिए क्या व्यवस्था बनाई है। उन्होंने आगे कहा कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा देने वाली सरकार को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि वर्ष 2025-2026 में 1,05,020 किशोरियाँ आउट-ऑफ-स्कूल हैं, जबकि 2024-2025 में यह संख्या केवल 1 थी। “आख़िर ऐसा क्या हुआ कि सिर्फ एक वर्ष में किशोरियों की आउट-ऑफ-स्कूल संख्या में इतना बड़ा उछाल आ गया?” काठवाड़िया ने कहा कि जानकारी विभाग का बयान मानो यह कहने जैसा है कि संसद के आंकड़े गलत हैं। यदि ऐसा है तो संसद को दिए गए आंकड़े किसने उपलब्ध कराए? केंद्र सरकार की एजेंसी ने या गुजरात सरकार ने? उन्होंने यह भी कहा कि ‘प्रबंध’ योजना के तहत 2024-2025 में 2,199 करोड़ रुपये से अधिक और 2023-2024 में 2,113 करोड़ रुपये खर्च किए गए, फिर भी शिक्षा व्यवस्था की हालत दयनीय बनी हुई है। शिक्षकों की कमी, अव्यवस्थित शिक्षण ढांचा और करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद शिक्षा की गिरती स्थिति पर गंभीर सवाल उठते हैं - “पैसा आखिर जा कहां रहा है?” यह जांच का विषय है। सतीश/09 दिसंबर