हितग्राहियों को तीन माह में लौटाना होगा पैसा तय कीमत से दोगुनी हो गई थी आवासो की निर्माण लागत छिंदवाड़ा (ईएमएस)। पिछले छह सालों से अपने खुद के आवास का सपना देख रहे २३ हितग्राहियों के सपनों में पानी फिर गया है। दरअसल संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग भोपाल ने परतला प्रोजेक्ट को बंद करने के आदेश जारी कर दिए है। इस प्रोजेक्ट को डी-स्कोप कर दिया गया है। नगर पालिक निगम द्वारा वर्ष २०१९ में परतला हाउसिंग प्रोजेक्ट की शुरूआत की थी। नगर निगम द्वारा इसकी कीमत ३३ लाख एवं ३४ लाख रूपए रखी गई थी। २३ हितग्राहियों द्वारा मकान की बुकिंग भी करवा ली गई थी। निर्माण कार्य में लगातार हो रही देरी के कारण इन आवासों की लागत बढ़ती गई। इसका भार इन आवासों को बुक कराने वाले लोगों पर भी डाला गया। लोगों ने इसे निगम की लापरवाही बताया। इस मामले में खूब विवाद भी हुआ। आवास की कीमत ६४ लाख रूपए तक पहुंच गई। एक हितग्राही ने तो कीमतों में वृद्धि के चलते नगर निगम की बैठक में पहुंचकर जहर खाने का प्रयास भी किया था। इसके बाद भी राशि में कोई कमी नहीं की गई थी। ऐसे हालात मे ंइसकी समीक्षा के बाद नगरीय प्रशासन विभाग ने इस प्रोजेक्ट को ही बंद करने का निर्णय ले लिया। बुधवार को कलेक्टर ने इस आवास योजना की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई थी उसमें यह जानकारी दी गई। तीन माह के अंदर पैसा लौटाने दिए आदेश कलेक्टर कार्यालय में प्रधानमंत्री आवास योजना (एमआईजी श्रेणी) के अंतर्गत परतला परियोजना से जुड़े 23 आवासों की स्थिति की समीक्षा की गई। बैठक में आयुक्त नगर निगम सीपी. राय ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के इस घटक को संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास भोपाल द्वारा डी-स्कोप कर दिया गया है। कलेक्टर हरेन्द्र नारायन ने निर्देश दिए कि हितग्राहियों को स्पष्ट एवं शीघ्र जानकारी उपलब्ध कराने के लिए सार्वजनिक सूचना जारी की जाए, ताकि राशि वापसी की प्रक्रिया में कोई विलंब न हो। तीन माह के अंदर हितग्राहियोंं को राशि लौआई जाए। उन्होंने यह भी कहा कि परतला क्षेत्र को स्मार्ट सिटी मॉडल पर विकसित करने की संभावनाओं का विस्तृत अध्ययन कर प्रस्ताव तैयार किया जाए, जिससे क्षेत्र का समग्र विकास नए स्वरूप में हो सके। बैठक में नगर निगम को आवंटित की जाने वाली भूमि से जुड़े लंबित प्रकरणों की भी समीक्षा की गई। छह साल से पटा रहे बैंक लोन २०१९ से शुरू हुई परतला हाउसिंग प्रोजेक्ट के 23 हितग्राहियों में से अधिकांश की बैंक लोन की किश्त जमा हो रही है। उन्हें छह साल बाद भी मकान नहीं मिला है। उनकी पीड़ा यह भी है कि प्रधानमंत्री आवास की सब्सिडी 2.50 लाख रुपए भी नहीं दी गई है। हितग्राहियों ने आवास भवन बुकिंग के दौरान नगर पालिक निगम की शर्तों के अनुसार 10 प्रतिशत बुकिंग राशि जमा की थी। इसके बाद बैंक से होम लोन लेकर निगम की मांग के अनुसार 10 लाख से 30 लाख तक की राशि जमा कर दी है। विडंबना यह है कि इन पिछले ६ वर्षों से होम लोन के एवज में बैंक की किश्त भी दे रहे हैं एवं किराये के मकान में रहने को भी मजबूर हैं। ३२ एवं ३४ लाख रखी गई थी कीमत 23 हितग्राही वर्ष 2019 से आवास पूरा होने का सपना देख रहे हैं लेकिन अब उनका यह सपना कभी पूरा नहीं हो पाएगा। बताया जा रहा है कि वर्ष 2019 में नगर पालिक निगम से परतला हाउसिंग प्रोजेक्ट के अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 32 लाख एवं 34 लाख रुपए में मकान बुक कराए थे। प्रोजेक्ट को पूरा करने की अंतिम 18 माह थी। जैसे जैसे समय बढ़ता गया आवास की कीमतों में बढ़ोत्तरी की गई। अंत में हितग्राहियों को २९ लाख रूपए तक अतिरिक्त देने की बात कहीं जाने लगी। इस बात पर नगर निगम की बैठक में जमकर हंगामा भी हुआ था। ठेकेदार को किया जा चुका भुगतान परतला प्रोजेक्ट को बंद तो कर दिया गया है लेकिन आवास निर्माण कर रहे ठेकेदार को नगर निगम द्वारा लाखों रूपए का पहले ही भुगतान कर दिया गया है। अब सवाल यह उठ रहा है कि यह हरजाना किसके कंधों में डाला जाएगा। वहीं दूसरा सवाल यह उठ रहा है कि जो हितग्राही पिछले ५ वर्षों से बैंक की किश्त पटा रहा है। जिसका वह ब्याज भी दी रहा है। इसका हर्जाना कौन देगा। ऐसे कई सवाल है जोकि योजना बंद करने में उठ रहे है। हितग्राहियों का कहना है योजना के हितग्राही संतोष राय का कहना है कि नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही का बीड़ा हमारे सर क्यो फोडा जा रहा है। आवाास के लिए जो राशि निगम ने निर्धारित की थी वह हमने दी, अब योजना बंद की जा रही है तो हम कोर्ट का सहारा लेंगे। ईएमएस/ मोहने/ 10 दिसंबर 2025