राष्ट्रीय
12-Dec-2025


नई दिल्ली,(ईएमएस)। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर जारी अधिसूचना में ‘माइग्रेशन’ शब्द की व्याख्या केवल देश के अंदर के प्रवासन तक सीमित नहीं मानी जा सकती, बल्कि इसमें सीमा पार प्रवासन भी शामिल हो सकता है। कोर्ट ने यह टिप्पणी उन याचिकाओं की सुनवाई के दौरान की जिनमें बिहार में एसआईआर को चुनौती देते हुए आरोप लगाया गया कि चुनाव आयोग नागरिकता पर शक के आधार पर लोगों को मतदाता सूची से हटाकर मताधिकार छीन रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसआईआर कोई नियमित प्रक्रिया नहीं है और बिहार में यह 2003 के बाद पहली बार किया गया। कोर्ट ने पूछा कि क्या चुनाव आयोग मतदाता सूची की शुचिता बनाए रखने के लिए किसी ‘शुद्धिकरण और छंटनी’ की प्रक्रिया नहीं अपना सकता? यदि गड़बड़ियां मिलें तो क्या आयोग आंख बंद कर ले? सीजेआई सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि माइग्रेशन ट्रांस-कंट्री भी हो सकता है। यह केवल देश के अंदर का प्रवासन नहीं है। आजीविका और अन्य कारणों से लोग विदेशी सीमाएं पार करते हैं। ‘ब्रेन ड्रेन’ भी प्रवासन ही है। पीठ की यह टिप्पणी वरिष्ठ वकील के उस तर्क के जवाब में आई, जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि चुनाव आयोग नागरिकता की जांच करना चाहता था, तो उसे 24 जून के आदेश में स्पष्ट रूप से उल्लेख करना चाहिए था। आदेश में एसआईआर का आधार केवल “तेजी से शहरीकरण” और “शिक्षा व आजीविका के लिए बार-बार होने वाला जनसंख्या का स्थानांतरण” बताया गया था। वकील ने दलील दी कि एसआईआर को विदेशी नागरिकों की पहचान से जोड़ना असंवैधानिक है, क्योंकि नागरिकता की जांच के लिए पहले से वैधानिक प्रक्रिया मौजूद है। उन्होंने कहा कि सिर्फ बीएलओ के संदेह पर किसी को मतदाता सूची से हटाना बेहद खतरनाक है। कोर्ट ने जवाब दिया कि उनकी टिप्पणियां अंतिम निष्कर्ष नहीं हैं बल्कि मुद्दे पर बेहतर तर्कों के लिए एक प्रयास हैं। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि यह प्रक्रिया ‘गलत संदेह’ पर आधारित है और बड़े पैमाने पर मतदाताओं को अयोग्य घोषित करने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का कर्तव्य मतदाता को सक्षम बनाना है, निष्क्रिय करना नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार के बाद 9 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में एसआईआर को लागू करना “कॉपी-पेस्ट” जैसा है, जो चुनाव आयोग की “मस्तिष्क-प्रक्रिया की कमी” दर्शाता है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर तय की है, जब चुनाव आयोग अपनी विस्तृत प्रतिक्रिया देगा। अगले सप्ताह तमिलनाडु, केरल, पुदुचेरी, यूपी और पश्चिम बंगाल में एसआईआर को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर भी सुनवाई होगी। सिराज/ईएमएस 12दिसंबर25