राष्ट्रीय
12-Dec-2025
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कई सालों से घर वापस नहीं लौटी आसनसोल,(ईएमएस)। पश्चिम बंगाल के आसनसोल में रहने वाली सेक्स वर्कर्स के लिए एसआईआर एक बड़ी परेशानी बन गई है। दअसल चुनाव आयोग द्वारा वोटर लिस्ट अपडेट करने के लिए 2002 की वोटर लिस्ट को आधार बनाया गया है। वोटरों को यह साबित करना पड़ रहा है कि उनका, उनके माता-पिता या रिश्तेदार का नाम 2002 की लिस्ट में था, जिसके लिए संबंधित डॉक्यूमेंट्स मांगे जा रहे हैं। आसानसोल के लच्छीपुर रेड लाइट एरिया की करीब 400 सेक्स वर्कर्स के पास वोटर आईडी और आधार कार्ड हैं, लेकिन उनके पास 2002 के या उनके माता-पिता के पुराने दस्तावेज़ नहीं हैं। इन सेक्स वर्कर्स का कहना हैं कि कई सालों पहले यहां आई और घर नहीं लौट पाईं। इतना ही नहीं कुछ को बांग्लादेश से लाकर बेच दिया गया, जिससे उनके पास कोई पुराना भारतीय दस्तावेज़ नहीं है। वहीं सेक्स वर्कर्स को डर है कि पुराने दस्तावेज न होने पर उन्हें घुसपैठिया या बांग्लादेशी बताकर वोटर लिस्ट से नाम काट दिया जाएगा और उन्हें इलाका छोड़ने के लिए मजबूर किया जा सकता है। उन्हें डर हैं कि वोटर लिस्ट से नाम कटने का मतलब है सरकारी सुविधाओं से वंचित हो जाना। पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्धवान जिले में आसनसोल का लच्छीपुर (जीटी रोड के किनारे बसा कोल बेल्ट क्षेत्र)। स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर), जिसकी आखिरी तारीख उस समय थी जब यह खबर प्रकाशित हुई थी। बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) मोहम्मद एजाज अहमद घर-घर जाकर फॉर्म भरवा रहे हैं। यह खबर इन हाशिए पर रहने वाली महिलाओं की पहचान और नागरिकता को लेकर व्याप्त गहरी असुरक्षा और कानूनी प्रक्रिया की जटिलताओं को दर्शाती है। लच्छीपुर की वोटर लिस्ट में दर्ज करीब 400 महिलाएँ सेक्स वर्कर्स हैं। कई महिलाएँ ऐसी हैं जो एक बार यहाँ आने के बाद घर नहीं लौट पाईं, और कुछ को बांग्लादेश से लाकर बेच दिया गया। उनके पास वोटर आईडी और आधार कार्ड तो हैं, लेकिन पुराने या मूल दस्तावेज़ (डॉक्यूमेंट) नहीं हैं, जो कानूनी और सामाजिक चुनौतियों का कारण बन सकता है। लच्छीपुर, पश्चिम बर्धवान जिले के आसनसोल कोल बेल्ट इलाके में जीटी रोड के किनारे बसा है, जो ओडिशा और झारखंड से सटा होने के कारण मज़दूरों की आवाजाही का केंद्र है। यह एक महत्वपूर्ण विषय है जो इन महिलाओं के मानवाधिकारों, कानूनी स्थिति और पुनर्वास से जुड़ी जटिलताओं को दर्शाता है। आशीष दुबे / 12 दिसंबर 2025