वाराणसी (ईएमएस) । गंगा के पावन तट नमो घाट पर आयोजित काशी-तमिल संगमम 4.0 में खादी का स्टॉल केवल कपड़ों की दुकान नहीं, बल्कि एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को पिरोता एक सांस्कृतिक सेतु बन गया। यह मंच महात्मा गांधी के स्वावलंबन के दर्शन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मिली नई गति और पहचान का प्रतीक बन गया है। महात्मा गांधी ने खादी को स्वदेशी आंदोलन का मूलमंत्र बनाया था, जिसने भारतीय गांवों को आत्मनिर्भरता का रास्ता दिखाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विरासत को आगे बढ़ाया, खादी को खादी फॉर नेशन, खादी फॉर फैशन का मंत्र दिया और इसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने वाले एक आधुनिक ब्रांड के रूप में स्थापित किया। पीएम मोदी के प्रयासों से खादी के उत्पादन और बिक्री में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है, जिससे लाखों ग्रामीण कारीगरों, खासकर महिलाओं को रोजगार मिला है। यह संगमम, भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य काशी और तमिलनाडु के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक, भाषाई और ज्ञान परंपराओं के संबंधों को मजबूत करना है। काशी-तमिल संगमम 4.0 में प्रदर्शित खादी उत्पाद इसी सांस्कृतिक समन्वय को दर्शाते हैं। यहाँ उत्तर प्रदेश (काशी) और तमिलनाडु की बुनाई शैलियों का सुंदर मिश्रण देखा गया, जिसने खादी को उत्तर और दक्षिण को जोड़ने वाले एक सांस्कृतिक धागे के रूप में स्थापित किया। खादी स्टॉल पर काम कर रहे लोगों का कहना है कि बनारस के लोग तो खरीददारी कर ही रहे हैं, लेकिन तमिलनाडु से आए प्रतिनिधियों ने भी बहुत स्नेह दिया और सामान खरीदा। वे किसी भी खादी वस्त्र को खरीदने से पहले कपड़े को जान रहे हैं कि कैसे बनता है, सस्टेनेबल (टिकाऊ) है या नहीं, क्वालिटी कैसी है, और फिर वे इसे खरीद भी रहे हैं। तमिल प्रतिनिधियों का यह व्यवहार दर्शाता है कि वे केवल कपड़ा नहीं खरीद रहे, बल्कि उसके पीछे छिपी भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था, हस्तकला की गरिमा और पर्यावरण के अनुकूल मूल्यों को भी महत्व दे रहे हैं। नमो घाट का यह स्टॉल 36-37 इस बात का प्रमाण है कि गांधी के स्वदेशी का सपना आज पीएम मोदी की पहल और एक भारत श्रेष्ठ भारत के विज़न के तहत एक आधुनिक, टिकाऊ और सांस्कृतिक रूप से एकीकृत भारत की नींव बन रहा है। खादी केवल धागा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता का वह अटूट बंधन है जो देश की विविधता को एक सूत्र में पिरो रहा है। डॉ नरसिंह राम /11 दिसंबर2025