बीजिंग (ईएमएस)। 12 करोड़ साल पहले जीवित एक छोटे पक्षी की मौत ऐसे दर्दनाक और रहस्यमयी तरीके से हुई, जिसे जानकर आज भी वैज्ञानिक सिहर उठते हैं। विज्ञान जगत को हाल ही में एक ऐसी प्रागैतिहासिक पहेली मिली है, जिसने पेलियोन्टोलॉजी और फॉरेंसिक रिसर्च दोनों के विशेषज्ञों को गहरे विचार में डाल दिया है। इस पक्षी ने एक-दो नहीं, बल्कि 800 से अधिक छोटे पत्थर निगल लिए थे, जो उसकी अंतिम सांस का कारण बने। शिकागो के फील्ड म्यूजियम की मशहूर पेलियोन्टोलॉजिस्ट जिंगमाई ओ’कॉनर और उनकी टीम ने इस ‘कोल्ड केस’ की जांच शुरू की, जब चीन के शेडोंग तियान्यु म्यूजियम में रखे एक अद्भुत जीवाश्म का अध्ययन किया गया। इस प्राचीन पक्षी का नाम ‘क्रोमियोर्निस फंकी’ रखा गया है। यह जीवाश्म विशेष प्रकार की ‘लैगरस्टेट’ चट्टान में संरक्षित था, जिसमें जीवों के सिर्फ अस्थियां ही नहीं, बल्कि त्वचा, पंख और मांसपेशियों के संकेत भी सुरक्षित मिलते हैं। इस पक्षी के जीवाश्म में गर्दन और पंखों के चारों ओर मौजूद नरम ऊतकों की आकृति स्पष्ट दिखाई देती है, लेकिन वैज्ञानिकों का ध्यान सबसे ज्यादा उसके गले में मौजूद एक बड़े उभार ने खींचा। बारीकी से जांच करने पर पता चला कि यह उभार सैकड़ों पत्थरों का घना समूह था। जब वैज्ञानिकों ने पत्थरों की गिनती की तो वे हैरान रह गए 800 से ज्यादा पत्थर इस छोटे से पक्षी की ग्रासनली में फंसे हुए थे। केवल 33 ग्राम वजन वाले इस पक्षी ने अपने शरीर के अनुपात में अकल्पनीय मात्रा में पत्थर निगले थे। जांच से पता चला कि ये पत्थर जीवाश्म चट्टान का हिस्सा नहीं थे, यानी पक्षी ने इन्हें अपनी मृत्यु से पहले ही निगला था। विज्ञान में यह तथ्य स्थापित है कि कई पक्षी ‘गैस्ट्रोलिथ’ नाम की प्रक्रिया के तहत पत्थर निगलते हैं, जो भोजन को पीसने में सहायक होते हैं। लेकिन इस मामले में यह सिद्धांत पूरी तरह विफल हुआ, क्योंकि क्रोमियोर्निस जिस परिवार का हिस्सा था, उसके पास भोजन पीसने वाला गिजार्ड मौजूद ही नहीं होता। इतने विशाल पत्थरों का समूह पाचन में सहायक होने की बजाय घातक साबित हुआ। फॉरेंसिक विश्लेषण के अनुसार, संभव है कि पक्षी ने पत्थरों को उल्टी के माध्यम से निकालने की कोशिश की हो, लेकिन द्रव्यमान गले में फंस गया और सांस न ले पाने के कारण उसकी मृत्यु हो गई। 66 मिलियन वर्ष पहले हुए उस महाविनाश में यह पूरा पक्षी परिवार डायनासोरों के साथ मिट चुका था। लेकिन यह खोज हमें उस युग के जीव जगत की संवेदनशीलता और संघर्षों को समझने का अवसर देती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि संभवतः पक्षी बीमार था या उसे किसी खनिज की कमी थी, जिसके कारण उसने ‘पिका’ व्यवहार दिखाया अर्थात अजीब चीजें खाना शुरू कर दिया। यह जीवाश्म न केवल एक दुखद मौत की गवाही देता है, बल्कि यह भी बताता है कि प्राचीन काल के जीव भी बीमारियों और जटिल व्यवहारों से जूझते थे। सुदामा/ईएमएस 11 दिसंबर 2025