नई दिल्ली (ईएमएस)। शारीरिक समस्या का इलाज जांच और दवा से आसान है, लेकिन मानसिक समस्या को समझना और पहचानना अक्सर मुश्किल होता है। आज के तेज-रफ्तार जीवन में काम, परिवार, रिश्ते और जिम्मेदारियों के बोझ तले हर व्यक्ति किसी न किसी तनाव से गुजर रहा है। “तनाव” शब्द छोटा है, लेकिन इसका असर बेहद गहरा और खतरनाक होता है। बहुत से लोग नहीं जानते कि तनाव मस्तिष्क से लेकर पाचन तंत्र, प्रतिरक्षा प्रणाली और यहां तक कि हार्मोन संतुलन तक को प्रभावित करता है। लगातार तनाव लेने से याददाश्त कमजोर होती है, नींद में बाधा आती है, आंखों का विजन कमजोर हो सकता है, पेट की पाचन शक्ति घट जाती है, मुंह का स्वाद चला जाता है, बुखार जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं, कमजोरी महसूस होती है और बाल समय से पहले सफेद होने लगते हैं। लंबे समय तक तनाव रहने पर मस्तिष्क शरीर को भेजने वाले जरूरी संकेत भेजने की क्षमता भी कम कर देता है, जिससे शरीर कई बीमारियों का घर बन सकता है। आयुर्वेद में तनाव को ‘मनरोग’ कहा गया है और बताया गया है कि मन का इलाज दवाओं से नहीं, बल्कि स्वयं को शांत करके किया जा सकता है। गीता में भी कहा गया है कि मन ही बंधन और मुक्ति का कारण है, इसलिए उस पर संयम आवश्यक है। प्राकृतिक रूप से तनाव कम करने के लिए आयुर्वेद में सरल उपाय बताए गए हैं सिर की मालिश, पैरों के तलवों पर तेल से मालिश, जिससे वात दोष शांत होता है और मन को शांति मिलती है। ब्राह्मी, शंखपुष्पी और अश्वगंधा जैसी जड़ी-बूटियां मस्तिष्क को शांत करती हैं और तनाव के हार्मोन कम करती हैं। तुलसी और गिलोय की चाय मानसिक तनाव घटाकर प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाती है। सात्विक भोजन, उबली सब्जियां, खिचड़ी, मौसमी फल और पर्याप्त पानी तनाव कम करने में मददगार हैं। इसके अलावा प्रकृति के बीच समय बिताना, पसंदीदा गतिविधि करना और संगीत सुनना मन को हल्का और खुश करता है। सुदामा/ईएमएस 12 दिसंबर 2025